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मेड़ता सिटी. शहर के मीरा मंदिर मार्ग पर शाही मार्केट स्थित एक मोबाइल की दुकान में शनिवार रात को एक बजे शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। आग में 5 लाख रुपए कीमत के नए मोबाइल और एसेसीरीज जलकर राख हो गए। मौके पर पहुंची नगरपालिका की फायरब्रिगेड ने आग पर काबू पाया।
जानकारी के मुताबिक मेड़ता सिटी निवासी इमरान की भंडारी बिल्डिंग-मीरा मंदिर मार्ग स्थित शाही मार्केट में मोबाइल की दुकान हैं। उसमें शनिवार रात को एक बजे के करीब शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। आग की लपटें उठती देख मौके पर एकत्रित लोगों ने तुरंत दुकान मालिक , डिस्कॉम व पालिका के दमकल कर्मियों को सूचित किया। सूचना मिलने पर डिस्कॉम ने क्षेत्र की बिजली आपूर्ति काट दी, ताकि आग बुझाते वक्त कोई हादसा न हो। कुछ ही देर में नगर पालिका की दमकल भी मौके पर पहुंच गई। दमकल ने मौके पर एकत्रित हुए लोगों के सहयोग से आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक दुकान में रखा सारा सामान जल गया।

धूं-धूं कर उठी 10 फीट की लपटें
शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी आग के कारण दुकान में से 1 काफी ऊंची लपटे उठती रही। समय रहते आग पर काबू पाने से आसपास की दुकानों में नुकसान होने से बच गया। आग में दुकान में रखे नए मोबाइल, कवर, ग्लास सहित 5 लाख का सामान जलकर राख हो गया।

-नलकूपों से अत्याधिक मात्रा में निकलते भूजल से बिगड़ी स्थिति
-केवल सरकारी नलकूपों से ही प्रतिदिन हर घंटे निकल रहा 10 हजार लीटर जल
-तीन हजार से जायदा है सरकारी नलकूप, जबकि निजी की संख्या 10 गुना ज्यादा
-इसी रफ्तार से भूजल निकलता रहा तो पानी चला जायेगा हजार फुट से ज्यादा नीचे, बिगड़ेगी स्थिति
नागौर. जिले में भूजल के 400 से 800 फुट जमीन के अंदर जाने क बाद भी प्रतिदिन करोड़ों लीटर भूजल धरती से निकाला जा रहा है। बताते हैं कि करीब साढ़े तीन हजार राजकीय नलकूों से ही 17 करोड़ से ज्यादा का भूजल निकालकर जनता में आपूर्ति की जा रही है। यह तो केवल सरकारी नलकूपों का आंकड़ा है, जबकि निजी नलकूपों की संख्या इससे दस गुना ज्यादा बताई जाती है। इससे खुद-ब-खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन कितने करोड़ लीटर भूजल हर रोज जमीन से निकल रहा है। विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इसे नियंत्रित नहीं किए जाने पर हालात बेकाबू हो जाएंगे। अभी तो पानी 800 फुट नीचे मिल जा रहा है, फिर यह भी नहीं मिल पाएगा।

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राजस्थान के चार शीर्ष अतिदोहित जिलों में शामिल है नागौर जिला
केन्द्रीय भू-जल विभाग की प्री-मानसून रिपोर्ट में 2019 के मुताबिक बीकानेर में अधिकतम 128.15 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल (एमबीजीएल) पर पानी है। इतना ही नहीं गहराई के लिहाज से टॉप चार सभी जिले राजस्थान के हैं। मसलन जोधपुर में 115.38 एमबीजीएल, नागौर में 108.40 एमबीजीएल और जैसलमेर में 107.26 एमबीजीएल भूजल है। जबकि वर्ष राज्य की ओर से संचालित वर्ष 2020 एवं 2021 की रिपोर्ट में इसमें शामिल नागौर जिले की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है। विशेषज्ञों की माने तो पानी की कमी के चलते निरन्तर खोदे जा रहे गहरे कुओं और ट्यूबवेलों द्वारा भूमिगत जल का अन्धाधुन्ध दोहन होने से भूजल का स्तर निरन्तर घटता जा रहा है। भूजल भण्डार का उपयोग बैंक में जमा राशि की तरह होता है। बैंकिंग नियम में जमा किए गए अनुपात के अनुसार ही राशि निकाल सकते हैं। जबकि यहां पर जमा करने वाला कोई नहीं, केवल निकालने का काम किया जा रहा है।

