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Table of Contents

अलवर. एमआईए में 850 करोड़ की लागत से बने ईएसआइसी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परिसर में सुविधाओं का विस्तार किया गया है। लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यहां मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी आमजन तक नहीं पहुंच पा रही। इस कारण निःशुल्क सेवाएं होने के बाद भी आमजन का अस्पताल जुड़ाव नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार ने यहां चिकित्सकीय परामर्श, जांच, भर्ती होने, दवाइयों सहित सभी सेवाएं निःशुल्क प्रदान की है। यहां तक की मरीज के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की गई है। लेकिन प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण यहां अपेक्षाकृत बेहद कम लोग इलाज के लिए आ रहे हैं। निशुल्क सेवाओं के बाद भी अस्पताल की ओपीडी 200 के करीब ही पहुंच रही है।

अस्पताल में मिल रही निशुल्क सेवाएं

ईएसआइसी अस्पताल में साक्षात्कार व अन्य माध्यमों से चिकित्सकों की भर्ती कर ली गई है। यहां स्कीन, मेडिसिन, सर्जरी, प्रसूता एवं स्त्री रोग, बाल चिकित्सा, ईएनटी, नेत्र रोग, डेंटल, टीबी व चेस्ट सम्बंधित रोग, हड्डी रोग, फिजियोथेरेपी आदि की ओपीडी संचालित है। वहीं सुपर स्पेशलिटी सेवाओं में कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, कैंसर रोग और बाल चिकित्सा सर्जरी हो रही है। वहीं सीबीसी, थाइरॉयड, किडनी फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, यूरिन टेस्ट किए जा रहे हैं। वहीं अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे भी निःशुल्क हो रहे हैं। अस्पताल में 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं संचालित हैं। 10 बैड का आईसीयू है।

निशुल्क बसें चल रही, यात्री नहीं आ रहे

अलवर शहर से ईएसआइसी अस्पताल के लिए प्रतिदिन निशुल्क बस सेवा की सुविधा भी है। निशुल्क बस सुबह साढ़े 7 बजे मिलिट्री अस्पताल से रवाना होती है। इसके बाद साढ़े 11 बजे दूसरा राउंड भी रहता है। प्रतिदिन 104 किलोमीटर के चक्कर लगाने के बाद भी दिनभर में 20 मरीज भी बसों में नहीं आ रहे हैं। प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण अलवर की जनता को निशुल्क सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है ।
कोरोना की दूसरी लहर के चलते सामान्य सेवाएं प्रभावित हुई थी। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद लोग पहुंच रहे हैं। आगामी दिनों में प्रचार-प्रसार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, जिससे आमजन को सेवाओं का लाभ मिल सके।

विवेक तिवारी, चिकित्सा अधीक्षक, ईएसआइसी अस्पताल

अलवर. अलवर जिला एक बार फिर शर्मसार हो गया। जिले के ग्रामीण थाना क्षेत्र में एक 12 वर्षीय नाबालिग बालिका के साथ तीन जनों ने सामूहिक बलात्कार किया। इस संबंध में पीडि़ता ने पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया गया है। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले जिले में एक महिला से गैंगरेप का मामला सामने आया था। आरोपियों ने महिला का अश्लील वीडियो भी वायरल किया था। इस संबंध में महिला ने 28 जून को अलवर पुलिस अधीक्षक को लिखित में शिकायत दी
थी।

पुलिस ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग बालिका ने शुुक्रवार देर शाम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके पिता ट्रक चालक हैं और मां दिहाड़ी मजदूरी करती है। अधिकतर दोनों गांव से बाहर रहते हैं। 29 जून को वह घर पर अपने बुजुर्ग नाना और छोटे भाई के साथ थी। घर के पीछे तबेले में बंधे पालतू पशुओं को रात करीब नौ बजे वह चारा डालने घर से बाहर आई। तभी घर के पड़ोस में रहने वाला युवक आया और पीछे से उसका मुंह दबा दिया और उसके दो अन्य साथी जबरदस्ती करने लगे। इस दौरान तीनोंं युवकों ने नाबालिग के हाथ-पैर पकड़ और मुंह दबाकर तबेले के पीछे वाले खेत में ले गए। तीनों युवकों ने उसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई कर दो आरोपियों को शनिवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया। जबकि तीसरे आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

निकल नहीं पाई चंगुल से

नाबालिग बालिका ने तीनों आरोपियों से के चंगुल से छूटने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। इसके बाद आरोपियों ने उसके साथ गैंगरेप किया।

जान से मारने की दी धमकी

बलात्कार करने के बाद तीनों आरोपी युवकों ने बालिका को धमकाया कि इसके बारे में किसी को भी बताया तो वे उसे जान से मार देंगे। पूरे गांव में बदनामी होगी और तुम्हारे परिवार को गांव से बाहर निकलवा देंगे और वहां से चलेे गए।

हिम्मत कर परिजनों को बताई आपबीती

पीडि़ता बालिका ने हिम्मत कर अपने घर वालों को इस पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताया। इसके बाद परिजन पीडि़ता को लेकर शुक्रवार देर शाम पुलिस थाने पहुंच और नामजद पड़ोसी व उसके दो अन्य साथियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। मामले की जांच सीओ ओमप्रकाश मीणा कर रहे हैं।

एसपी पहुंची मौके पर

अलवर पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम शनिवार शाम मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी ली। एसपी गौतम ने पीडि़त परिजनों से भी मुलाकात की।

