>>: Digest for June 14, 2023

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जयपुर। पिलानी कस्बे की चिड़ावा रोड पर रहने वाली तान्या सिंह धाभाई ने महज 21 साल की उम्र में 45 लाख का पैकेज प्राप्त किया है। अब वह जापान की विश्व प्रसिद्ध आईटी कंपनी टेक एम में डाटा एनालिस्ट के पद पर काम करेंगी। तान्या सिंह के पिता हजारी सिंह धाभाई ने बताया कि वे खुद भी जापान की प्रसिद्ध टेलिकोम कंपनी राकूतेन में वाइस प्रेसीडेंट के पद पर कार्यरत है। वे करीब तीन सालों इस कंपनी में काम कर रहे है। जबकि उन्हें जापान में रहते हुए करीब 10 साल से ज्यादा का समय बीत गया है। जापान की विभिन्न कंपनियों में वे अपनी सेवाएं दे चुके है।


हजारी सिंह ने बताया कि तान्या बचपन से होशियार रही है। वह क्लास टॉपर रहने के अलावा पहले ही प्रयास में बिट्स पिलानी में प्रवेश लेने में कामयाब रही। अभी हाल ही में उसने बिट्स 2023 का बैच पास आउट किया। इसके करीब सात-आठ दिन बाद ही उसे जापान की विश्व प्रसिद्ध आईटी कंपनी टेक एम से ऑफर मिला।

तान्या सिंह की नियुक्ति टोक्यो जापान में हुई है। तान्या की मम्मी नीतू सिंह व छोटी बहन टियाषा सिंह भी जापान रहते है।

विश्व के टॉप 200 स्टूडेंट्स में भी हो चुका है चयन
तान्या सिंह के पिता हजारी सिंह ने बताया कि हावर्ड में वर्ल्ड स्टूडेंट्स लीडर्स प्रोग्राम होता है। जिसमें पूरे विश्व के 200 के करीब विद्यार्थियों का चयन होता है। इस प्रोग्राम में विश्व के नामचीन उद्योगपति, अर्थशास्त्री आदि न केवल अपने अनुभवों को इन चयनित स्टूडेंट्स के साथ शेयर करते है। बल्कि स्टूडेंट्स भी उनके साथ अपने भविष्य की प्लानिंग को शेयर करते है। जो एक विश्व प्रसिद्ध प्रोग्राम होने के साथ साथ प्रतिष्ठित प्रोग्राम भी है। इसके लिए भी तान्या सिंह का चयन भारत के चुनिंदा स्टूडेंट्स के साथ हुआ था। लेकिन कुछ कारणों की वजह से तान्या इसमें शामिल नहीं हो पाई थी।

अशोक सोनी.

बिसाऊ. ग्रामीण क्षेत्र में राबड़ी एक बेहतर टॉनिक एवं गर्मियों का पेय पदार्थ बनकर उभर रहा है। राजस्थान का तो यह प्राचीन पेय पदार्थ है। कई लोग जहां कुल्फी, आइसक्रीम और ठंडे पीकर अपने शरीर की गर्मी को दूर करते हैं और गर्मी से बचते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में लोग राबड़ी का जमकर उपयोग करते हैं। राबड़ी उन्हें गर्मी से तो बचाती ही है, साथ में एक स्वास्थ्य वर्धक टॉनिक का काम करती है। रात के समय बनाकर रखी हुई राबड़ी को किसान हो या ग्रामीण दिनभर उपभोग करते हैं और भीषण गर्मी में राहत महसूस करते हैं।


शरीर को देती शीतलता

बाजरे की राबड़ी गर्मियों का शीतल पेय बन रही है। बिसाऊ क्षेत्र में तो इसे अधिक पसंद किया जा रहा है। बुजुर्ग तो इसे और अधिक चाव से खाते हैं। बुजुर्गों का कहना है कि यह शरीर में शीतलता पहुंचाती है। यह बाजरे के आटे से तैयार हो जाती है और सस्ती भी पड़ती है।


