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मेड़ता सिटी.

नाबालिगा के साथ बलात्कार करने के एक मामले में मेड़ता के विशिष्ठ पोक्सो न्यायालय संख्या-द्वितीय ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही आरोपी को 50 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है।

दरअसल, दिसंबर 2021 में पीड़िता के परिवार ने थांवला पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि 6 दिसंबर को 14 साल की नाबालिग घर से स्कूल के लिए निकली थी लेकिन विद्यालय नहीं पहुंची। शाम 6 बजे तक घर नहीं आने पर तलाश भी की लेकिन बच्ची नहीं मिली। इसके बाद 26 दिसंबर 2021 को पुलिस ने नाबालिग को दस्तयाब किया। साथ ही आरोपी प्रधान उर्फ अजय को भी पकड़ लिया। जांच में सामने आया कि आरोपी नाबालिग को ले गया उसके साथ बलात्कार किया। विशिष्ठ लोक अभियोजक नेमाराम बड़ियासर ने बताया कि मेड़ता के विशिष्ठ पोक्साे न्यायालय संख्या- 2 की न्यायाधीश अल्का शर्मा ने इस मामले में फैसला सुनाया।

कोर्ट में 17 गवाह और 26 दस्तावेज किए पेश
न्यायालय ने आरोपी अजमेर जिले के पींसागन पुलिस थाना क्षेत्र के भटसुरी निवासी प्रधान गुर्जर उर्फ अजय (19) पुत्र कालूराम बजाड़ को आईपीसी की धारा 366, 344 और 5 एल/6 पोक्सो एक्ट के तहत 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 50 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से 17 गवाह और 26 दस्तावेज न्यायालय के सामने पेश किए गए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से 2 दस्तावेज पेश किए गए है।

नागौर. शादी के नाम पर ठगी का कारोबार करने वाली युवती के साथ शुक्रवार को दो महिलाएं पुलिस के हत्थे चढ़ी। करीब चार महीने पहले शादी कर चुकी यह युवती दूसरी शादी की फिराक में थी। इनके खिलाफ धोखाधड़ी का एक मामला कोतवाली में दर्ज हुआ, जबकि एक मामले में वो दूसरी शादी के लिए मेड़ता रोड में पकड़ी गईं।

सूत्रों के अनुसार कुम्हारी दरवाजा निवासी देवाराम ने एक रिपोर्ट गुरुवार को कोतवाली थाने में दर्ज कराई। इसमें बताया कि मजदूरी करने वाले नारायण से कुछ समय पहले उसकी दोस्ती हुई थी। नारायण ने किसी मंजू निवासी झारखण्ड से उसकी बात कराई और वह उसकी शादी करवाने की बात करने लगी। उसने बताया कि एक लड़की उसके पास है तो उससे शादी कर लो, उसकी मां बीमार रहती है। उसके लिए डेढ़ लाख रुपए देने पड़ेंगे। इस पर तीन महीने पहले जुलाई में मंजू अपने साथ मीरा साऊ (20) को लेकर नागौर आई। दो अन्य महिलाएं कविता और ममता भी थीं। इन्होंने मां के इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपए लिए और पहले नागौर फिर जोधपुर के आर्य समाज में उसकी शादी करवा दी। शादी के बाद वो दस दिन बमुश्किल रुकी और मां की बीमारी का बहाना बनाकर चली गई। इसके बाद नहीं आई, साथ में वो मंगलसूत्र, पायजेब आदि भी ले गई। बार-बार फोन करने के बाद उसने बात करना तक बंद कर दिया।फिर ऐसे आई वापस

कुछ दिन से मेड़ता रोड निवासी ओमप्रकाश ने इन्हीं नंबरों का हवाला देते हुए शादी की बात की। दलाल मीरा को साथ लेकर मेड़ता रोड पहुंची। यह जानकारी मानव तस्करी विरोधी यूनिट प्रभारी बंशीलाल को हुई। इस पर एसपी नारायण टोगस व एएसपी सुमित कुमार के निर्देश पर बंशीलाल मय टीम मेड़ता पहुंच गए। यहां मेड़ता सीओ नूर मोहम्मद व मेड़ता रोड इंचार्ज लक्ष्मण सिंह ने दबिश देकर इन तीनों को धर-दबोचा। बंशीलाल के नेतृत्व में टीम इनसे पूछताछ कर रही है।इस साल करीब तीन दर्जन वारदात

सूत्र बताते हैं कि इस साल अब तक करीब तीन दर्जन ऐसी वारदात हो चुकी है। शादी के नाम पर कही नकदी तो कहीं सोने के जेवरात लेकर युवतियां चंपत हो चुकी हैं। ये तीन दर्जन मामले तो वो हैं जो पुलिस के पास पहुंचे, कई लोग तो शर्म के चलते पुलिस तक नहीं पहुंचते।अविवाहित युवक शादी के लालच में फंस रहे हैं

सूत्रों का कहना है कि नागौर में अविवाहित युवकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में शादी कराने वाले दहेज इन्हें शादी के लालच में फंसाकर भारी ठगी करने में कामयाब हो जाते हैं। लूट के शिकार अधिकांश लोग तो पुलिस तक नहीं पहुंचते।