अलवर. जिले में खाद्य विभाग की ओर से पिछले काफी दिनों से खाद्य पदार्थों की दुकानों व ठेलियों पर जांच की रफ्तार काफी धीमी रही है। इसका नतीजा यह रहा कि ठेली व खोमचे वाले जनता की सेहत से खिलवाड करने लगे हैं। शनिवार को अलवर शहर के तांगा स्टैंड के पास एक छोले भटूरे वाले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें छोले में कीड़े तैरते दिखाई पड़ रहे थे। हालांकि छोले भटूरे का यह ठेला सुबह से ही लगा था और लोग यहां छोले भटूरे खाते भी रहे। लेकिन किसी का इस ओर ध्यान नहीं गया।

एक व्यक्ति अपने घर छोले भटूरे लेकर गया तो छोले में कीड़े की बात पता चली। इस पर वह व्यक्ति छोले भटूरे वाले के पास पहुंचा और वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसके बाद ठेली वाले ने छोलों को फेंक दिया। वीडियो वायरल होने के बाद भी खाद्य विभाग की टीम यहां समय पर नहीं पहुंची और दोपहर बाद जब स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची, तब तक ठेले वाला जा चुका था। चिकित्सा विभाग के खाद्य निरीक्षक हारून खान ने बताया कि शनिवार को वीडिया वायरल की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे थे लेकिन तब तक ठेले वाला जा चुका था, अब सोमवार से नजर रखी जाएगी।

अलवर. सरिस्का में बाघों का ही नहीं, लुप्तप्राय हो गिद्धों का कुनबा भी तेजी से बढ़ा है। इसी का नतीजा है कि तीन-चार पहले तक सरिस्का में लुप्तप्राय: हो चुके गिद्ध अब खुलेआम जोहड़ व पोखरों पर बैठे दिखाई देते हैं। इन दिनों भर्तृहरि के पास सिहाली जोहडा़ पर गिद्ध आसानी से बैठे दिखाई दे जाते हैं। करीब तीन-चार साल पहले यहां 45 से 50 गिद्ध होने का अनुमान था, जिनकी संख्या बढकऱ करीब 500 तक पहुंच गई है। इनमे कई प्रजाति ऐसी भी हैं जो कि प्रवासी हैं, वहीं पांच प्रजाति स्थानीय गिद्धों की है।

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में देश में 9 प्रजाति के गिद्ध हैं, इनमें सात प्रजाति के गिद्ध राजस्थान में पाए जाते हैं। सरिस्का में भी इनमें से ज्यादातर प्रजातियों के गिद्धों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।सरिस्का में माइग्रेटरी प्रजाति के यूरेशियन ग्रिफोन व रेड हैडिट गिद्ध में से यूरेशियन ग्रिफोन के पंख पर सफेद बाल होते हैं, वहीं रेड हैडिट गिद्ध का मुंह लाल होता है। वैसे सरिस्का मे लंबी चोंच वाला गिद्ध सबसे ज्यादा पाया जाता है। गिद्धों के सरिस्का में कई रेस्टिंग प्वाइंट है, इनमें गोपी जोहरा, देवरा चौकी, टहला में मानसरोवर बांध, पाण्डूपोल, काली पहाड़ी के समीप खड़ी चट्टानें शामिल हैं। गिद्ध इन प्वाइंट पर ऊंची उड़ान के बाद आराम करते हैं।

जहां बाघ, वहां गिद्ध ज्यादा

वन्यजीवन के जानकारों के अनुसार जहां बाघों की मौजूदगी ज्यादा होगी, वहां गिद्ध जरूर मिलेंगे। सरिस्का की देवरा चौकी क्षेत्र में वर्तमान में सबसे ज्यादा गिद्ध है क्योंकि इस इलाके में करीब छह बाघ रहते हैं। इनमें बाघिन एसटी-10, एसटी-12 व शावक तथा बाघ एसटी- 13 हैं। बाघों के इलाके में गिद्ध आसानी से भोजन मिल जाने की वजह से रहना पसंद करते हैं। वे बाघ की मौजूदगी में ही उसके शिकार पर हाथ साफ करने तक से नहीं चूकते। इसके अलावा बाघ के खा चुकने के बाद शेष हिस्सा गिद्धों के हिस्से ही आता है।

पारिस्थितिकी संतुलन के लिए जरूरी हैं

गिद्ध सरिस्का के वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दीनदयाल मीणा का कहना है कि जंगल में पारिस्थितिकी संतुलन के लिए गिद्ध होना जरूरी है। शिकार के बाद बचे मांस व अवशेष खाकर वे जंगल को साफ रखते हैं। इसी वजह से गिद्ध को जंगल का प्राकृतिक सफाईकर्मी कहा जाता है। सरिस्का में बाघों के पुनर्वास के बाद गिद्धों की संख्या बढ़ी है।

सरिस्का में कई प्रजाति के गिद्ध

सरिस्का में गिद्धों की 4 प्रजातियां मिलती है। पहली इंडियन वल्चर, इन्हें लोंग बिल्ट वल्चर भी कहा जाता है। इसके अलावा इंजिप्सियन, सिनेरियर व रेड हेण्ड, इन्हें किंग वल्चर भी कहा जाता है। सरिस्का के हवामहल, टहला, कंकवाड़ी व क्रासका क्षेत्र में पाए जाते हैं।आरएन मीणा क्षेत्र निदेशक, सरिस्का बाघ परियोजना

सरिस्का में गिद्धों की फैक्ट फाइल

इंडियन वल्चर-- 300

इंजिप्सियन-- 100

सिनेरियर-- 50

रेड हेण्ड-- 50

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