>>: जिला परिषद इस तरह लुटा रही खजाना

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अलवर. जिला परिषद के पास पर्याप्त मैनपावर लेकिन 62 लाख रुपए खर्च करने की जल्दबाजी की जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 18 पदों पर बाहरी एजेंसी के जरिए भर्ती करने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि पांच जून को होने जा रही साधारण सभा की बैठक में इस पर मुहर लगाई जा सकती है। सरकारी पैसे की बर्बादी समझते हुए कुछ लोगों ने सरकार को फिर शिकायत भेजी है।

जिला परिषद ने पिछले साल एजेंसी के जरिए जिला समन्वयक से लेकर ब्लॉक समन्वयक, कंप्यूटर ऑपरेटर आदि रखे थे। उसके बाद इस बार फिर से इन लोगों को संविदा पर रखने के लिए एजेंसी के चयन को टेंडर निकाल दिया। करीब 62 लाख रुपए इस पर खर्च होने थे। राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया तो मामला सरकार तक पहुंचा। सरकार को भेजी शिकायत में कहा है कि 11 जनवरी 2017 को पत्र संख्या 3495 में अतिरिक्त आयुक्त ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने कहा था कि स्वच्छ भारत मिशन का कार्य पंचायत प्रसार अधिकारियों (अब सहायक विकास अधिकारी) से लिया जाए। यदि नहीं करते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाए। यह पत्र मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद को आया था। उसके बाद से इन लोगों से काम भी लिया गया। आरोप है चहेते लोगों को नौकरी देने के लिए बाहरी एजेंसी का रास्ता निकाला गया है। कुछ ब्लॉक समन्वयकों को सीधे जिला समन्वयक बनाने की तैयारी है। शिकायतकर्ताओं ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। कहा, परिषद पूर्व में जारी किए गए पत्रों के मुताबिक 62 लाख रुपए प्रति वर्ष की बचत कर सकती है।


इस तरह हो सकता है काम
लोगों की ओर से तर्क दिया गया है कि छह जनवरी 2023 को कर्मचारी व अधिकारियों के कार्य आवंटित किए गए हैं। उनमें से रामगढ़, उमरैण, कोटकासिम, राजगढ़, किशनगढ़बास, मालाखेड़ा आदि जगहों पर तैनात किए गए अधिकारी व कर्मचारियों केा अतिरिक्त कार्य दिए गए हैं। कार्य भी बेहतर चल रहे हैं। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों को भी आवंटित करके परिषद 62 लाख रुपए बचा सकती है। इस संबंध में सीईओ कनिष्क कटारिया से संपर्क साधा गया लेकिन रिसीव नहीं हुआ।

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