>>: रोडवेज स्टैण्ड पर कार्मिकों का टोटा भी बढ़ाता है मुसीबत

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करौली. जिला मुख्यालय पर स्वीकृत रोडवेज डिपो का स्वतंत्र संचालन नहीं होने से ना केवल जिले के विभिन्न इलाकों के बाशिंदों को समुचित परिवहन सेवाओं से वंचित रहना पड़ रहा है, बल्कि केन्द्रीय रोडवेज बस स्टैण्ड पर स्टाफ का टोटा भी मुसीबत बना हुआ है। स्टाफ की कमी से यात्रियों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। शहरवासी कहते हैं कि जब यहां के बस स्टैण्ड से रोडवेज को खूब आय हो रही है तो डिपो का स्वतंत्र संचालन किया जाना चाहिए। इसके लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार स्तर पर उचित पहल की दरकार है।

रोडवेज निगम के सूत्र बताते हैं कि करौली के केन्द्रीय रोडवेज बस स्टैण्ड पर पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। ऐसे में व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हैं। डिपो का संचालन हिण्डौन डिपो के अधीन होने से वहीं से ही सभी व्यवस्थाएं की जाती हैं। वर्तमान में स्टैण्ड पर करीब आधा दर्जन कार्मिक लगे हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार जिला मुख्यालय से विभिन्न स्थानों से लिए रोडवेज बसें रवाना होती हैं, जिनके लिए दो टिकट खिड़की हैं, लेकिन दोनों टिकट खिड़कियों पर केवल ३ कार्मिक ही कार्यरत हैं। इनकी ड्यूटी अलग-अलग समय लगती है। ऐसे में परेशानी होती है। पहले यहां चार कार्मिक कार्यरत थे, लेकिन एक कार्मिक को हिण्डौन रोडवेज प्रबंधन ने यहां से हटा दिया। ऐसी स्थिति में किसी कार्मिक के अवकाश पर जाने पर एक विण्डो बंद हो जाती है। जिससे एक मात्र टिकट खिड़की से ही टिकट दिए जाते हैं, जिसके चलते एक खिड़की पर दबाव बढ़ जाता है और यात्रियों को टिकट की खातिर इंतजार करना पड़ता है।

करौली डिपो के लिए स्वीकृत हैं पद
रोडवेज सूत्रों के अनुसार मुख्यालय की ओर से करौली डिपो के लिए चालक, परिचालक, मंत्रालयिक कर्मचारी, प्रबंधक यातायात के नाम से पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन कार्मिकों की ड्यूटी की व्यवस्था हिण्डौन आगार से ही होती है। केवल ६ कार्मिकों को ही यहां लगाया हुआ है। इन ६ कार्मिकों में तीन को टिकट खिड़की, दो को पूछताछ केन्द्र तथा एक कार्मिक को आरएफआईडी (रोडवेज के रियायती कार्ड) सहित बस स्टैण्ड की अन्य व्यवस्थाओं का जिम्मा सौंपा हुआ है। इनमें भी जब भी कोई कार्मिक अवकाश पर जाते हैं तो व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती है।

विभिन्न मार्गों पर जाती हैं बसें
करौली जिला मुख्यालय से जयपुर, ग्वालियर, कैलादेवी, अलवर, दिल्ली, भरतपुर, गंगापुरसिटी, सपोटरा, मण्डरायल, करणपुर आदि स्थानों के लिए रोडवेज बसों का संचालन होता है। इन सब स्थानों के टिकट दो खिड़कियों से दिए जाते हैं, लेकिन कई बार कार्मिकों के अभाव में ऐसी नौबत आती है कि एक ही टिकट खिड़की का संचालन करना पड़ता है। यानि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कार्मिक नहीं हैं।

प्रतिदिन सवा से डेढ़ लाख तक की आय
सूत्र बताते हैं कि लॉक डाउन से पहले तक करौली स्टेण्ड पर टिकटों के जरिए सवा से डेढ़ लाख रुपए तक की राजस्व आय होती रही है। वर्तमान में अभी सभी गाडिय़ों का संचालन नहीं है। इसके बावजूद ८०-८५ हजार रुपए प्रतिदिन की राजस्व आय हो रही है। गौरतलब है कि अप्रेल माह में भरतपुर जोन में करौली डिपो द्वारा सर्वाधिक आय अर्जित करने पर जोनल डिपो ऑफ दी मन्थ घोषित किया गया है।

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