सरकारी नलकूपों के आंकड़ों पर एक नजर
खण्ड लाभान्वित ग्रामों की संख्या नलकूपों की संख्या जनता जल योजना नलकूप
नागौर 423 673 348
मकराना 256 816 127
डीडवाना 291 734 62
कुचामन 222 163 76
मेड़ता 399 487 43

जलदाय एरिया के तहत आने वाले कुल गांवों की संख्या- 1589
सरकारी नलकूपों की संख्या-2873
जनता जल योजना नलकूपों की संख्या-656
हर घंटे हजार लीटर निकल रहा भूजल
प्रति घंटे सरकारी नलकूप से दस हजार लीटर जल निकल रहा है। निजी नलकूपों से निकलने वाले भूजल की मात्रा का आंकड़ा जलदाय विभाग के पास भी उपलब्ध नहीं है, लेकिन दबी जुबान से अधिकारी भी स्वीकारते हैं कि लगातार अत्याधिक मात्रा में जलादोहन से संतुलन अब बिगड़ चुका है। इस पर जल्द ही प्रभावी कदम नहीं उठे तो फिर हालात नहीं संभलंगे।
कार्बन उत्सर्जन भी हो रहा...
विशेषज्ञों के अनुसार बड़े पैमाने पर पानी के पंपों या ट्यूबवेल के जरिए हो रहा भूमिगत जल का दोहन से न केवल कार्बन उत्सर्जन हो रहा है, बल्कि पानी निकालने के लिए पंपों के उपयोग से होने वाला उत्सर्जन और बायोकार्बोनेट के निष्कर्षण से होने वाला कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन भी होता है। यह स्थिति समग्र रूप से पर्यावरणीय संतुलन के लिए बड़ा खतरा बन गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ.......
कृषि महाविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रो. डॉ. विकास पावडिय़ा कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल का दोहन में दो से तीन वर्षों के अंतराल में औसत से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। इसके पीछे का कारण स्पष्ट है कि भूजल दोहन को लेकर एक व्यवस्थित नीतियां या प्रावधान होने चाहिए, क्यों कि जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि एवं सरकार की नीतियां जल संकट का मुख्य कारक होती हैं। विश्व की 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, लेकिन जल स्रोत केवल चार प्रतिशत ही है। वर्षा के रुप में पृथ्वी पर गिरने वाला पानी कई माध्यमों से मिट्टी में समाहित होकर भूमिगत जल स्तर तक पहुँचता है, और भूजल स्तर की मात्रा में वृद्धि करता हैं। इसी घटना को हम भूजल पुनर्भरण कहते हैं। इसी जल को तेजी से निकालने का कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में सरकार को विशेषज्ञों के साथ मिलकर कोई नीति बनानी होगी, नहीं तो प्रदेश से भूजल के अब समाप्त होने का खतरा मंडराने लगा है।


ग्राउण्ड रिपोर्ट

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

नागौर. कई स्कूलों के संस्था प्रधान अब कम रिजल्ट देने पर नपेंगे। नागौर जिले में वैसे तो दसवीं का परिणाम कई स्कूलों में संतोषजनक नहीं रहा पर मकराना के एक स्कूल ने तो हद ही पार कर दी। माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर के निदेशक कानाराम ने कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।

मकराना के भंवरी देवी सोमानी गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सैकण्डरी स्कूल का दसवीं का परिणाम मात्र 34. 03 फीसदी रहा। इसके लिए संस्था प्रधान नीरू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्रदेश के कुल 88 सरकारी स्कूलों का परिणाम पचास फीसदी से कम रहा। कारण बताओ नोटिस जारी कर पंद्रह दिन के भीतर संस्था प्रधान से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके बाद इनके खिलाफ 17-सीसीए के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इन सवालों के मांगे जवाब

संस्था प्रधान को दिए गए नोटिस में कुछ सवालों के जवाब मांगे गए हैं। इसमें विद्यालय में पदस्थापन की अवधि और सत्र में स्वीकृत और रिक्त पदों का विवरण देना होगा। साथ ही संस्था प्रधान को यह भी बताना होगा कि विषय अध्यापकों के रिक्त पद होने पर विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था क्या रही। अतिरिक्त कक्षाओं के साथ रिक्त पदों को भरने के लिए की गई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी गई है। इसके साथ पिछले पांच साल के परीक्षा परिणाम भी प्रस्तुत करने को कहा गया है।

पहले से कम पर...

