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रिपोर्ट: राजीव पचौरी, विनोद कुमार शर्मा

कुशल योद्धा की तरह लड़े और पा ली फतह

भरतपुर. पहली लहर ने जहां डराया था। वहीं दूसरी लहर ने झकझोर सा दिया। खास तौर से दूसरी लहर में युवाओं के संक्रमित होने से चिंता बढ़ गई थी। इस फिक्र के बीच हजारों जिंदगियों को बचाने की जिम्मेदारी भी चिकित्सकों के कंधों पर थी। धैर्य के साथ इस डर को दूर करना था। प्रशासन के सहयोग और योद्धा की तरह लड़ी चिकित्सकों की टीम से यह सब संभव हो सका। डर को मिटाने के साथ हम जिंदगियों को बचाने में भी कामयाब हुए। यह कहना है आरबीएम के मेडिकल के एचओडी डॉ. मुकेश गुप्ता का।
डॉ. गुप्ता कहते हैं कि डरावने दौर के बीच परिवार के लिए फिक्रमंद तो सभी थे, लेकिन मन में एक ही ध्येय था कि हम इस संकट काल में मरीजों की जिंदगी बचाएं। ऐसे में परिवार ने आगे आकर खुद की जिम्मेदारी संभाली। ऐसे में हम बेफिक्र मरीजों की सेवा में जुटे रहे। डॉ. गुप्ता कहते हैं कि यह दौर एक सीख देकर गया है, लेकिन सुकून इस बात का है कि हम बहुत हद तक भरतपुर को सुरक्षित रखने में कामयाब रहे। डॉ. गुप्ता कहते हैं कि इस दौर में चिकित्सक एवं नर्सिंगकर्मियों ने खुद की परवाह किए बगैर आगे आकर जिम्मेदारी संभाली। वहीं प्रशासन ने इस चुनौती भरे समय में लोगों की जिंदगी बचाने को दिन-रात एक कर दिया। खास तौर से चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग एवं जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता ने संसाधनों का अभाव नहीं होने दिया। इसी बदौलत हम जंग जीतने में कामयाब रहे। डॉ. गुप्ता कहते हैं कि बिना हथियारों के युद्ध जीता नहीं जा सकता था। ऐसे में प्रशासन ने ऑक्सीजन समेत तमाम दवाओं का बेहतर बंदोबस्त किया। इससे भरतपुर महफूज हो सका। यह समय पीडि़ता मानवता की सेवा का था, जो चिकित्सकों ने बखूबी निभाया। पूरी लगन के साथ बिना थके टीम ने काम किया। यही वजह रही आज भरतपुर सुरक्षित है।

खुद हुए संक्रमित, फिर जान बचाने को रहे समर्पित

भरतपुर . कोरोना की दूसरी लहर वाकई डराने वाली थी। हर जिंदगी दहशत में नजर आ रही थी। ऐसे में टूटती सांसों का सहारा चिकित्सक ही थे। हालांकि चिकित्सक भी इससे महफूज नहीं थे, लेकिन खुद की सुरक्षा के साथ मरीजों का जीवन बचाना पहली प्राथमिकता में शुमार किया। यही वजह रही कि भरतपुर कोरोना को हराने में कामयाब हो गया। यह कहना है कि आरबीएम चिकित्सालय के चिकित्सक फिजीशियन डॉ. सुनील पाठक का। कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों का जीवन सुरक्षित करते हुए डॉ. पाठक खुद संक्रमित हो गए, लेकिन इस दरिम्यान भी वह ऑनलाइन माध्यम से मरीजों की पीड़ा हरने में लगे रहे। डॉ. पाठक कहते हैं कि पहली लहर में परिवार को लेकर ज्यादा फिक्र थी, लेकिन परिवार के साथ मरीजों की जिंदगी बचाना भी हमारी जिम्मेदारी थी। सो, दूसरी लहर में परिवार को डर से बाहर लाकर मरीजों की सेवा में जुटे। इस बीच परिवार से थोड़ी दूरी रही, लेकिन दूसरी लहर में परिवार भी 'जानोंÓ की कीमत समझ चुका था। ऐसे में इस कठिन दौर में परिवार को भी खूब सपोर्ट मिला। डॉ. पाठक कहते हैं कि पॉजिटिव होने के बाद खुद को होम क्वारंटीन किया। इस बीच ऑनलाइन मीटिंग्स वगैरह में खूब सक्रिय रहे। इस बीच ड्यूटी के घंटे भी तय नहीं थे। सुबह की ड्यूटी करने के बाद शाम को भी ज्यादातर इमरजेंसी आने पर जाना पड़ता था। डॉ. पाठक 25 अप्रेल को पॉजिटिव हुए थे। इसके बाद वह 1 मई को नगेटिव हो गए। इसके बाद से वह निरंतर मरीजों की सेवा में जुटे रहे। इससे पूर्व पहली लहर में भी डॉ. पाठक ने कोरोना के समय मरीजों की खूब सेवा की।