रोटी के साथ राबड़ी

गांव भामु की ढाणी के बीरबल सिंह को कहना है कि बुजुर्ग एक मटकी में छाछ, बाजरे का आटा, प्याज आदि के मेल से राबड़ी तैयार करके रखते थे और सुबह होने पर रोटी के साथ छाछ में बनी राबड़ी का ही उपभोग करते थे। घर में अगर कोई मेहमान आता था तो उसे भी रोटी और राबड़ी ही दी जाती थी। बाजरे की रोटी और राबड़ी का अच्छा संगम होता था जो सेहत की दृष्टि से भी लाभप्रद होती है।


अब होने लगी बिक्री भी

ग्रामीण परिवेश में तो राबड़ी मुफ्त में मिलती है। लेकिन अब इसको बनाने में प्रयोग होने वाली सामग्री महंगी होती जा रही है। ऐसे में आजकल डेयरी बूथ पर राबड़ी दस से बीस रुपए प्रति गिलास बिक भी रही है।


राबड़ी बनाने का सामान
राबड़ी के निर्माण में बाजरे की घाट, नमक, छाछ, प्याज आदि की जरूरत होती है। राबड़ी बनाने के लिए ज्यादा बेहतर बाजरे का आटा है। किंतु आजकल जौ व गेंहु के आटे से भी लोग राबड़ी बनाने लगे हैं। क्योंकि जौ का आटा बहुत कम मिलता है। गांव की धापा ताई के अनुसार राबड़ी बनाने के लिए हांडी (मिट्टी से बना छोटी मटकी) की जरूरत होती है। हांडी में बाजरे का आटा छाछ में घोलकर धीमी आंच पर पकाते हैं। इसके अंदर बाजरा के कुछ दाने डाल देते हैं तो कुछ लोग चने की दाल भी डाल देते हैं। लंबे समय तक आंच पर पकने के बाद इसे आग से उतारकर रख देते हैं।

क्या कहते हैं चिकित्सक

गर्मियों की सबकी परेशानियों का एक ही उपाय है बाजरे के आटे की छाछ राबड़ी, यह पेट को एकदम ठंडा रखती है, यह गर्मियों में शरीर के अंदर की ताकत को बनाए रखती है, इससे पेट में गैस की समस्या नहीं होती है। सही मायनों में यह गर्मियों का अमृत है। स्वस्थ रहने के लिए गर्मियों में इसे जरूर लेना चाहिए।
-डॉ. वेदप्रकाश शर्मा

Smack smuggling In Jhunjhunu


झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं शहर में कोतवाली थाना पुलिस ने मादक पदार्थ स्मैक की तस्करी के आरोप में मंगलवार को दो जनों को गिरफ्तार है। दोनों आरोपी दो तीन माह से यहां बाहर से लाकर स्मैक बेच रहे थे। इसके लिए बिना नंबर की मोटरसाइकिल व एक कार काम में ले रहे थे। आरोपी अपने सरगना से एक हजार रुपए प्रतिग्राम की दर से स्मैक लाते और अठारह सौ रुपए प्रतिग्राम की दर से बेचते थे। वे युवाओं को ज्यादा निशाना बना रहे थे। के थानाधिकारी सुरेन्द्र देगड़ा ने बताया कि डीएसटी टीम के प्रभारी कल्याण सिंह को सूचना मिली थी। इसके बाद चूरू मार्ग पर नाकाबंदी की गई। आरपीएस कृष्ण राज जांगिड़ ने कार व बिना नंबर की मोटरसाइकिल रुकवा कर दोनों की तलाशी ली तो सौ ग्राम स्मैक बरामद की गई। दोनों वाहनों को जब्त कर लिया गया। दोनों आरोपी सुनसान व पहाड़ी इलाके में स्मैक बेचते हैं। पुलिस इनके सरगना की तलाश कर रही है। पकड़ने वाली टीम में जांगिड़, देगड़ा, कल्याण सिंह के अलावा एएसआई मुलायम सिंह, सिपाही मनरूप, महेश, हैड कांस्टेबल शशिकांत, सुरेश, विक्रम, महेन्द्र, हरीश व संदीप शामिल रहे।
पकड़े गए आरोपी

-दीपक पुत्र बाबूलाल मेघवाल, निवासी सैनिक नगर झुंझुनूं
-मोहम्मद सलीम पुत्र खादिम हुसैन निवासी आजमनगर झुंझुनूं

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