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विधानसभा चुनावः अशोक गहलोत के लिए सिरदर्द बनीं ये सीटें, अब चुनावों से पहले कांग्रेस ने बनाया ऐसा प्लान Tuesday 13 June 2023 04:59 AM UTC+00 जोधपुर। प्रदेश में चुनाव की परिपाटी बदल कर लगातार फिर कांग्रेस सरकार बने, पूरा कांग्रेस नेतृत्व इसी मशक्कत में जुटा है। इसके तहत इस बार कांग्रेस उन सीटों पर फोकस कर रही है, जिन पर लंबे समय से कांग्रेस के उम्मीदवार हार रहे हैं। ऐसी सीटों पर प्रत्याशी चयन को लेकर नया फार्मूला अपनाया जाएगा। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा इसके संकेत दे चुके हैं। फार्मूले में सिफारिशी प्रत्याशी दूर रख जिताऊ की पहचान ही महत्वपूर्ण है। ऐसे में जोधपुर जिले में भी कांग्रेस के लिए सूरसागर व भोपालगढ दो सीटें ऐसी हैं, जो सिरदर्द बनी हुई हैं। यहां लगातार भाजपा के उम्मीदवार जीत रहे हैं। गत चुनाव में 15-15 साल से हार रही दो सीटें जोधपुर शहर व शेरगढ से कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीत गए। इधर, भाजपा इस बार फिर उन सीटों पर कब्जा जमाने के लिए कमर कस चुकी है। ऐसे में जिले में चार सीटों को लेकर कांग्रेस को अपनी रणनीति को मजबूत करना होगा। जोधपुर में कांग्रेस के तीन आंतरिक सर्वे भी हो चुके हैं। यह भी पढ़ें- आपके पास भी आया है ऐसा कॉल तो हो जाएं सावधान, वरना लग सकता है बड़ा झटका, जानिए कैसे
बीस साल से यह सीट भाजपा के पास है। वर्तमान में सूर्यकांता व्यास लगातार तीसरी बार विधायक है। कांग्रेस तीन बार से यहां लगातार अल्पसंख्यक प्रत्याशी उतार रही है। अगर नई रणनीति से प्रत्याशी चयन होता है तो यहां कांग्रेस को अपनी नीति बदलनी पडेगी। अंतिम बार भंवर बलाई 1998 में कांग्रेस से चुनाव जीते थे। यह भी पढ़ें- Weather Alert: मौसम विभाग की बड़ी चेतावनी, इन शहरों में कहर बरपाएगा चक्रवाती तूफान बिपरजॉय, होगी मूसलाधार बारिश 2008 के परिसीमन से सुरक्षित सीट । बीते तीन चुनाव में दो बार भाजपा की कमसा मेघवाल , इस बार रालोपा के पुखराज गर्ग ने जीत हासिल की। अब मुकाबला भाजपा व रालोपा से होगा तो नए फार्मूले पर अमल करना पडेगा। अंतिम बार कांग्रेस से 2003 में महिपाल मदेरणा जीते थे।
जोधपुर शहर सीट पर अंतिम बार 1998 में जुगल काबरा कांग्रेस से जीते थे। इसके बाद 2018 में कांग्रेस ने रणनीति बदली मनीषा पंवार को उतारा तो वह जीत गई। शेरगढ़ से भी 1998 में खेतङ्क्षसह राठौड़ जीते थे। इसके बाद तीन बार भाजपा के बाबू ङ्क्षसह जीते। 2018 में मीना कंवर को कांग्रेस ने उतारा वह जीत गई। लेकिन भाजपा फिर इन दोनों सीटों पर कब्जा वापस करने के लिए कमर कस चुकी है। ऐसे में गत सफलता बनाए रखना भी कांग्रेस के लिए चुनौती होगी। |
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