>>: Good News : राजस्थान में अब यहां भी होंगे बाघ के दीदार, पांचवीं टाइगर रिजर्व को मिली मंजूरी

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जयपुर। आखिरकार रणथम्भौर बाघ परियोजना के दूसरे डिवीजन करौली के कैलादेवी अभयारण्य व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व के लिए एनटीसीए ने अंतिम मोहर लगा दी है। नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की ओर से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद अब करौली व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व बनना तय हो गया है।

इस संबंध में जल्द ही सरकार की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। टाइगर रिजर्व के कोर व बफर इलाके का निर्धारण किया जाएगा। इस संबंध में वन विभाग के एसीएस शिखर अग्रवाल की ओर से मंगलवार को ट्वीट कर जानकारी दी गई है।

गत वर्ष भेजा था प्रस्ताव
वन अधिकारियों ने बताया कि गत वर्ष की शुरुआत में वन विभाग की ओर से यह प्रस्ताव भेजा गया था। जिसमें करौली, धौलपुर, सरमथुरा व भरतपुर को जोडकऱ प्रदेश का पांचवां टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी की जा रही थी। नए टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1058 वर्ग किमी होगा।

इस क्षेत्र को किया गया शामिल
वन विभाग की ओर से पूर्व में उच्च अधिकारियों को भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार करौली की मासलपुर रेंज, धौलपुर के झिरी वन क्षेत्र, भरतपुर के वन क्षेत्र और सरमथुरा वन क्षेत्र को शामिल किया जाएगा।

फरवरी में मिली थी सैद्धांंतिक स्वीकृति
गत वर्ष विभाग की ओर से प्रस्ताव भेजने के बाद एनटीसीए की ओर से फरवरी 2023 में करौली व धौलपुंर के जंगलों को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने के लिए सैद्धांंतिक स्वीकृति जारी की गई थी। इसके बाद इसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया था। कमेटी ने प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का दौरा भी किया था। वर्तमान में करौली व धौलपुर के जंगलों में कुल 9 बाघ-बाघिन है। इनमें से चार करौली में व पांच धौलपुर में है। धौलपुर में तीन शावकों का विचरण भी है।

ये होंगे लाभ
करौली व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने से यहां पर बाघों के संरक्षण तो होगा ही, साथ ही यहां के जंगलों में पाए जाने वाले चौसिंगा, पैंगोलिन व कैराकल कैट जैसी दुर्लभ प्रजातियों का भी संरक्षण हो सकेगा। साथ ही प्रदेश में वाइल्ड लाइफ ट्यूरिज्म में भी इजाफा होगा।

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