>>: Rajasthan Assembly Election: चीनी कम : गन्ना गायब...कबाड़ में बदली शुगर मिल, न उद्योग-न रोजगार

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रक्तिम तिवारी
बूंदी से निकलकर तालेड़ा, सुवासा, जमीतपुरा के हिचकोले और 20 किलोमीटर तक गड्ढों वाली सडक़ से केशवरायपाटन पहुंचा तो पिछड़ेपन की तस्वीर साफ नजर आ गई। मानो विकास ने तो कोटा-बूंदी हाईवे से इस तरफ आना ही मुनासिब नहीं समझा। नगर पालिका का गौरवपथ जरूर टाट में पैबंद जैसा लगा। इंद्र पुलिया की चाय की थड़ी पर बुजुर्ग मोहनलाल पांचाल मिल गए। केशवराय पाटन में विकास की बात पूछी तो उखड़े अंदाज में बोले.... कुछ काम हुआ हो तो बताऊं। न रोजगार के कोई साधन हैं न ही उद्योग-धंधे। काश्तकारी पर कब तक निर्भर रहेंगे। पीढ़ी दर पीढ़ी खेती-किसानी करते-करते थक चुके हैं।

पाटन : यूपी से बेहतर गन्ना, लेकिन...
सुबह 11 बजे ही सूरज ने आग बरसाना शुरू कर दिया। दोपहर की चिलचिलाती धूप में आगे बढ़ता हुआ मैत्रेयी हनुमान मंदिर के निकट पहुंचा। यहां सीमेंट विक्रे ता राधेश्याम नागर ने कहा गन्ना की पैदावार क्या बंद हुई, हमारे पाटन की चमक ही फीकी पड़ गई। जबकि यूपी के मुकाबले हमारा गन्ना ज्यादा बेहतर क्वॉलिटी का था। गेहूं, सरसों, चावल, धान ही मुख्य फसले हैं। इन्हें बेचने बूंदी या कोटा जाना पड़ता है।
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शुगर मिल... बर्बादी की कहानी
जबरदस्त लू और गर्मी से जयपुर हाईवे पर भट्टी जैसा महसूस हुआ। इसके किनारे बंद पड़ी केशवरायपाटन शुगर मिल बर्बादी की कहानी कहती दिखी। सुरक्षा गार्ड अमन बहुत निराशा में बोला, 1250 क्विंटल प्रतिदिन चीनी बनाने वाली मिल को अब खंडहर या वानरों का घर कह सकते हैं। 2002 का अकाल हमारी मिल को लील गया। 50 करोड़ की मशीनें कबाड़ हो चुकी हैं।

मादक पदार्थ की बढ़ी खपत
उठते-उठते बृजमोहन सिंह बोले और तो विकास का पता नहीं, लेकिन कोटा से अवैध अफीम, डोडा-पोस्त, स्मैक, हेरोइन के कारोबार ने यहां के युवाओं को नशे की दलदल में धकेल दिया है। यहां 45 फीसदी से ज्यादा युवा, प्रौढ़ नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।
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बॉयज कॉलेज न बड़े उद्योग
पैदल चलते-चलते 500 साल पुराने केशवराय मंदिर पहुंचा तो पूरब से पश्चिम की तरफ चम्बल नदी बहती नजर आई। यहां मिले हरिशंकर शर्मा बोले, 74 साल बाद भी लडक़ों के लिए कॉलेज नहीं है...न उद्योग-धंधे हैं, जिनसे रोजगार मिल जाए। यहां के लडक़े या तो पढ़ाई- नौकरियों के लिए कोटा जाते हैं या भोपाल, इंदौर और दूसरे शहरों में।

फ्लोराइड बिगाड़ रहा सेहत
प्यास लगने पर कोर्ट रोड पर वेल्डिंग शॉप के मटके से पानी के लिए हाथ बढ़ाया...वहां बैठे दारासिंह बोले..आप कैंपर से पानी पी लीजिए... केशवराय पाटन में फ्लोराइड युक्त पानी है। यहां 45 प्रतिशत लोग घुटनों, जोड़ और हड्डियों का दर्द झेल रहे हैं। हमारी विडम्बना देखिए पास से चम्बल और कुरैल नदी निकल रही है, हमें मीठा पानी नसीब नहीं हो रहा है। बाजार में मिले ज्ञानसिंह का कहना था कि स्वास्थ्य बीमा, दवाओं, निशुल्क उपचार का लोगों को लाभ मिला है, पर अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में चिकित्सकों की कमी है, अव्यवस्थाएं हैं।

बन सकता है टॉप एग्रो हब
बूंदी रोड पर चाय की दुकान पर इंद्रपुरिया के किसान नागरमल चौधरी मिल गए। काश्तकारी का जिक्र चला तो बोले केशवरायपाटन धान, सरसों, सोयाबीन, गेहूं का कटोरा है। भरपूर पानी और उपजाऊ जमीन सोना उगलती है। सरकार चाहे तो इसे एग्रो हब बना सकती है।

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