>>: Digest for July 15, 2021

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भरतपुर. शहर के जनाना अस्पताल के पास स्थित मोरी चार बाग में पिछले 31 दिन में नौ मकानों में चोरी की वारदात हो चुकी है। आश्चर्य की बात यह है कि चोरी करने वाले बदमाश इसी इलाके के हैं। पुलिस को इन बदमाशों के बारे में पता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच का बहाना कर इतिश्री कर ली जाती है। अब सोमवार-मंगलवार की मध्य रात्रि मोरी चार बाग स्थित खारे कुआं के पास सूने मकान का ताला तोड़कर चोर हजारों रुपए का सामान चोरी कर ले गए। घटना की सूचना के बाद भी पुलिस काफी देर तक मौके पर नहीं पहुंची।
जानकारी के अनुसार प्रिंस पुत्र नंद किशोर निवासी खारे कुआं के पास, मोरी चार बाग 10 जुलाई को आगरा में माताजी से मिलने के लिए परिवार सहित गया हुआ था। मंगलवार को सुबह आकर देखा तो मकान के मुख्य दरवाजे का ताला टूटा पड़ा हुआ था। अंदर जाकर देखा तो सामान बिखरा पड़ा था व आलमारी का ताला भी टूटा पड़ा था। एक गैस सिलेण्डर, रंगीन टीवी, 25 चांदी के सिक्के चोरी गए हैं। घटना की सूचना पाकर पार्षद भूपेंद्र शर्मा उर्फ चंदा पंडज्ञ पहुंचे और पुलिस को जानकारी दी। पीडि़त ने मथुरा गेट थाने में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

एक गिरोह लंबे समय से है सक्रिय

बताते हैं कि मोरी चार बाग के पीछे बड़े स्तर पर जुआ-सट्टा, अवैध शराब का कारोबार हो रहा है। इससे यहां एक गिरोह भी सक्रिय है। इनमें से ज्यादातर नशे के आदी है। यह रात को चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं। कुछ बदमाश जेल से जमानत पर हैं तो कुछ पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जानकारों ने बताया कि इन्हीं बदमाशों की ओर से ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है, जबकि पुलिस की सांठगांठ के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती है।

दवा विक्रेता पर भी हमला कर चुका है बदमाश

मोरी चार बाग निवासी एक बदमाश ने नशे की गोलियां नहीं देने पर दो जुलाई को हमला कर दिया था। शिकायत के बाद भी पुलिस ने बदमाश को गिरफ्तार नहीं किया था, बल्कि दुबारा धमकी देने आए बदमाश को दुकानदारों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले किया था। नशे के आदी कई बदमाशों के कारण दुकानदार परेशानी का सामना कर रहे हैं।

केस नंबर एक

-करीब 15 दिन मोरी चार बाग में ही मूला हलवाई के घर चोरी हुई। अभी तक चोरी गए सामान व चोरों का कोई सुराग नहीं लग सका है।

केस नंबर दो

-करीब एक सप्ताह पहले सतीशचंद के घर में चोरी हुई थी। कपड़ा व्यापारी के यहां हुई चोरी का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है।

केस नंबर तीन

कुछ दिन पहले राजू के यहां चोरी हुई। पीडि़त फल की रेहड़ी लगाता है। इसी तरह ओमप्रकाश जाटव के मकान में भी चोरी हुई थी। इसमें भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई। चोर को पकड़ लिया था। सामान बरामदगी अभी तक नहीं हो सकी है।

भरतपुर. यह कहानी है नगर सुधार न्यास, जिला प्रशासन और राजनेताओं के कारण हुई बड़ी लापरवाही की, जहां संभाग की सबसे बड़ी आवासीय योजना सेक्टर नंबर 13 को लांच तो कर दिया, लेकिन मुआवजा के लिए करीब 12 साल से इंतजार कर रहे खातेदारों की अब हिम्मत टूट चुकी है। लापरवाह अफसर, बेपरवाह प्रशासन और नींद में सो रहे राजनेता सिर्फ जुबानी जंग में ही इस योजना को आगामी समय का सच होने वाला बड़ा सपना बता रहे हैं, परंतु वर्तमान में जिंदगी से जंग लड़ रहे खातेदारों की चिंता किसी को नहीं है।
पढि़ए पत्रिका के रिपोर्टर विनोद कुमार शर्मा की रिपोट...

फैक्ट फाइल

-नगर सुधार न्यास ने 2002 में सेक्टर नंबर 13 स्कीम का अधिगृहण
-योजना को मूर्त रूप 21 सितंबर 2005 को दिया गया था।
-एक सितंबर, 2011 को सरकार से स्वीकृति मिली।
-3 सितंबर 2014 को 2200 बीघा भूमि पर कब्जा लिया।
-19 नवंबर 2017 को वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से मंजूरी।
-2006 में यूआईटी ने रजिस्ट्री पर रोक लगवा दी।
-2010 में किसानों के खेती करने पर रोक लगा दी।