सूत्रों के अनुसार वैसे तो जिले में कई स्कूलों का परिणाम पिछले साल के मुकाबले कम रहा पर यह विभागीय मानदण्ड से न्यून नहीं रहा। मकराना के अलावा रियांबड़ी, खींवसर आदि के कुछ स्कूल के परिणाम में पिछले साल के मुकाबले गिरावट आई। यह भी सामने आया कि रिक्त पदों के चलते पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पाई। साथ ही संस्था प्रधान ने कोर्स पूरा करने के लिए ना तो कोई वैकल्पिक इंतजाम किए ना ही अतिरिक्त कक्षाएं संचालित की।

पुरानों का क्या हुआ?

सूत्र बताते हैं कि यह तो माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर के सहायक निदेशक ने दसवीं के न्यून परिणाम वाले स्कूलों के लिए नोटिस तलब किया है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। पिछले साल भी इसी तरह के नोटिस जारी किए गए थे, बावजूद इसके कागजी खानापूर्ति के बाद कम परिणाम पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कुछ पर ही हो पाई। अधिकांश तो अपने पुराने स्थान पर ही बरकरार हैं, खराब परिणाम देने के बावजूद भी।

यह रही जिलों की स्थिति

-मानदण्ड से न्यून परिणाम वाले स्कूल-88

-उदयपुर-करौली 11, कोटा 7, पाली 5 तो अलवर, सिरोही और जयपुर चार-चार, भीलवाड़ा-बारां तीन-तीन, सीकर, झुंझुनूं, बीकानेर व राजसमंद दो-दो तो दौसा, गंगानगर, धौलपुर, जोधपुर, बारां, चूरू व नागौर में एक-एक स्कूल का परिणाम न्यूनतम रहा।

इनका कहना

दसवीं का न्यूनतम परिणाम देने वाला स्कूल नागौर जिले में एक ही है। उसके संस्था प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हर बार कम परिणाम देने वाले स्कूल के प्रधान पर कार्रवाई की जाती है।

-बस्तीराम सांगवा, एडीपीसी समग्र शिक्षा नागौर

नगरपरिषद की ओर से सोमवार को चला अभियान

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    नागौर. नगरपरिषद की ओर से दुकानों के सामने अवैध रूप से रखे सामानों को हटाने के लिए सोमवार को अभियान चलाया गया। इस संबंध में रेलवे स्टेशन से पुराना जिला अस्पताल एवं बीकानेर रेलवे फाटक तक अभियान दल की ओर से कार्रवाई में 10 साइन बोर्ड सहित सामानों को जब्त किया गया। इस दौरान दुकानदारों को चेताया गया कि वह भविष्य में सामानों को रखकर रास्ता न रोके, नहीं तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। नगरपरिषद की टीम सबसे पहले रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां पर कई दुकानों के सामने दुकानदारों की ओर से साईन बोर्ड के साथ रखे गए सामान को जब्त कर लिया। इस दौरान कुछ दुकानदारों ने जानकारी नहीं होने का हवाला दिया, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। टीम रेलवे स्टेशन से होते हुए पुराना जिला अस्पताल के सामने पहुंची। यहां पर भी कुछ साइन बोर्ड जब्त किए गए। इसके बाद दल इसी रास्ते से होते हुए बीकानेर रेलवे फाटक तक पहुंचा। रास्ते में मिले साइन बोर्ड सहित सामाग्री जब्त करने का सिलसिला यहां भी चला। बीकानेर रेलवे फाटक के पास एक दुकान के साईन बोर्ड व सामाग्री जब्त करने के लिए दल ने प्रयास किया तो दुकानदार ने विरोध जताया, और गौरव पथ पर सडक़ किनारे अवैध रूप से बने निर्माणों का हवाला दिया। दुकानदार का कहना था कि इससे रास्ता तो नहीं अवरद्ध हो रहा है, लेकिन सडक़ किनारे जो निर्माण हुए हैं। इससे यह सडक़ जरूर छोटी हो गई है। परिषद को इस पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके बाद परिषद की ओर से गई टीम एक-दो दुकानों के सामने रखे साईन बोर्ड जब्त कर लौट गई।

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