>>: भारत छोड़ो आंदोलन: जब राजस्थान के इस शहर की जनता ने बम धमाकों से मचा दी थी खलबली, देखें ये रिपोर्ट

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जोधपुर। प्रदेश में जयपुर प्रजामण्डल एकमात्र प्रजामंडल था, जिसने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लिया। उलटा जयपुर प्रजामण्डल के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री ने जोधपुर को भी दूर रखने का प्रयास किया, लेकिन जोधपुर की जनता ने स्टेडियम, म्यूनिसिपल ऑफिस, रेजिडेंसी और चर्च में बम विस्फोट किए, जिससे सरकार में खलबली मच गई थी। अंग्रेजी सरकार को जोधपुर के राजनीतिक बंदियों को जालोर और सिवाना किले में कैद करके रखना पड़ा था।

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सन 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों के विरुद्ध भारत में सबसे बड़ा आंदोलन 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन माना जाता है। रियायतों में इसका नारा राजाओं अंग्रेजों का साथ छोड़ो था, लेकिन जयपुर में हीरालाल शास्त्री ने सरकार से जेंटलमेंट एग्रीमेंट करके बड़े जनवर्ग को इससे दूर रखा। यह जरूर है कुछ नाराज नेताओं ने बाबा हरिश्चंद्र के नेतृत्व में आजाद मोर्चे का गठन कर इस आंदोलन में थोड़ी बहुत जयपुर की इज्जत बचा ली।

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अन्य जिलों की जनता की भूमिका

- पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने साथियों के साथ मिलकर गुना-कोटा के बीच रेलवे पुल को डायनामाइट से उड़ा दिया।

- बीकानेर महाराजा गंगासिंह और जैसलमेर महारावल ने जनता पर दमन चक्र चलाकर शांति बनाए रखी।

- अलवर, भरतपुर, शाहपुरा में हड़तालों व जुलूस का दौर रहा, लेकिन आंदोलन अधिक जोर नहीं पकड़ा।

- कोटा में युवकों ने पुलिस को बैरकों में बंद करके कोतवाली पर अधिकार कर तिरंगा लहरा दिया।

- डूंगरपुर में स्कूल व बाजारों में हड़ताल की गई। बांसवाड़ा, प्रजापगढ़, सिरोही और झालावाड़ में जुलूस निकले, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

- करौली व बूंदी प्रजामंडल के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।


विक्टोरिया की मूर्ति पर लिखा क्विट इंडिया

मेवाड़ प्रजामंडल ने भारत छोड़ो आंदोलन में सरकार की ईंट से ईंट बजा दी। प्रजामण्डल अध्यक्ष माणिक्यलाल वर्मा ने कहा कि मेवाड़ी हर बार हर-हर महादेव बोलते आए हैं। इस बार भी यही होगा। नाथद्वारा में कई बड़ी घटनाएं हुई। यहां दो छात्रों नरोतम चौधरी और राजेंद्र सिंह ने उदयपुर गुलाब बाग में महारानी विक्टोरिया की मूर्ति पर कालिख पोतकर उस पर क्यूआई (क्विट इंडिया) लिख दिया।


प्रदेश में जयपुर प्रजामंडल भारत छोड़ो आंदोलन से दूर रहा था हालांकि आजाद मोर्चे ने भाग लिया। शेष सब जगह कुछ न कुछ आंदोलन की घटनाएं हुई।

डॉ. भवानीसिंह राजपुरोहित, इतिहास विभाग, जेएनवीयू जोधपुर

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