>>: अभी तक बाजरे की सरकारी खरीद शुरू नहीं, किसान आड़तियों के हाथ लुट रहे

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अभी तक बाजरे की सरकारी खरीद शुरू नहीं, किसान आड़तियों के हाथ लुट रहे
- किसानों को प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपए की लग रही चपत।

अलवर. जिले के किसान पिछले 17 सालों से बाजरे की सरकारी खरीद के लिए तरस रहे हैं। राजस्थान में बाजरा उत्पादन में अलवर का अव्वल स्थान आता है, लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार की बेरुखी के चलते अभी तक बाजरे की सरकारी खरीद के आदेश नहीं हुए हैं और नहीं अभी सरकारी खरीद के रेट तय हुए हैं। इससे किसानों को पिछले 17 सालों से चपत लग रही है। किसान केवल मंडी में आड़तियों को बेचने को मजबूर हैं। इससे मंडी के आड़तियों को मुनाफा मिल रहा है। जिले में बाजरे की सरकारी खरीद केवल 2005-2006 में की गई। उसके बाद सरकार ने बाजरे की खरीद से मुंह फेर लिया। वहीं केन्द्र और राज्य सरकार किसानों को हर प्रकार से लाभ देने का वादा करती है, लेकिन ये वादे हवाई साबित हो रहे हैं।


खरीफ फसल में अधिक होती है बुवाई
अलवर में होने वाली खरीफ फसल की बुवाई में सबसे अधिक बाजरा की खेती होती है और इसका उत्पादन भी सबसे अधिक होता है। जिले में सत्र 2023 में कृषि विभाग ने तीन लाख 20 हजार हेक्टेयर पर बाजरे की बुवाई का लक्ष्य रखा था। किसानों ने जिले में तीन लाख 25 हजार 500 हेक्टेयर पर बाजरे की बुवाई की। वहीं कृषि विभाग की ओर से बाजरा उत्पादन के आंकड़े अभी नहीं आए हैं। कृषि अधिकारियों को कहना कि अभी जिले में बाजरे की कटाई आदि चल रही है। बाजरे के 15 हजार कट्टे प्रतिदिन पहुंच रहे मंडी में कृषि उपज मंडी में अभी प्रतिदिन 15 हजार से 16 हजार बाजरे के कट्टों की आवक है। बताया जा रहा है कि अभी बाजरे की आवक लगातार जारी है। आने वाले दिनों में कट्टों की संख्या में इजाफा होगा। अलवर मंडी में बाजरे का मूल्य प्रति क्विंटल 1950 से 2200 रुपए तक है। वहीं केन्द्र सरकार की ओर से जारी एमएसपी का रेट 2500 रुपए तय किया गया है। ऐसे में प्रति क्विंटल किसानों को 400 से 500 रुपए की आर्थिक चपत लग रही है।

अलवर कृषि उपज मंडी ने बाजरे की सरकारी खरीद के लिए एफसीआई और राजफेड को पत्र लिखा है। सरकारी खरीद के लिए जानकारी भी मांगी गई, लेकिन अभी खरीद की कोई सूचना नहीं है।

- बाबूलाल मीणा, मंडी सचिव, अलवर

यह कहते हैं जिम्मेदार

बाजरे की सरकारी खरीद करने के संबंध में कोई आदेश नहीं हैं। जैसे ही आदेश आएंगे सूचना दे दी जाएगी। हमारा काम खरीद केन्द्र बनाने का है।
प्रकाश नारायण झा, रजिस्ट्रार सहकारी समिति, अलवर

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