-केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में नया नियम लागू
-सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद छूटने पर चुकाने होंगे प्रति आइटम 50 रुपए
-टैगिंग के बाद ही मिलेगा पर्यटकों को मिलेगा प्रवेश
भरतपुर .केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में बर्ड वॉचिंग करते समय आपने वहां प्लास्टिक बोतल या फिर कोई भी सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद छोड़ दिए तो आपको प्रति आइटम 50 रुपए चुकाने होंगे। पक्षियों की जान की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए यह कदम घना प्रशासन ने उठाया है। हालांकि पर्यटकों की ओर से की जा रही नासमझी की कीमत मात्र 50 रुपए होना तर्कसंगत नहीं लगता है। फिर भी नवाचार का स्वागत किया जा रहा है।
बतादें, वेटलैंड्स एवं ग्रासलेंड्स के साथ इतिहास की घटनाओं को अपने आंचल में समेटे केवलादेव पक्षियों के साथ स्पोटेड डियर, सांभर, अजगर, विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के पेड़-पौधों का घर है।
तमाम खूबियों के बीच केवलादेव को प्लास्टिक से बचाना, पर्यटकों के साथ खाद्य सामग्री एवं पानी की बोतल के रूप में पार्क के अंदर जाने वाला प्लास्टिक कई बार पर्यटकों की नासमझी की वजह से पार्क में दिखाई पड़ता है, जो कि वन्यजीवन के लिए खतरा साबित हो सकता था।
केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के उप वन संरक्षक मानस ङ्क्षसह ने अनूठी पहल कर घना को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में प्रयास शुरू किए हैं। मानस ने बताया कि पर्यटकों की ओर से पार्क में लाए जाने वाले उत्पादों की पार्क के प्रवेश द्वार पर चेङ्क्षकग की जाती है। प्रत्येक प्लास्टिक निर्मित उत्पाद पर 50 प्रति उत्पाद फीस जमा कर एक टैग लगा दिया जाता है। पर्यटक पार्क भ्रमण कर वापस आते हैं तो टैग लगे हुए उत्पादों की वापस चेङ्क्षकग की जाती है एवं सही संख्या में पाए जाने पर 50 रुपए की फीस वापस कर दी जाती है। संख्या सही नहीं होने पर 50 रुपए जमा कर लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस पहल के बाद पार्क में प्लास्टिक अब न के बराबर है।
पर्यटक बोले, पार्क में प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षित
केवलादेव प्रशासन के प्रयासों एवं कार्यशैली को देख पार्क में दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक प्राकृतिक पर्यावरण को देख अभिभूत हुए हैं। लंदन से आई महिला पर्यटक एमा ने कहा कि वो वहां के प्राकृतिक माहौल को देख कर अचंभित हैं और राजस्थान आने से पहले उन्होंने जिस प्रकार केवलादेव के बारे में सुना था, उससे भी काफी बेहतर पाया। उन्होंने कहा कि पार्क में रहने वाले वन्यजीव एवं पक्षियों के साथ मौजूद वेटलैंड्स एवं उन्हें प्रकृति की ओर आकर्षित करते हैं।
1 जुलाई 2022 से प्रतिबंधित है ङ्क्षसगल यूज प्लास्टिक
प्रदेश में 1 जुलाई 2022 से ङ्क्षसगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध है। ङ्क्षसगल यूज प्लास्टिक के अंतर्गत ऐसे उत्पाद शामिल होते हैं, जिनका उपयोग सिर्फ एक बार करने के बाद त्याग दिया जाता है। ऐसे उत्पादों के अंतर्गत प्लेट, कप एवं ग्लास के साथ प्लास्टिक निर्मित ईयर बड्स, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारों में उपयोग में ली जाने वाली प्लास्टिक डंडियां, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक पीवीसी बैनर, ट्रेए स्ट्रॉ, चाकू, चम्मच, कांटे एवं आइसक्रीम स्टिक्स आदि शामिल हैं।