-सुगन सिंह सर्किल से लेकर केंद्रीय बस स्टैंड तक अधिकृत-अवैध निर्माणकर्ताओ ने गायब कर दी है पार्किंग की जगह
-निर्माण की स्वीकृति जारी होने के साथ भवनों के बनने के बाद दोबारा जांच नहीं होने से बिगड़ रहे हालात
नागौर. शहरी विकास का दावा करने वाले जिम्मेदारों ने शहर से पार्किंग की जगह ही गायब कर दी। अब स्थिति यह है कि सुगन सिंह सर्किल से लेकर केन्द्रीय बस स्टैंड तक कहीं पर भी पार्किंग नहीं नजर आती है। पार्किंग की जगह वाहन सडक़ों के किनारे, भवनों या दुकानों के सामने आड़े-तिरछे अंदाज में खड़े कर दिए जाते हैं। इसकी वजह से सडक़ों पर चलने के लिए निर्धारित जगह पर पूरे दिन अस्थाई अतिक्रमण रहता है। विशेष बाजारों की हालत बेहद खराब हो चुकी है। स्थिति यह है कि पुराने शहर यानि की परकोटे के अंदर बने बाजारों में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के सामने पूरे दिन खड़े वाहनों की भीड़ यातायात व्यवस्था को बाधित करती रहती है।
शहर के विभिन्न स्थानों में बने व्यवसायिक एवं आवासीय श्रेणी में आने वाले क्षेत्रों में पार्किंग व्यवस्था पूरी तरह से गायब हो चुकी है। सुगन सिंह सर्किल से लेकर केन्द्रीय बस स्टैंड के चौराहे तक नजर डालने पर पार्किंग की जगह कहीं भी नजर नहीं आती है। अव्यवस्था के चलते वाहन अब पार्किंग में नहीं, बल्कि सडक़ों के किनारे ही खड़े नजर आते हैं। इसके चलते हालात इतने खराब है कि लोगों को पैदल तक चलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विशेषकर तिगरी बाजार, तहसील चौक, गांधी चौक, ए रोड, बी रोड, मानासर चौराहा, सुगन सिंह सर्किल, नया दरवाजा, कलक्ट्रेट रोड, किले की ढाल, सदर बाजार, सर्राफा बाजार, पंसारी बाजार एवं पुराना जिला अस्पताल मार्ग आदि क्षेत्रों में पार्किंग व्यवस्था कहीं नजर नहीं आती है।
पार्किंग के लिए जगह रखना अनिवार्य
प्रावधान के तहत आवासीय में हॉस्टल, फ्लेट्स, अपार्टमेंट एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व भवनों के निर्माण के दौरान पार्किंग के लिए जगह छोडऩे का प्रावधान है। प्रावधान के तहत आवासीय में हॉस्टल, फ्लैट, अपार्टमेंट के लिए हर 115 वर्ग मीटर पर एक पार्किंग की जगह होनी अनिवार्य है। इसी तरह से व्यवसायिक निर्माणों में 75 वर्गमीटर में एक पार्किंग होना चाहिए। इसके बाद भी शहर के किसी भी हिस्से में जाने पर पार्किंग की जगह कहीं नजर नहीं आती है। हालांकि परकोटे के अंदर पुराना शहर होने की वजह से राजकीय प्रावधानों में आंशिक छूट भी दी गई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी सरकार पार्किंग की जगह या आम राहगीरों के आवागमन में अवरोध नहीं उत्पन्न कर सकती है। पूर्व के एक मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी पार्किंग की जगह की अनिवार्यता मानी है।
शहर में यह मिले हालात
शहर में गुरुवार को पुराना जिला अस्पताल, सुगन सिंह सर्किल, मानासर चौराहा, कॉलेज रोड, दिल्ली दरवाजा अंदर व बाहर, विजयबल्लभ चौराहा, रेलवे स्टेशन चौराहा, गांधी चौक, पुलिस अधीक्षक आवास के पास एवं सदर बाजार आदि क्षेत्रों में दुकानों व भवनों सामने आड़े-तिरछे अंदाज में वाहन खड़े मिले। इन जगहों पर खड़े वाहनों चलते सडक़ मार्ग के 25-30 प्रतिशत हिस्से तक पूरी तरह से अस्थाई अतिक्रमण नजर आया। इसके चलते पैदल राहगीरों को भी चलने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। खासकर गांधी चौक, किले की ढाल व सदर बाजार आदि क्षेत्रों में। बाजारों में दिन में तो ऐसे हालात मिले कि कि दुकानों के सामने खड़े वाहनों की वजह से हर पांच मिनट में जाम लगता नजर आया।
इसकी भी करनी चाहिए जांच
निर्माण की स्वीकृति लिए जाने के दौरान निर्माण कराने वालों की ओर से नक्शा में बाकायदा पार्किंग व्यवस्था भी दर्शाई जाती है, लेकिन बताते हैं कि निर्माण पूरा होने के बाद उसमें से पार्किंग की जगह गायब कर दी जाती है। नगरपरिषद की ओर से भवन निर्माण पूरा होने के बाद फिर उसकी प्रावधानों के अनुसार जांच नहीं की जाती है। इसका फायदा उठा लोग पूरी पार्किंग व्यवस्था को ही निगल गए हैं। यही नहीं, बल्कि दुकान हो फिर कोई शापिंग मॉल यदि पार्किंग की जगह है कि नहीं, के साथ ही बाजारों में बनी दुकानों के जगह की भी जांच होनी चाहिए कि वह निर्धारित एरिया में ही हैं, या फिर उन्होंने मुख्य मार्ग के हिस्से पर भी सामानों को रखकर अतिक्रमण कर रखा है। ताकि शहर को राहत मिल सके।
इनका कहना है...
शहर में विभिन्न जगहों पर प्रावधानों के अनुसार पार्किंग व्यवस्था निर्धारित की गई है। निर्माण की स्वीकृति के दौरान सभी पहलुओं की जांच होती है। इसके बाद भी किसी स्तर पर यदि गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाती है।
देवीलाल बोचल्लया, आयुक्त, नगरपरिषद

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