हम आगे नहीं आते तो कौन बचाता जिंदगी

भरतपुर . कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ तहस-नहस सा कर दिया, लेकिन चिकित्सकों की टीम धैर्य के साथ मोर्चे पर डटी रही। इसी की बदौलत हम लोगों की जिंदगी बचाने में कामयाब हो सके। हालांकि यह बड़ी चुनौती थी, लेकिन चिकित्सकों ने इसका डटकर मुकाबला किया। यह इस पेशे का दायित्व भी था। यदि हम आगे नहीं आते तो लोगों की जिंदगी कौन बचाता। यह कहना है कि शहर के वरिष्ठ फिजीशियन 84 वर्षीय डॉ. आर.जी. अग्रवाल का। सीएमएचओ पद से सेवानिवृत कृष्णा नगर निवासी डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि यह बात जेहन में थी कि इस दौर में घर से बाहर नहीं निकलना है, लेकिन घर पर उम्मीद में आए मरीजों को निराश भी नहीं कर सकते थे। इसी भावना के साथ मरीजों की सेवा में जुटे रहे। इस दौरान कुछ पॉजिटिव तो कुछ नेगेटिव मरीज सामने आए। सभी को उचित उपचार दिया गया। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना के दौर में नाउम्मीद मरीजों को हौसला तोड़ रही थी। इस समय मैंने यह ठाना था कि कोई भी मरीज बिना उपचार के नहीं लौटे। हालांकि इसमें उम्र की रोड़ा था, लेकिन पूरे हौसलों के साथ चिकित्सक पेशे के धर्म को निभाया। आज हालात बेहतर हैं। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि लोग अब मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग रखने और वैक्सीन लगवाने के प्रति जागरूक हुए हैं। यही एक वजह है जिससे हम तीसरी लहर से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि इस दौर में जो चिकित्सक से जो सेवा बनी। वह उसने की। इसी की बदौलत आज हम सुकून के दौर में हैं।

जज्बे के आगे हार जाती है उम्र, निर्धन परिवारों से नहीं लेते फीस

भरतपुर . सेवा और जुनून उनकी रग-रग में समाया है। उम्र भले ही इसकी इजाजत नहीं देती हो, लेकिन बात जब नौनिहालों की जिंदगी की बचाने की आती है तो वह अपने जोश के सामने उम्र को भी मात देते हैं। कोराना काल में भी उन्होंने अपने तजुर्बे का बखूबी उपयोग किया और बच्चों को महफूज करने में कामयाब रहे। हम बात कर रहे हैं सेवानिवृत शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. महेन्द्र सिंह की।
जवाहर नगर निवासी डॉ. सिंह की उम्र वर्तमान में 74 वर्ष है। वह वर्ष 2020 में ऐच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं, लेकिन सेवा का जज्बा ऐसा है कि कोई भी मरीज यदि घर दिखाने पहुंच जाए तो वह निराश होकर नहीं लौटता। खास बात यह है कि डॉ. सिंह फीस भी समृद्ध लोगों से ही लेते हैं। निर्धन परिवार, शहीद की विधवा, आर्मी में नौकरी करने वाले सैनिक एवं ऐसे लोग जो फीस नहीं दे सकते हैं। वह उनसे कभी फीस नहीं लेते। इसके पीछे उनकी धारण मानव सेवा की है। वह कहते हैं कि आज भी समाज में बहुतेरे ऐसे लोग हैं, जो महंगा इलाज कराने में समक्ष नहीं हैं। ऐसे लोगों की सहायता करना सभी का धर्म बनता है। खास तौर से चिकित्सकीय पेशा ऐसा है, जहां से हम ऐसे पीडि़त लोगों की सेवा कर सकते हैं। इसी धारणा के चलते वह ज्यादातर बिना फीस के ही मरीजों की सेवा करते हैं। डॉ. सिंह अन्य समाज सेवा के कार्यों से भी जुड़े हुए हैं। डॉ. सिंह के पुत्र डॉ. दीपक सिंह भी भरतपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में तैनात हैं।

