>>: प्रदेश में नजीर बनेगा शहीद महेन्द्रपाल की मां बाउड़ी देवी का पेंशन प्रकरण, मिलेगी 30 प्रतिशत पेंशन

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नागौर. जिले के नराधना गांव के शहीद महेन्द्रपाल की बुजुर्ग विधवा मां को अब पारिवारिक पेंशन का 30 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। अब तक शहीद की पूरी पेंशन उसकी वीरांगना को मिल रही थी। संभवतया यह प्रदेश का यह पहला मामला है, जब किसी शहीद की पेंशन का विभाजन किया गया है। एक प्रकार यह मामला प्रदेश में उन बुजुर्ग मां-बाप के लिए नजीर बनेगा, जिनके बेटे शहीद हो गए और वीरांगना सारे लाभ लेने के बाद अलग रहने लगी हैं।

गौरतलब है कि नराधना निवासी महेन्द्रपाल नवम्बर 2012 में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। शहीद होने के बाद शहीद के परिवार को मिलने वाली पेंशन, 25 बीघा जमीन व राज्य सरकार से मिलने वाली अनुकंपा नौकरी शहीद की वीरांगना निर्मला कंवर को दी गई। वीरांगना कुछ वर्ष शहीद की मां बाउड़ी देवी के साथ रहने के बाद अलग रहने लगी, जिसके कारण बाउड़ी देवी अकेली रह गई, क्योंकि पति की मृत्यु महेन्द्रपाल जब एक साल का था, उसी समय हो गई। ऐसे में बाउड़ी देवी के लिए जीवन-बसर करना मुश्किल हो गया। स्थिति ज्यादा विकट होने पर बाउड़ी देवी ने 14 सितम्बर 2021 को जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर पेंशन का आधा हिस्सा उसे दिलाने की गुहार लगाई। राजस्थान पत्रिका ने 'सोचा था बुढ़ापा आराम से कटेगा पर शहीद की मां के नहीं सूख रहे आंसू...' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर विधवा मां की पीड़ा को उजागर किया।

कलक्टर सोनी ने लिखा पत्र
शहीद की मां बाउड़ी देवी की पीड़ा को समझते हुए तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने सैनिक कल्याण विभाग राजस्थान के निदेशक को पत्र लिखा। डॉ. सोनी ने पत्र में वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए बाउड़ी देवी को बुढ़ापे में सहायता के लिए वित्तीय मदद का अनुरोध किया। साथ ही जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मुकेश शर्मा की ओर से पूर्व में मुख्यालय को लिखे गए पत्रों का भी हवाला दिया, जिसमें यह बताया गया कि बाउड़ी देवी को पेंशन का हिस्सा दिया जाना चाहिए। करीब 23 महीने बाद रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक पेंशन इलाहाबाद कार्यालय से बाउड़ी देवी को शहीद की पेंशन का 30 प्रतिशत (करीब 14 हजार) हिस्सा देने के आदेश जारी हो गए हैं। जल्द ही पेंशन की 30 प्रतिशत राशि खाते में जमा होनी शुरू हो जाएगी।

पत्रिका ने सुनी मेरी पीड़ा
राजस्थान पत्रिका ने मेरी पीड़ा को सुना और अखबार में खबर दी। जिला कलक्टर व जिला सैनिक कल्याण अधिकारी का भी बहुत अच्छा सहयोग रहा, वरना मेरी कौन सुनता। अब मेरा बुढ़ापा कट जाएगा।

मुझे झटका लगा
मैं जब नागौर का सैनिक कल्याण अधिकारी था, उस समय शहीद महेन्द्रपाल की मां बाउड़ी देवी मुझसे मिली और अपनी माली हालत के बारे में बताया। मैं वास्तविक स्थिति का पता लगाने उनके गांव गया तो देखा कि एक शहीद की मां 62 साल की उम्र में मजदूरी करके पेट भर रही है। मुझे झटका लगा और दु:ख भी हुआ। मैंने उसी समय उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा। जिला कलक्टर ने भी पत्र लिखा, जिसकी बदौलत आज शहीद की मां को पेंशन का 30 फीसदी हिस्सा देने आदेश हुए हैं।
- मुकेश शर्मा, तत्कालीन जिला सैनिक कल्याण अधिकारी, नागौर

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