किसी भी काम को शुरू करने से पहले इरादे मजबूत होने चाहिए। साथ ही, समय के साथ आपको अपग्रेड होना पड़ता है और लोगों की पसंद का ध्यान रखना पड़ता है, तभी सफलता आपके कदम चूमेगी। हो सकता है कभी विपरीत परिस्थितियों का सामना भी करना पड़े, यह कहना है भोपाल की अनुभूति ब्योहार शर्मा का, जो एक डिजाइनर हैं और उन्होंने अपने काम को पैन इंडिया ब्रांड बना लिया है। अनुभूति ने एनआईएफटी मुंबई से 2008 में फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद हैंडलूम में अपना कॅरियर बनाया। अनुभूति बताती हैं कि जब वह मुंबई से ग्रेजुएशन करने के बाद अपने शहर आने के बाद म्यूजियम और हैंडलूम मेलों में जाती तो कुछ न कुछ जरूर खरीदती थीं। उन्होंने देखा कि ट्राइबल आर्ट दीवार, पेंटिंग आदि तक ही सीमित है तो उन्हें लगा कि इस आर्ट को कपड़ों पर लाया जाए।
गौंड पर नहीं हो रहा था काम
अनुभूति बताती हैं कि उन्होंने देखा कि मध्यप्रदेश में गौंड कला उपेक्षित हो रही है, जो थोड़ा काम हुआ है वह पेपर और दीवारों पर ही सीमित है। उन्होंने साड़ी, दुपट्टे और कुशन पर इस कला को उतारना शुरू कर दिया। भोपाल में पहली एकल प्रदर्शनी की, तो थोड़ा आत्मविश्वास बढ़ा, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस ने तीसरी प्रदर्शनी में बुरी तरह से नुकसान करवाया। तब समझ में आया कि आत्म निरीक्षण करना जरूरी है। काम करने का तरीका बदला और ब्रांड बड़ा होता चला गया। आज वह दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।
20 से 25 लोगों की टीम
अनुभूति बताती हैं उनके पास हमेशा 20 से 25 लोगों की टीम रहती है। इसके अलावा कई शहरों में कारीगर हैं। जिन्हें फोन पर आइडिया देकर काम करवाती हैं। वह अभी गौंड कला को प्लेट, ट्रे, बुड, की-रिंग, फोटो फ्रेम और मोमेंटो पर उतार रही हैं, जिससे इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।
यूएस तक डिमांड - वह खुद भोपाल की हैं लेकिन शादी चंडीगढ़ में हुई। ऐसे में वह अब चंदेरी और फुलकारी को मिलकर नई डिजाइन बनाने पर काम कर रही हैं। उनके प्रोडक्ट्स की सप्लाई यूएस, यूई, दिल्ली और बैंगलूरु जैसे बड़े शहरों में है।