भरतपुर. दम तोड़ रहे शहर के ड्रेनेज सिस्टम को नई जान देने की कवायद शुरू हो चुकी है। अब 275 करोड़ के जल निकासी के लिए मास्टर ड्रेनेज प्रोजेक्ट का पर्यवेक्षण एवं सुझाव देने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस प्रोजेक्ट अब सिर्फ तकनीकी स्वीकृति मिलना बाकी है। इसके बाद निविदा निकालने की प्रक्रिया नगर निगम स्तर से की जाएगी। वहीं गुरुवार को स्वायत्त शासन विभाग से भी एक टीम आ सकती है।
कमेटी को लेकर निकले आदेश में उल्लेख किया है कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा वर्ष 2021-22 भरतपुर शहर के जल निकासी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए मास्टर ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जा रहा है। मास्टर ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट के समय-समय पर पर्यवेक्षण एवं सुझाव देने के लिए एक पर्यवेक्षण कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार को अध्यक्ष, डिप्टी मेयर गिरीश चौधरी, नेता प्रतिपक्ष कपिल फौजदार, एडवोकेट श्रीनाथ शर्मा, लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता, नगर निगम आयुक्त डॉ. राजेश गोयल, यूआइटी सचिव, अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग, अधिशाषी अभियंता नगर विकास न्यास, अधिशाषी अभियंता जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को सदस्य, अधिशाषी अभियंता नगर निगम को सदस्य सचिव बनाया गया है। प्रोजेक्ट की तकनीकी स्वीकृति आने के बाद प्रथम चरण में 186 करोड रुपए से कार्य कराने के लिए निविदा निकाली जाएगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता से ली जाएगी कानून से संबंधित सहायता

कमेटी में वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ शर्मा को शामिल किया गया है। क्योंकि अधिवक्ता शर्मा ने सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन को लेकर हाइकोर्ट में रिट दायर कर रखी है। इसलिए शर्मा से संबंधित विभाग के अधिकारी सीएफसीडी को लेकर हर जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके अलावा पूर्व में यह प्रोजेक्ट नगर सुधार न्यास के पास था, अब नगर निगम के पास है। इसलिए दोनों के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर बैठक की जाती रहेगी।

यह है योजना

नगर निगम और यूआईटी क्षेत्र के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक कराने के लिए योजना तैयार की गई है। इसके तहत पूरे शहर को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने की योजना है। पूरी योजना की करीब 275 करोड़ रुपए डीपीआर तैयार की गई है। पूरे ड्रेनेज सिस्टम को चिकसाना बांध से कनेक्ट किया जाएगा। इससे बरसात के मौसम में और आम दिनों में शहर का पूरा पानी चिकसाना बांध तक पहुंच सके। इससे शहर को जलभराव की समस्या से निजात मिल सकेगी। जल निकासी के लिए कुल पांच प्राचीन ड्रेन और कैनाल हैं। इसमें सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन सीएफसीडी पांच किमी लंबी, रामनगर दो मोरा चैनल चार किमी, रणजीत नगर फ्लड कंट्रोल ड्रेन चार किमी, हीरादास चैनल तीन किमी, गिर्राज कैनाल तीन किमी लंबी है।


-कमेटी प्रोजेक्ट का पर्यवेक्षण करने के साथ ही सुझाव भी देगी। तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद करीब 186 करोड़ रुपए से कार्य कराने के लिए निविदा निकाली जाएगी।

