>>: संख्या बढ़ाने के लिए रेस्क्यू करने की जरूरत नहीं, कलक्टर से करूंगी बात

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राजसमंद. बालश्रम करने वाले बच्चों को रेस्क्यू करने की संख्या चाहे कम हो, लेकिन वह छह माह बाद क्या कर रहा है इसकी जानकारी होनी चाहिए। बच्चे को रेस्क्यू करते ही उसे तुरंत सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए। उसे शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। यह बात राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने शुक्रवार को जिला परिषद सभागार में जतन संस्थान की ओर से आयोजित टॉक फॉर टाबर कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि कई बार रेस्क्यू करने के दौरान उन बच्चों को भी पकड़ लिया जाता है जो अपने स्वयं के ढाबे अथवा दुकान पर परिवार के लोगों का हाथ बंटाते हैं और स्कूल आदि जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। बाल संरक्षण को सुनिश्चित करने में बाल संरक्षण समितियों की महत्ती भूमिका होती है। इनका गठन भी जल्द होना चाहिए।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों को मेवाड़ी पगड़ी पहनाकर और एक-एक पौधा देकर स्वागत किया गया। संस्थान की राज्य समन्वयक शालिनी सिंह न बाल श्रम पर पीपीटी प्रस्तुत कर बाल श्रम से जुड़े विडियो प्रस्तुत किए। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष कोमल पालीवाल ने जिले के बच्चों की स्थितियां बाल आयोग के सम्मुख प्रस्तुत की गई। इसमें बालिकाओं के नाम सम्मानजनक प्रस्तुत करने व बाल संरक्षण समितियों को सशक्त करने की मांग की।
इस दौरान खुले सत्र में बच्चों से बाल आयोग अध्यक्ष ने सवाल-जवाब किए। संस्थान के उपनिदेशक रणवीर सिंह ने अतिथियों से कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन परियोजना व एक्शन मंथ से जुड़े पेम्पलेट का विमोचन करवाया। इसमें 150 गांवों में बाल विवाह जन जागरूकता, बाल श्रम व बाल यौन शोषण रोकने सहित परियोजना की आगामी रूपरेखा से अवगत करवाया गया। कार्यक्रम के अंत में जतन संस्थान के निदेशक डॉ. कैलाश बृजवासी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में सहायक निदेशक बाल अधिकारिता वीणा मेहरचंदानी, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक जयप्रकाश चारण, बाल कल्याण समिति सदस्य बहादुर सिंह, हरजेन्द्र सिंह, सीमा डागलिया, जेजेबी मेम्बर भावना पालीवाल, एएचटीयू प्रभारी टीना सोलंकी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में एनजीओ के प्रतिनिधि, किशोर-किशोरियो सहित करीब 175 लोगों ने भाग लिया।

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