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बड़ा सवाल? 100 किमी तक प्राकृतिक आवास नहीं, आखिर कहां से आया लेपर्ड Saturday 16 March 2024 04:12 AM UTC+00 ![]() Leopard in Jodhpur : शहरी क्षेत्र में लेपर्ड की दस्तक ने जहां वन विभाग की धड़कनें बढ़ा दीं, तो वहीं सूरसागर, बालसमंद क्षेत्र के लोग दिनभर दहशत में रहे। वन विभाग की टीमें लेपर्ड के पगमार्क को देखते हुए बालसमंद झील के बेक वाटर क्षेत्र में उसकी तलाश कर रही है, लेकिन बड़ा सवाल अब भी लेपर्ड के शहरी क्षेत्र में आने को लेकर है, क्योंकि यहां से करीब 100 किमी की रेंज में इनका प्राकृतिक आवास नहीं है। घनी आबादी व शोरगुल के कारण आमतौर पर यहां लेपर्ड नहीं आते हैं। हालांकि कायलाना-तख्तसागर की पहाड़ियों में काफी साल पहले लेपर्ड पाए जाते थे। करीब 13 साल पहले शहर के बासनी क्षेत्र में पाली से आए एक लेपर्ड को रेस्क्यू किया गया था। कुछ दिन पहले बालेसर से जिस लेपर्ड को रेस्क्यू किया गया था, उसने बंद पड़ी खदानों में अपना आसरा बना रखा था। ऐसे में यहां भी सूरसागर के काली बेरी-भूरी बेरी व बालसमंद क्षेत्र की खदानों में ही लेपर्ड के आसरा लेने की आशंका जताई जा रही है इससे पहले 28 नवंबर 2010 को शहरी क्षेत्र के बासनी में एक फैक्ट्री में लेपर्ड मिला था। तब वन विभाग के श्रवणसिंह राठौड़ व उनकी टीम ने रेस्क्यू किया था। कुछ साल पहले पंचकुड़ा में भी इस प्रकार से लेपर्ड मूवमेंट व पगमार्ग मिले थे, टीम ने सर्च किया, लेकिन तब कोई सुराग नहीं मिले थे। पालतू जानवरों पर करते हैं हमला हर परिस्थिति के साथ तालमेल बैठा लेता है लेपर्ड यह भी पढ़ें- राजस्थान के इस शहर में आधी रात घुसा लेपर्ड, लोगों में दहशत, VIDEO हुआ वायरल |
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