>>: जिला परिषद ने ये क्या कर डाला

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जिला परिषद : 15वें वित्त आयोग की राशि आवंटन में करोड़ों का फर्जीवाड़ा, स्वच्छता व पेयजल के पैसों से पास कर दी सड़कें
- परिषद ने नियमों को ताक पर रखकर रोड व अन्य कामों पर 77 फीसदी व स्वच्छता, पेयजल के लिए 23 प्रतिशत ही राशि स्वीकृत की

- स्वच्छता-पेयजल के हिस्से में आने थे 3.92 करोड़ पर 1.47 करोड़ ही जारी किए, इस श्रेणी से 2.45 करोड़ रुपए काटकर रोड आदि कामों के लिए दिए
- ई ग्राम स्वराज पोर्टल पर कामों पर राशि वितरण इस तरह किया कि स्वच्छता व पेयजल के मानक दिखे पूरे जबकि अंदर श्रेणियों में दूसरे काम हैं फीड

अलवर. जिला परिषद ने केंद्र सरकार के15वें वित्त आयोग की राशि को ठिकाने लगाने के लिए करोड़ों का फर्जीवाड़ा कर दिया। स्वच्छता व पेयजल के लिए आई राशि से सड़कें स्वीकृत कर दीं। इन दोनों श्रेणी में कुल रकम का 60 फीसदी हिस्सा खर्च होना था लेकिन 23 प्रतिशत ही बजट दिया गया जबकि रोड व अन्य कामों पर 40 फीसदी की बजाय 77 फीसदी बजट जारी किया गया। फर्जीवाड़ा करने वालों ने केंद्र सरकार के ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर काम इस तरह फीड किए ताकि स्वच्छता व पेयजल का बजट 60 प्रतिशत ही दिखे लेकिन इन अंदर श्रेणियों में दूसरे काम दिखा दिए। उदयपुर व कोटा के प्लान का अध्ययन किया गया तो सब श्रेणी फिट मिली। अलवर में हुए इस फर्जीवाड़े की शिकायत जयपुर िस्थत सीबीआई कार्यालय को भेजी गई है।
जिला परिषद ने वर्ष 2022-23 में 15वें वित्त आयोग की वार्षिक कार्य योजना पास की थी। ऑनलाइन पोर्टल के मुताबिक बजट 6.53 करोड़ का था। नियमों के मुताबिक इस बजट का 40 फीसदी हिस्सा रोड व अन्य कार्य के लिए खर्च होना है। बाकी 60 फीसदी पेयजल व स्वच्छता पर। इस तरह रोड आदि के हिस्से में 2.61 करोड़ रुपए आए और पेयजल-स्वच्छता के हिस्से में 3.92 करोड़, लेकिन परिषद ने रोड व अन्य श्रेणी के 113 कामों पर 5.02 करोड़ रुपए पास किए। यानी नियमों से 2.41 करोड़ रुपए अधिक। इसी तरह स्वच्छता व पेयजल के 66 कामों पर 1.47 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए, जो नियमों से 2.45 करोड़ कम हैं। यानी स्वच्छता व पेयजल के हिस्से में 23 फीसदी पैसा आया और रोड व अन्य कार्य पर 77 प्रतिशत पैसा स्वीकृत हुआ।

इस तरह आंकड़े पोर्टल पर फिट बैठाए
पेयजल के कामों में अन्य श्रेणी के व स्वच्छता के कामों में सभी श्रेणी के कामों को शामिल किया गया। ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर ये सभी आंकड़े दर्ज किए गए। राशि का वितरण ऐसे किया कि स्वच्छता व पेयजल पर 30-30 प्रतिशत राशि ऑनलाइन दर्ज हो गई। यानी फर्जी आंकड़े से गाइडलाइन की पालना पोर्टल पर हो गई। इसी अनुरूप कई संस्थाओं को फंड जारी हो गया। हैरत तो ये है पोर्टल को जिला स्तर, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर चेक नहीं किया गया। यदि ऐसा होता तो ये खेल पकड़ में आता। बताते हैं कि सड़क निर्माण में कमीशन का बड़ा खेल होता है। इस पूरे फर्जीवाड़े में परिषद के चार अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं।

इस तरह बदले श्रेणियों के काम
स्वच्छता की श्रेणी से होने वाले कार्यों में सीसी सड़कें, श्मशान घाट का विकास कार्य, सोलर पंप सेट निर्माण, सिंगल फेस बोरिंग आदि दिखाए हैं। पेयजल श्रेणी में नाला निर्माण, स्कूल में बाउंड्रीवाल, प्रकाश व्यवस्था के लिए एलईडी, पुलिया निर्माण, सीमेंट पाइप लाइन आदि कार्य पास किए गए हैं। शिक्षा श्रेणी में महज एक काम पास हुआ है वह भी रोड लाइट।

क्या कहते हैं अफसर-

15वें वित्त आयोग के कामों की श्रेणी तय है, उसी के मुताबिक कार्य होने चाहिए। यदि काम नियमों के खिलाफ हुए हैं तो इनकी जांच कराएंगे और आगे कार्रवाई करेंगे।
-- रवि जैन, शासन सचिव, पंचायती राज विभाग

ये प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं है। 15वें वित्त आयोग की गाइड लाइन देखेंगे और फिर संबंधित विभाग से जवाब मांगा जाएगा। काम नियमों के तहत ही होने चाहिए।

- उत्तम सिंह शेखावत, एडीएम प्रथम

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