>>: ना गांधीसागर निखार पाए और ना ही लाखों खर्च कर पार्क को बना पाए यादगार

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भीलवाड़ा. टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा में गांधी सागर तालाब के सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपए डूबोने के बाद नगर परिषद ने गांधी सागर पार्क को भी बदहाल छोड़ दिया। लाखों रुपए खर्च कर तैयार पार्क अनदेखी का शिकार है।


यहां ना पौधे बचे और ना ही लोगों को आकर्षित करने के फव्वारे। गंदगी का ढेर और टूटे झूले-चकरी परेशानी का सबब बने है। गंदगी और दुर्गंध के कारण लोग यहां आने से परहेज करते है। जानकारी के अनुसार गांधीसागर को मिट्टी से भरकर एक कोने में पार्क बनाया गया। आजादी के सूत्रधार महात्मा गांधी के नाम पर पार्क का नामकरण किया,लेकिन उनके सपने और आदर्शों को अफसरों ने तार-तार कर दिया। पार्क निर्माण के बाद इसके रखरखाव पर जिम्मेदार अफसरों ने ध्यान ही नहीं दिया। इससे पार्क बदहाल हो गया। यहां पौधरोपण के लिए रखे सैकड़ों पौधे सूख गए है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि परिषद के ध्यान नहीं देने पर पार्क की सुंदरता के लिए जनचेतना की जरूरत है। लोगों को आगे आना होगा। पार्क कबाड़ बन चुका है। अमृत योजना के तहत पार्क पर लाखों रुपए व्यय बताए गए। जबकि हकीकत में यहां काम नहीं हुआ।
3 बागवान, फिर भी नहीं हो रही देखरेख
गांधीसागर पार्क की देखरेख के लिए तीन बागवान लगे है। इसके बावजूद भी यहां घास बड़ी हो रही है। पौधे सूख रहे है। इन बागवानों पर परिषद हर माह हजारों रुपए खर्च कर रही है। वन विभाग से मंगवाए गए पौधे सूख गए है। टाइलें टूटी हुई है। ओपन जिम के उपकरण टूटे पड़े है।
इनका कहना है...
पार्कों की देखरेख के लिए नया टेंडर करवा रहे है। घास कटिंग के लिए बागवान को निर्देश दिए थे। निशुल्क वितरण के लिए रखे पौधे सूख रहे है तो उनको सही करवाते है।
हेमाराम चौधरी, आयुक्त

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