>>: 130 बोरिंग हो जाती तो 2 लाख आबादी का गला होता तर...एक साल से सो रहा नगर निगम

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गर्मी में एक बार फिर पानी को लेकर हाहाकार मचने वाला है। पानी की कमी के चलते अभी से कई इलाकों में दो दिन में एक बार पानी की सप्लाई हो रही है। इस समस्या का कुछ हद तक समाधान हो सकता था, अगर 130 ङ्क्षसगल फेस बोङ्क्षरग शहर को मिल जाते। नगर निगम की बोर्ड बैठक में एक साल पहले प्रस्ताव पास हुआ था कि हर वार्ड में दो ङ्क्षसगल फेस बोङ्क्षरग खोदे जाएंगे। मगर यह प्रस्ताव कागजों में ही दबकर रह गया। अगर ये बोङ्क्षरग खुद जाते तो करीब 2 लाख लोगों का गला तर होता। हालत यह है कि अभी तक पार्षदों से प्रस्ताव तक नहीं मांगे गए।

इस तरह आया था पानी का प्रस्ताव
पिछले साल मार्च में बोर्ड बैठक के दौरान पानी संकट को लेकर हंगामा हुआ। पार्षदों ने प्रस्ताव रखा कि हर वार्ड में दो-दो ङ्क्षसगल फेस बोङ्क्षरग खोदे जाए। एक बोङ्क्षरग पर करीब 4 लाख का खर्च आएगा। ऐसे में 8 लाख रुपए बोङ्क्षरग पर खर्च की मंजूरी दी जाए। तय हुआ कि बोङ्क्षरग जहां-जहां होनी हैं, उसके लिए नगर निगम पार्षदों से प्रस्ताव लेगा। प्रस्ताव पास हो गया और 6 माह बीत भी गए, मगर कुछ नहीं हुआ। कुल मिलाकर तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन बोङ्क्षरग के प्रस्ताव पार्षदों से नहीं जुटाए गए।

पार्षद बोले- बोर्ड बैठक मजाक बनकर रह गई
पार्षद सतीश यादव का कहना है कि गर्मी आ रही है। पानी का संकट फिर होगा। नगर निगम इस प्रस्ताव पर पिछले साल काम करता तो इस बार जनता को पानी मिल जाता। पार्षद विक्रम यादव का कहना है कि बोर्ड बैठक मजाक बनकर रह गई है। वहां जो भी प्रस्ताव पास होते हैं वह धरातल पर नहीं आते। पार्षद नारायण साईंवाल का कहना है कि निगम जनता के हित में काम नहीं करना चाहता।
इनका कहना है
इस प्रस्ताव पर काम चल रहा है। जल्द ही पार्षदों से जगह का चिन्हीकरण करवाया जाएगा, ताकि काम जल्द शुरू हो सके।
मनीष फौजदार, आयुक्त, नगर निगम

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