अभिजीत कुमार

मेयर नगर निगम

भरतपुर . मुफलिसी की मार से आहत लाखन की सांसों को अब सुकून मिल सकेगा। लुपिन संस्था ने एसएमएस में भर्ती लाखन को ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर उपलब्ध कराया है। इसके बाद उन्हें घर पर लाकर कन्सन्ट्रेटर के सहारे रखा जा सकेगा। इसको लेकर पत्रिका ने खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद सहयोग के लिए लुपिन आगे आई है। पत्रिका ने 30 जून के अंक में मुफलिसी के बीच मुसीबत, जोखिम में जान शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर में बताया था कि कोरोना महामारी की मार से लाखन की जिंदगी बच तो गई है, लेकिन अब अगले दो माह तक ऑक्सीजन की दरकार ने परिवार के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। जयपुर के एसएमएस में भर्ती लाखन को चिकित्सक सुरक्षा के लिहाज से छुट्टी दे रहे हैं। साथ ही उन्हें करीब दो माह तक ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर पर रखने की नसीहत भी दे रहे हैं, लेकिन आर्थिक रूप से तंग परिवार के पास कन्सन्ट्रेटर की व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में यह परिवार छुट्टी कराने को लेकर उलझन में है। खबर में बताया कि चिचाना के नगला कल्याण निवासी मजदूरी करने वाले लाखन सिंह अप्रेल माह में कोरोना से पीडि़त हुए। आरबीएम से उन्हें रैफर किया गया। इसके बाद वह 18 मई से एसएमएस अस्पताल में भर्ती हैं। अब उनकी कोरोना सहित अन्य रिपोर्ट नेगेटिव आ गई हैं, लेकिन अभी आईसीयू में ऑक्सीजन पर निर्भर हैं। अब एमएमएस के चिकित्सकों ने ट्रीटमेंट बंद कर उन्हें घर ले जाने कहा है। चिकित्सकों ने ज्यादा दिन आईसीयू में रखने पर वापस संक्रमण की आशंका जताते हुए उन्हें घर ले जाने की सलाह दी है। साथ ही यह भी कहा है कि उन्हें करीब दो माह तक ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर के सहारे रखा जाए। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद लुपिन हृूमन एंड वैलफेयर सोसायटी की ओर से लाखन सिंह के पुत्र पुष्पेन्द्र सिंह को ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर उपलब्ध कराया गया। इस दौरान लुपिन के राजेश शर्मा, भीम सिंह, पुनीत गुप्ता एवं राजेन्द्र माहुरे आदि मौजूद रहे।

खबर पढ़कर टीम को दिए निर्देश

लुपिन के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता ने पत्रिका में प्रकाशित हुई खबर में लाखन सिंह की पीड़ा पढ़कर तुरंत टीम को कन्सन्ट्रेटर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। गुप्ता के बाहर होने पर टीम ने लाखन सिंह के पुत्र पुष्पेन्द्र को संस्था बुलाकर कन्सन्ट्रेटर भेंट किया।

अब इनवर्टर की दरकार

लाखन सिंह के पुत्र पुष्पेन्द्र सिंह ने पत्रिका एवं लुपिन के सीताराम गुप्ता का आभार जताते हुए कहा कि कन्सन्ट्रेटर मिलने से हम पिता को नई जिंदगी दे पाएंगे। पुष्पेन्द्र ने बताया कि कन्सन्ट्रेटर को चलाने के लिए बिजली की जरूरत होती है, लेकिन गांव में बिजली जाने की समस्या रहने के कारण इसकी उपयोगिता थोड़ी कम होगी। यदि कन्सन्ट्रेटर चलाने के लिए उन्हें इनवर्टर मिल जाए तो उन्हें काफी राहत मिलेगी।

भरतपुर. कुम्हेर थाना क्षेत्र के बरताई और लांकी गांव स्थित रियासत कालीन बडेसिरा महादेव मंदिर के दो महंतों के साथ बुधवार देर रात आधा दर्जन अज्ञात जनों ने मारपीट की और नकदी और सामान लेकर भाग गए। गुरुवार सुबह मंदिर पर पूजा पाठ करने ग्रामीण पहुंचे तो वारदात की जानकारी हुई। ग्रामीणों ने मामले की सूचना पुलिस को दी। सूचना पर एएसआई नोहबतसिंह मय जाब्ते मौके पर पहुंचे घटना की जानकारी ली। वारदात की जानकारी पर मंदिर पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई और बदमाशों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। वहीं, घायल महंत ईश्वरदास और हरिदास को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुम्हेर पर भर्ती कराया, जहां से उन्हें जिला अस्पताल रैफर कर दिया।दोनों को एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। एएसआई ने बताया कि ग्रामीणों और महंत के अनुसार अज्ञात बदमाश मंदिर से रात में आए और मारपीट की। इनकी संख्या करीब 5 से 6 थी। बदमाश एक बाइक, दो पंखे और करीब 50 हजार रुपए लेकर भाग गए। घटना की सूचना पर सुबह मौके पर आईजी कार्यालय से एएसपी डॉ.मूलसिंह राणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डीग बुगलाल एवं वृताधिकारी वृत ग्रामीण हरिराम मीना, थाना अधिकारी कुम्हेर हवासिंह व डीग के रघुवीरसिंह मौके पर पहुंचे और जायजा लिया। वहीं, एमओवी एवं डीटीएस साइबर क्राइम तथा डॉग स्क्वायड टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए हैं।

