>>: सरकार से वार्ता में रेजिडेंट डॉक्टर्स की मांगों पर बनी सहमति, हड़ताल समाप्त से पहले निकाली बलि का बकरा रैली

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Resident Strike : कांवटिया अस्पताल के गेट पर खुले में प्रसव मामले में रेजिडेंट चिकित्सकों को निलंबित करने के विरोध में चल रही रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल रविवार को समाप्त हो गई। मामले को लेकर रविवार शाम को छह बजे से रात साढ़े आठे बजे तक निदेशालय में वार्ता हुई। जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह, चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान, संयुक्त शासन सचिव जगजीत सिंह, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजीव बगरहट्टा समेत कई शामिल रहेे। वार्ता में सरकार ने मांग पर सभी रेजिडेंट्स का निलंबन वापस लेने सहित अन्य मांगों पर सहमति जता दी। जिसके बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई है।

 

इन मांगों पर बनी सहमति

  • रेजीडेंट डॉक्टर्स का निलंबन वापस लेने व कारण बताओ नोटिस जारी करने की कार्यवाही करने के निर्देश।
  • हड़ताल अवधि को डे ऑफ/राजकीय अवकाशों में समायोजित करने के भी निर्देश।
  • रेजीडेंट चिकित्सकों के भविष्य को देखते हुए उनकी वाजिब मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

 

इससे पहले रविवार सुबह जार्ड के नेतृत्व में रेजिडेंट चिकित्सकों ने एक अलग अंदाज में रैली निकाल कर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। उन्होंने बलि का बकरा रैली निकाल कर सरकार के प्रति रोष जताया। बकरा रैली सुबह एसएमएस मेडिकल कॉलेज से निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में रेजिडेंट चिकित्सकों ने मुंह पर बकरे का मुखौटा लगाया। इस दौरान जार्ड के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमावत ने बताया कि हर बार गलती होने पर सीनियर चिकित्सकों को कार्रवाई से बचा लिया जाता है और रेजिडेंट चिकित्सकों को बलि का बकरा बना दिया जाता है।

 

मरीजों का रहा हाल-बेहाल
रेजिडेंट चिकित्सकों के संपूर्ण कार्य बहिष्कार की वजह से प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के हाल बेहाल रहे। ओपीडी, आइपीडी से लेकर इमरजेंसी ब्लॉक की चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित रहीं। वार्डों में भर्ती मरीज को भी परेशान होना पड़ा। सबसे ज्यादा दिक्कत सर्जरी के मरीजों को रही क्योंकि रेजिडेंट के अभाव में रूटीन ऑपरेशन रद्द हो गए।

 

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