>>: बकाया है 17 हजार 926 करोड़ की सब्सिडी, कैसे फायदे में आएं बिजली कम्पनियां

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भूपेन्द्र सिंह

अजमेर. सरकार कृषि उपभोक्ताओं तथा लघु घरेलू (बीपीएल सहित) उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली तो दे रहे ही लेकिन इसके पेटे दी जा रही हजारों करोड़ रूपए की सब्सीडी बिजली कम्पनियों को नहीं मिल रही है। पिछले 5 सालों में सब्सीडी मिलने की राशि में लगातार कमी आ रही है। राज्य की तीनो विद्युत वितरण निगम कम्पनियों की बात करें तो सब्सीडी की राशि 17 हजार 296 करोड़ रूपए तक पहुंच चुकी है। अकेल अजमेर विद्युत वितरण निगम की ही सब्सीडी के रूप में 3771 करोड़ 28 लाख रुपए वित्तीय वर्ष 2015-16 से सब्सीडी के रूप में बाकया चल रहा है। अजमेर डिस्कॉम ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में औसतन 4.54 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीदी। जबकि किसान को यह बिजली 90 पैसे पर दी गई। जबकि बीपीएल से 100 यूनिट तक सब्सीडाइज रेट पर बिजली दी जाती है। इससे लगातार घाटा बढ़ता है।

राज्य सरकार प्रतिवर्ष विभिन्न योजनाओं में कृषकों एवं अन्य उपभोक्ताओं को विद्युत दर में सब्सिडी के तौर पर छूट देती रही है यह छूट उपभोक्ता को तो प्रतिवर्ष प्राप्त हो जाती है लेकिन डिस्कॉम को यह राशि अनुदान के रूप में वर्षों बाद भी नहीं मिल रही है जो कि डिस्कॉम को अपनी तरफ से उपभोक्ताओं को देनी पड़ रही है। इससे बिजली कम्पनियों घाटा बढ़ रहा है। इससे पूर्ति के लिए बिजली कम्पनियां बिजली की दरें बढ़ाने के लिए राजस्थान विद्युत नियामक आयोग के समक्ष की याचिका दायर करती है।

यह हो रहा नुकसान

जब राज्य सरकार उपभोक्ताओं को सब्सिडी के तौर पर छूट देने का फैसला करती है तो वह राशि डिस्कॉम को सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को देनी होती है परंतु सब्सिडी की राशि डिस्कॉम के खाते में कई वर्षों के बाद आती है। जिससे डिस्कॉम को अरबों रुपए का घाटा सहन करना पड़ता है। डिस्कॉम प्रति यूनिट बिजली की दर मार्केट दर से खरीद कर उपभोक्ताओं को देता है और ऊपर से सब्सिडी भी उपभोक्ताओं को देनी पड़ती है परंतु राज्य सरकार की देरी की वजह से डिस्कॉम घाटे में दिखाई देता है। जहां एक तरफ राज्य सरकार हर वर्ष बिजली कंपनियों को फायदे में लाने के लिए नित्य नई योजनाएं बनाती है वहीं सरकार जनता को खुश करने के लिए बिलों में सब्सिडी की घोषणा भी कर देती है लेकिन यह सब्सीडी की राशि जारी नहीं की जा रही है।

यह पिछले पांच वर्षो का हाल

वित्तीय वर्ष 2015-16 की 248 करोड़ 28 लाख रूपए। 2016-17 की 341 करोड़ 40 लाख रूपए। वर्ष 2017-18 की 332 करोड़ 69 लाख रूपए, वर्ष 2018-19 की 654 करोड़ 8 लाख रूपए और वर्ष 2019-20 की 1180 करोड़ 37 लाख रुपए और वित्तीय वर्ष 2020-21 की अनुमानित 1014 करोड़ 48 लाख रुपए की सब्सीडी बकाया चल रही है।

श्रेणीवार उपभोक्ताओं पर बकाया

सब्सिडीअजमेर विद्युत वितरण निगम के कृषि उपभोक्ताओं तथा घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली सब्सीडी देते हुए सस्ती दी जाती है। निगम की वित्तीय वर्ष 2020-21 में 5 लाख 46 हजार 947 कृर्षि उपभोक्ताओं की 3679 करोड 94 लाख रुपए की सब्सिडी सरकार ने नहीं दी है। जबकि 22 लाख 94 हजार 135 घरेलू उपभोक्ताओं (बीपीएल सहित) की 357 करोड़ 8 लाख रुपए की सब्सिडी बकाया है।

1355 करोड़ रूपए का बिल भी बकाया

अजमेर विद्युत वितरण निगम को जहां सरकार से 3731.28 करोड़ रूपए की बकाय सब्सीडी नहीं मिल रही है वहीं निगक के तहत आने वाले 11 जिलों के लाखों उपभोक्ताओं पर निगम का 1355 करोड़ रूपए का बिजली बिल भी बकाया चल रहा है। वहीं राज्य सरकार का 285 करोड़ 11 लाख 36 हजार रूपए का बिल पहले से भी बकाया चल रहा है जोकि बिल की राशि के बेटे हैं वह भी सरकारी विभाग समय पर जिस काम को चुकाने में नाकाम रही है।

मांगा ब्यौरा

राज्य सरकार ने यूओ नोट कर तीनो डिस्काम मोको टैरिफ सब्सिडी के जून 21 तक टैरिफ सब्सिडी के बकाया 17 हजार 296 करोड रुपए जारी करने के लिए बकाया राशि के संपूर्ण जानकारी मांगी है। वहीं ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला बकाया राशि के लिए कोरोना तथा सरकार की वित्तीय हालत सही नहीं होने की बात कह चुके हैं।

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