
जयपुर. प्रशासनिक इकाइयों के लिहाज से बड़ा प्रदेश होने के बावजूद राजस्थान का छोटा आईएएस काडर आरएएस अधिकारियों के भविष्य पर भारी पड़ रहा है। हालात यह हैं कि गुजरात और इसके जैसे राजस्थान से छोटे अन्य राज्यों में जहां राज्य प्रशासनिक सेवा के 2001 से 2009 तक के बैच के अधिकारी पदोन्नत होकर आईएएस बन चुके, वहीं हमारे यहां प्रमोशन की गाड़ी उनसे वर्षों पीछे 1991 बैच पर अटकी पड़ी हैं।
प्रदेश में फिलहाल 33 जिलों पर 313 आईएएस अधिकारियों का काडर है, जबकि गुजरात में 25 जिलों के बावजूद भी आईएएस का स्वीकृत काडर 313 का ही है। प्रशासनिक दृष्टि से बड़ा राज्य होने के कारण हमारे यहां आरएएस काडर तो तीन गुणा हो गया, लेकिन राज्य सरकारें इस अनुपात में केन्द्र से आईएएस काडर बड़ा नहीं करा पाईं।
दोनों सेवाओं के बीच इतने अंतर का नतीजा यह कि निचली सेवा से अधिकारी योग्यता को अर्जित करते रहे, लेकिन इस अनुपात में सीटें नहीं होने के कारण आइएएस बनने के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ रहा है। शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई पदोन्नति बोर्ड की बैठक में भी सिर्फ 1991 से 1994 बैच तक के अधिकारियों की संभावनाओं पर ही विचार हो पाया।
यों समझें मामला
राजस्थान में फिलहाल आईएएस का स्वीकृत काडर 313 का है, जबकि आरएएस का 1050 का है। आइएएस में पदोन्नति के जरिए चयन के लिए राज्य सेवा से 81 पद स्वीकृत हैं। आईएएस में प्रमोशन कोटा के जितने अधिकारी हर साल रिटायर होते हैं, उसी आधार पर आरएएस से चयन होता है। पेंच यह फंसता है कि आरएएस का तीन गुणा काडर होने के कारण हर साल यहां कई अधिकारी योग्यता तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन आईएएस काडर के छोटे होने के कारण इस अनुपात में पद ही नहीं मिल पाते।
एक पद पर साढ़े तीन आरएएस का अनुपात
दोनों सेवाओं के कार्यबल में अंतर का तुलनात्मक विश्लेषण करें तो गुजरात में 313 के आईएएस काडर पर राज्य सेवा का काडर 245 का है। ऐसे में आईएएस के हर रिक्त पद पर राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों का अनुपात 0.78 है। यानि हर काडर वर्ष में योग्य होने वाले अधिकतर अधिकारी पदोननति पा जाते हैं। जबकि हमारे यहां एक पद पर यह अनुपात 3.3 का आता है।
पदोन्नति के हाल
राज्य— 2018 तक पदोन्नत बैच
गुजरात— 2003
आन्ध्र प्रदेश— 2009
मध्यप्रदेश— 1997
तमिलनाडु— 2005
छत्तीसगढ़— 2000
पंजाब— 2001
हरियाणा— 2005
September 26, 2020 at 07:00AM