>>: बीमार बेटे के पिता की गुहार पूरी टीम आकर आईसीयू में जांच कर ले, क्लेम नहीं रोके

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विकास जैन

जयपुर. बीमारी होने पर आर्थिक संकट से बचने के लिए लोग स्वास्थ्य बीमा करवाते हैं। इसमें हजारों रुपया सालाना प्रीमियम लिया जाता है। राजस्थान पत्रिका में मंगलवार के अंक में पहले बीमा कंपनियां करती मनुहार, क्लेम की बारी आती तो मरीज-परिजन लगाते गुहार शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद पीडि़त आगे बढ़कर अपनी परेशानी साझा कर रहे हैं।

पीड़ित मनोज मंगल ने बताया कि उन्होंने एक निजी बीमा कंपनी से लंबे समय से स्वास्थ्य बीमा करवाया हुआ है। इसका वे नियमित रूप से प्रीमियम भुगतान भी कर रहे हैं। उन्हें अपने पुत्र ईशान मंगल (24) की जानलेवा बीमारी एक्यूट फुलमिनेंट वायरल हेपेटाइटिस में कैशलेस सुविधा से इनकार कर दिया गया। वह अब भी निजी अस्पताल के गैस्ट्रो आईसीयू में भर्ती है। उन्होंने बताया कि उनकी केस शीट में रोगी की हिस्ट्री अल्कोहलिक शब्द का उल्लेख कर दिया गया। मंगल ने बताया कि इस उल्लेख पर उन्होंने कंपनी को डॉक्टर के साथ लाइव सत्यापित करने के लिए अपना मेडिकल प्रोफेशन (एमबीबीएस पीजी डॉक्टर) भेजने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि डॉक्टर के पूछने पर उनके पुत्र ने सिर्फ साधारण तरह से किसी अवसर पर शराब के सेवन की बात कही थी। इसे ही कंपनी आधार मानकर स्वीकृति रोक दी। अभी उनका बेटा जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहा है।

सही हो सकते हैं एक प्रतिशत लोग

मनोज ने बताया कि शुरुआत में उनके बेटे का लीवर फेल हो गया था, लेकिन अब लीवर ठीक हो गया है, लेकिन दोनों किडनी पूरी तरह से काम नहीं कर रही। वह नियमित रूप से डायलिसिस पर है। सीने में संक्रमण है और बुखार भी है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में एक प्रतिशत लोग सही हो सकते हैं। इसलिए कंपनी की पूरी टीम को उन्होंने आईसीयू में लाइव केस की जांच करने की मांग की है।

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