राजस्थान पथ परिवहन निगम की बसों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग आवाजाही करते हैं। सरकार की ओर से आमजन को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई प्रकार की रियायतें उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन सरकार की ओर से पिछले कई वर्षो से नई बसों की खरीद नहीं करने के कारण स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। स्थिति यह है कि अधिकांश बसें अपनी क्षमता से अधिक चल चुकी है। बसों को दुरुस्त करने के लिए सामान नहीं मिलने के कारण आए दिन बसों का ब्रेकडाउन होना आमबात हो गई है। कई गांवों में बसों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई है। इसके बावजूद इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में सिर्फ 12 से 13 हजार किलोमीटर बसें चल रही है, जबकि पहले यह 20 हजार किमी से अधिक संचालित होती थी।
अछूते गांव तो कई जगह बंद हुई रोडवेज
जानकारों के अनुसार बसों की कमी के कारण कई रूट पर बसों का संचालन बंद हो गया है। गांवगुड़ा, कोसीवाडा, भैंसाकमेड, मजेरा, केलवाड़ा, जेतपुरा, पारड़ी, उमरी, साकरदा, माकरडा, डीडवाना, एमडी, अमलोई, राज्यावास, रेलमगरा, गिलुण्ड, मोही, पीपली आचार्यान, कुरज, जूणदा, जवासिया, मातकुंडिया, खमनोर सहित कई गांवों में रोडवेज बसों की आवाजाही बंद हो गई है तो कुछ इससे अछूते हैं। इसी प्रकार सूरत, इंदौर, सीकर, बीकानेर, भीनमाल, निम्बाहेड़ा, प्रतापगढ़ आदि के लिए बसें पहले ही बंद हो गई है।
फैक्ट फाइल
- 65 परिचालकों के पद डीपो में स्वीकृत
- 30 रोडवेज और13 बस सारथी कार्यरत
- 66 पद डीपो में चालकों के पद स्वीकृत
- 45 रोडवेज और 15 अनुबंध पर कार्यरत
- 35 मैकेनिकों के पद स्वीकृत, 8 कार्यरत
- 31 रोडवेज की बसें वर्तमान में डीपों में
- 28 बसें वर्तमान में हो रही संचालित
यह मिल रही बसों में रियायतें
प्रदेश में विभिन्न श्रेणी के व्यक्तियों को राजस्थान सरकार की ओर से नि:शुल्क और रियायती यात्रा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें स्वंतत्रता सैनानी, पत्रकार, युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं को, पदमपुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षक, अंतरराष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तरीय खिलाड़ी, शौर्य पदक धारक, नेत्रहीन, श्रवण बाधित, दिव्यांग, एड्स रोगी, कैंसर रोगी, विद्यार्थी, महिलाएं, बुजुर्गो एवं मेलो में श्रद्धालुओं सहित 53 तरह की रियायतें उपलब्ध कराई जा रही है।
बसों की स्थिति खराब, आए दिन हो रही खड़ी
रोडवेज प्रबंधन के अनुसार 17 बसें 2017 मॉडल, 2 बसें 2020 मॉडल, 12 बसें 2013 मॉडल की है। वहीं 2013 की 3 मिनी बसें हुई कंडम हो चुकी है। रोडवेज प्रबंधन के अनुसार आठ साल या आठ लाख किलोमीटर चली बसों को कंडम मानकर उन्हें ऑफ रूट कर दिया जाता है। ऐसे में राजसमंद डिपो की अधिकांश बसें कंडम हो गई है। राजसमंद डीपो में कई बसें 12 से 13 लाख किलोमीटर चल चुकी है। ब्रेक डाउन के कारण कभी कहीं भी खड़ी हो जाती है। तीन-चार दिन पहले दो बसें एक साथ ब्रेकडाउन हो गई थी।
पाट्र्स आने लगे, वर्तमान में कोई रूट नहीं किया बंद
बसें काफी पुरानी हो गई है। बसों को दुरुस्त करने के लिए सामान नहीं आ रहा था, अब सामान आ गया है। बसों को संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में कोई रूट बंद नहीं किया गया है। जो पहले बंद है उसके बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। नई बसें मिलने पर ही स्थिति में सुधार होगा।
- महेश उपाध्याय, चीफ मैनेजर, राजसमंद डीपो