>>: डेढ़ साल बीता...काली मोरी अंडरपास को अटकाए हुए है पीडब्ल्यूडी

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अलवर. करीब डेढ़ साल बीत गया लेकिन पीडब्ल्यूडी काली मोरी पर अंडरपास नहीं बना पाया। हर दिन सैकड़ों छात्र व आमजन रेल की पटरी पार कर रहे हैं। हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। इसकी ङ्क्षचता न पीडब्ल्यूडी को है और न रेलवे को। हैरत तो ये है कि रेलवे को निर्धारित शुल्क भी पीडब्ल्यूडी दे चुका लेकिन रुकावट कहां आ रही है, ये किसी को पता नहीं है।

नहीं मिल पा रहा है ब्लॉकेज
अंडरपास के लिए गाटर आदि आ गए। पीडब्ल्यूडी की ओर से निर्धारित शुल्क भी ब्लॉकेज के लिए रेलवे को दे दिया गया लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी का कहना है कि रेलवे की ओर से ब्लॉकेज मिलेगा तभी काम शुरू हो सकेगा। वहीं जानकार कहते हैं कि इस कार्य में लगातार देरी हो रही है। साथ ही पटरी पार करते समय दुर्घटनाओं की भी आशंका बढ़ रही है। रेलवे को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि हादसे आदि न होने पाएं।

इस तरह लाया गया था प्रस्ताव
ईटाराणा ओवरब्रिज व इसके आसपास कुछ हादसे पटरी पर हुए। इसको देखते हुए पीडब्ल्यूडी की ओर से काली मोरी पर अंडरपास बनाए जाने को लेकर निर्णय लिया गया। दिसंबर 2022 में प्रस्ताव बन गया। पटरी के उस पार बिजली निगम का कार्यालय है। कई कंपनियां हैं और कोङ्क्षचग सेंटर भी संचालित हो रहे हैं। सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज भी बना है। हर दिन सैकड़ों छात्रों का पटरी पार कर आना-जाना होता है। क्योंकि ईटाराणा ओवरब्रिज से घूमकर आने में छात्रों को 15 मिनट तक लगते हैं और पटरी पार करने में तीन से चार मिनट। ऐसे में यहां अंडरपास बनाए जाने को लेकर बजट पास हुआ। करीब 6 करोड़ रुपए इस पर खर्च होने थे।

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