>>: ​स्किल और टेक्नोलॉजी बेस हो शिक्षा

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उदयपुर. सामान्य शिक्षा के साथ स्किल और टेक्नोलॉजी बेस की शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ये शिक्षा प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक दी जानी चाहिए। इससे युवाओं को अपना मनपसंद फिल्ड चुनने और उसमें भविष्य बनाने का अवसर मिलेगा। जिस विषय में रुचि हो उसमें काम करने से युवा नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। यह बात राजस्थान पत्रिका से बात करते हुए साइंस कॉलेज के विद्यार्थियों ने कही।

मोहित जैन ने बताया कि प्राइमरी शिक्षा से ही स्टूडेंट्स काे स्किल और टेक्नोलॉजी की शिक्षा देनी शुरू कर देनी चाहिए। केवल सामान्य शिक्षा के आधार पर स्टूडेंट्स का आंकलन करना गलत है। हो सकता है कोई विद्यार्थी स्किल और टेक्नोलॉजी में सामान्य शिक्षा से भी अधिक होशियार हो।
गोपाल कसोटा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी रहती है। सरकारी नौकरी वाले लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाते हैं। सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इन स्कूलों में शिक्षकों की भी रैंकिंग तय होनी चाहिए।

सोहन मेघवाल ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में केवल अंग्रेजी पर ही अधिक ध्यान दिया जाता है। हिंदी और अन्य भाषाओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। संस्कृत को पूरे विश्व के लोग वैज्ञानिक भाषा के रूप में मान चुके हैं। इसके बावजूद स्थनीय भाषाओं को तवज्जों नहीं दी जा रही।
लक्ष्यराजसिंह चौहान ने कहा कि सामान्य शिक्षा की कक्षाओं के साथ स्पाेर्ट्स, स्किल डवलपमेंट, टेक्नोलाॅजी के कोर्स भी होने चाहिए। सामान्य शिक्षा से कई विद्यार्थी मानसिक अवसाद में आ रहे हैं। इससे वे भटककर या नशा, बीमारी और आत्महत्या तक कर रहे हैं। हर प्रकार की शिक्षा देने से विद्यार्थी अवसाद में नहीं जाएगा।

लक्षराजसिंह चूंडावत ने कहा कि विद्यार्थियों को समय-समय पर मोटीवेट करने की आवश्यकता है। इसके लिए स्कूल कॉलेज में मोटिवेशनल स्पीकर और काउंसलर को बुलाकर चर्चाए होनी चाहिए। इससे बच्चों को अपने गोल के बारे में पता चलेगा और वे सही मार्ग चुन सकेंगे।
योगेंद्र सिंह राणावत ने बताया कि आरक्षण की सुविधा आर्थिक आधार पर होनी चाहिए। सरकारी योजनाओं का लाभ और विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति समय पर दी जाए। कई विद्यार्थी पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन करने के चक्कर में नौकरियां करते हैं। उनका पढ़ाई से ध्यान हट जाता है। ऐसे विद्यार्थियों को लाभ होगा।

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