भरतपुर. नदबई की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो में कस्बे के प्रमुख कपड़ा व्यापारी उमाकांत जिंदल द्वारा नगरपालिका के सहायक अभियंता पीएस गुर्जर तथा पालिकाध्यक्ष के पुत्र दिलीप सिंह पर विधायक जोगेन्द्र सिंह अवाना का नाम लेकर मुकदमा दर्ज कराने का दबाव बनाते हुए डेढ़ लाख रुपए लेने का आरोप लगाया है। उधर, मामले को लेकर सहायक अभियंता ने थाने में व्यापारी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है। वहीं, व्यापारी पक्ष की ओर से मामले में गुरुवार को एक प्रतिनिधिमण्डल एसपी से मिला और लिखित में शिकायत सौंपी।

कथित वायरल वीडियो में स्टेशन रोड नदबई स्थित संस्कार साड़ी एंपोरियम के मालिक उमाकांत जिंदल पुत्र दीपचंद द्वारा विगत 10 मई को उसे नगरपालिका परिसर में बुलाकर पीएस गुर्जर व दिलीप सिंह द्वारा विधायक अवाना का नाम लेकर मुकदमा दर्ज कराने का दबाव बनाते हुए डेढ़ लाख लेने का आरोप लगाया है। वीडियो के वायरल होने पर पालिका के सहायक अभियंता गुर्जर ने पूरे प्रकरण को गलत एवं आधारहीन बताते हुए कस्बा निवासी एवं वार्ड नंबर 19 के पार्षद मनोज के भाई राजनसिंह पुत्र चरनसिंह एवं कपड़ा व्यापारी उमाकांत जिंदल उर्फ पप्पू निवासी कबई हाल निवासी कस्बा नदबई के खिलाफ छवि एवं प्रतिष्ठा को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए मानहानि का मामला दर्ज कराया गया है। इसमें बताया कि वह बुधवार सांय करीब 6.54 पर कार्यालय में अपना काम कर रहे थे। तभी वर्तमान वार्ड नंबर 19 के पार्षद मनोज के भाई राजनसिंह द्वारा व्हाट्सएप पर एक वीडियो डाला। वीडियो में एक व्यक्ति जिसका नाम उमाकांत जिंदल है द्वारा उससे डेढ़ लाख रुपए विधायक नदबई के नाम से लेना बताया है। उक्त वीडियो को वायरल करने की धमकी देते हुए राजन द्वारा ढाई लाख रुपए मांगने का आरोप लगाते हुए एईएन द्वारथाने में मामला दर्ज कराया है। उधर, दूसरे पक्ष से उमाकांत जिंदल एवं राजन सिंह द्वारा समर्थकों के साथ पुलिस अधीक्षक देवेंद्र विश्नोई को शिकायत दी है। इसमें बताया कि पालिका के तत्कालीन प्रभावी अधिशासी अधिकारी एवं वर्तमान सहायक अभियंता पीएस गुर्जर व चेयरमैन पुत्र दिलीप सिंह द्वारा उसको धमकी देकर तथा डरा धमकाकर डेढ़ लाख रुपए लेकर पुन: परेशान करने व नदबई थाने पर झूठा मुकदमा दर्ज कराकर गिरफ्तार कराने की धमकी देने का आरोप लगाया है। इसमें बताया कि गत 27 अप्रेल को लॉक डाउन की अवधि में उपखंड अधिकारी द्वारा उसकी दुकान को आगामी आदेशों तक सील किया गया था। उक्त सीलशुदा दुकान को खुलवाने व भविष्य में परेशान नहीं करने के लिए दिलीप सिंह द्वारा अलग-अलग नंबर से फोन कर दवाब बनाते हुए पालिका में आकर तत्कालीन अधिशासी अधिकारी गुर्जर से बात करने के बारे में कहा गया। डेढ़ लाख रुपए लेने के बाद भी लगातार रूप से पालिका कर्मचारियों द्वारा परेशान करने का आरोप लगाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करवाने का निवेदन किया गया है।

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