>>: Rajasthan Assembly Election: कैलादेवी से आगे बिजली-पानी के लाले...सफर निजी बसों के हवाले, कौन संभाले

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शैलेंद्र अग्रवाल
करौली-हिंडौन रोड पर बसों की कनेक्टिविटी अच्छी होने से इस मार्ग के गांवों में बालिकाओं में भी शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन करौली जिला मुख्यालय से कुडग़ांव, मंडरायल, करणपुर, सरमथुरा आदि के लिए रोडवेज से अच्छी कनेक्टिविटी न होने से प्राइवेट बसों पर निर्भर रहना पड़ता है। करौली से सपोटरा के लिए रोडवेज बस नहीं मिलती। जिला मुख्यालय रेल नेटवर्क से भी दूर है।

करौली में मेडिकल कॉलेज बनने की खुशी है, लेकिन शहर से दूरी के कारण लोग पुराने अस्पताल को बंद करने का विरोध कर रहे हैं। जिला मुख्यालय होने के बावजूद करौली को कोई बड़ा शिक्षण संस्थान भी नहीं मिल पाया है। कैलादेवी में प्रशासन मेले के समय व्यस्त रहता है, लेकिन धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन नहीं मिलने से वहां इन दिनों सूनापन है। बस स्टैंड भी बेहाल है। कैलादेवी से आगे करणपुर तक गांवों में बिजली नहीं होने से लोग सोलर लाइट पर निर्भर हैं। इसके विपरीत डांग क्षेत्र के मंडरायल के आस-पास पानी की समस्या है।

सपोटरा विधानसभा क्षेत्र की कुडग़ांव उप तहसील तक रोडवेज के बजाय निजी बसें ज्यादा चलती हैं। दस हजार आबादी वाले कस्बे के आस-पास करीब 50 गांव हैं, जिनकी आबादी लगभग एक लाख है। यहां से ही इनकी बाजार की आवश्यकताएं पूरी होती है। आस-पास महाविद्यालय नहीं होने से पढ़ाई के लिए युवा करौली या गंगापुरसिटी पर निर्भर हैं। स्थानीय लोगों की नगरपालिका बनाने की मांग है। पिछड़ापन इतना है कि नायब तहसीलदार परिवार सहित रुकने को राजी नहीं होता। इसका चार्ज अक्सर किसी अन्य के पास रहता है। विशेषज्ञ चिकित्सक भी यहां नहीं है। जूस की दुकान चलाने वाले नरोत्तम चौधरी ने बताया, यहां स्थायी बस स्टैंड भी नहीं है। लक्ष्मण चौधरी ने कहा कि कुडग़ांव को तहसील बना दिया जाए तो विकास स्वत: ही दिखने लगेगा।
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कैलादेवी में जिला आयुर्वेद अधिकारी पद से सेवानिवृत्त 78 वर्षीय बजरंगलाल शर्मा से मुलाकात हुई। वे बोले, लोग खेती से तो सम्पन्न हैं, लेकिन कैलादेवी से करणपुर के बीच बसे गांवों में बिजली नहीं है। इस रूट पर शाम को करणपुर तक एक बस जाती है, जो सुबह करौली होकर जयपुर जाती है। इसके अलावा दिन में कोई बस नहीं है। सपोटरा 16 किमी है, लेकिन बस नहीं जाती। यहां पशुपालन काफी है। स्वास्थ्य सुविधा एएनएम के भरोसे है, कोई पीएचसी नहीं है।

 

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करौली जिला मुख्यालय के बस स्टैंड पर दुकान चलाने वाले अशोक चतुर्वेदी का कहना था कि बड़ी समस्या ये है कि नगरपालिका में सुनवाई नहीं होती, शहर में सफाई नहीं है। रोडवेज की 60 प्रतिशत बसें कॉन्ट्रैक्ट पर हैं, जिनका शिड्यूल हिंडौन से तय होता है। बस स्टैंड आधुनिकीकरण का काम सितम्बर तक पूरा होना है।
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मेडिकल कॉलेज में इस साल क्लासेज शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन इसके दूर होने से शहर के पुराने अस्पताल को बंद करने के बजाय सैटेलाइट अस्पताल बनाया जाए। यहां मिले के.के. सारस्वत ने कहा, अच्छा हो कि करौली जिले के कैलादेवी, मदनमोहनजी, श्रीमहावीरजी व मेहंदीपुर बालाजी को आपस में जोडकऱ धार्मिक सर्किट के रूप में विकसित किया जाए। साढ़े चार साल में योजनाएं काफी आई हैं, जिनका लाभ भी मिल रहा है।

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