पांच बीघा जमीन छिन गई, अब पत्नी व बेटी बेच रही सब्जियां

बरसों का नगला निवासी रामेश्वरी देवी अपने पति गजराज सिंह की बीमारी के चलते खस्ताहाल जिंदगी जी रही है। सेक्टर नंबर 13 में पांच बीघा जमीन होते हुए भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हंै। पहले पति गजराज मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद मजदूरी भी खत्म हो गई। गली-गली जाकर सब्जी की ढकेल पर सब्जी बेच रहा था। कुछ दिन से स्वास्थ्य खराब होने पर पत्नी रामेश्वरी अपनी पुत्री राखी और पायल के साथ गली-गली जाकर सब्जी बेच रही है। बेटियों की शादी की चिंता उन्हें हमेशा सताती रहती है। बड़ी बेटी राखी (24) ने बीएड कर रखी है वहीं छोटी बेटी पायल (20) बीएससी द्वितीय वर्ष में पढ़ रही है। उसका कहना है कि माली हालत खराब होने पर पढ़ाई में भी व्यवधान बना हुआ है। पिताजी का स्वास्थ्य सही नहीं होने से मां के साथ रेहढ़ी पर सब्जी बेचने जाती है। पहले पिताजी के साथ सब्जी बेचने जाती थी लेकिन पिताजी का स्वास्थ्य सही नहीं होने पर अब मां के साथ सब्जी बेचने जाते हैं। घर का गुजारा किस तरह करते हैं यह हम ही जानते हैं। हम ट्यूशन भी नहीं जा सकते है। सेक्टर नंबर 13 में सरकार हमारी पांच बीघा जमीन का मुआवजा हमें दे दे तो हमारी माली हालत सही हो जाएगी।

पड़ोसी कहते हैं बेटी की शादी कर दो, पर पैसा ही नहीं

बरसो का नगला निवासी रतन देई ने बताया कि पड़ोसी कहते हैं कि बेटी शशि सयानी हो गई है। अब तो इसकी शादी कर दो। शादी की चिंता हमेशा सताती रहती है। आखिर किससे कहें कि शादी के करने के लिए इतना पैसा नहीं है। दो जून की रोटी की व्यवस्था हो जाए वही बड़ी बात है। सरकार अगर हमारी जमीन का मुआवजा हमें दे दे तो हम अपनी बेटी के हाथ पीले कर सकें। इसके पिता डोरीलाल ढकेल पर सब्जी और केले बेचते हैं। इससे भोजन व्यवस्था भी अच्छी तरह से नहीं हो पाती है। आखिर शादी कहां से की जाए। रामपुरा सेक्टर नंबर 13 में पांच भाइयों के बीच चार बीघा भूमि है। वो भी यूआईटी अवाप्त कर चुकी है। अगर सरकार कॉलोनी विकसित कर 25 प्रतिशत विकसित जमीन नहीं देना चाहती है तो हमें तो हमारी जमीन ही वापस कर देनी चाहिए। ताकि हम परिवार का गुजारा तो कृषि कार्य से कर सकें।

बेटे की शादी को लिया कर्ज, अब ब्याज देना भी हुआ मुश्किल

बरसो का नगला के ही करतार सिंह पुत्र गुड्डा ने बताया कि पुत्र रवि जयपुर में कपड़ा कंपनी में काम करता था। उस दौरान इसकी शादी 26 अप्रेल को गोवर्धन के समीप एक गांव में कर दी थी। इसके लिए धन की आवश्यकता हुई। एक परिचित से तीन रुपए सैकड़ा के हिसाब से ब्याज पर साढ़े तीन लाख रुपए ले लिए, लेकिन रुपए चुकाने का कोई जरिया नहीं होने से ब्याज बढ़ता जा रहा है। पुत्र रवि जयपुर स्थित कपड़ा कंपनी में काम करता था। लॉकडाउन के दौरान उसे भी नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद एक परचून की दुकान पर भी नौकरी पर लगाया था। वहां से भी लॉकडाउन के दौरान निकाल दिया गया। अब बेरोजगार है। हमारे पास अगर खेत होता तो खेती कर अपना गुजरा कर रहे होते। आर्थिक तंगी से परेशान हैं। सेक्टर नंबर 13 में पांच बीघा जमीन है। उसका मुआवजा हमें मिल जाए तो हम कर्जे से बाहर आ सकते हैं। यूआईटी में कई बार चक्कर लगाए , लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

पहले करता था पल्लेदारी, अब पत्नी व बेटी कर रही मजदूरी

सेक्टर नंबर 13 में चार भाइयों के बीच 14 बीघा जमीन होते हुए भी सोरन सिंह पुत्र रामरतन मुफलिसी के हालात में जिंदगी जी रहा है। सुबह से शाम तक चिंता, प्रशासन के प्रति गुस्सा उसकी आंखों में साफ देखा जा सकता है। पहले खेती करता था, लेकिन सरकार की ओर से जमीन लेने के बाद मंडी में पल्लेदारी करने लग गया। करीब दो साल से बीमार होने के कारण मजबूरी में घर पर ही आराम कर रहा है। परिवार भरण पोषण करने के लिए पत्नी मंगो व पुत्री प्रीति दोनों मजदूरी कर रही हंै। पाई-पाई को मोहताज हो गए हैं। पुत्री की शादी की चिंता भी सता रही है। पुत्र महेश 12वीं कक्षा में पढ़ रहा है। पढ़ाई के लिए भी रकम नहीं है। उन्होंने बताया कि कई बार यूआईटी में जाकर मिल चुके हैं, लेकिन वहां कोई सुनने वाला नहीं है। लगता है कि जमीन तो हमारी थी, लेकिन सरकार और यूआईटी ने वहां कब्जा कर लिया। हमें तो पूरी तरह से बेघर कर दिया। अब ऐसे हालात में जाएं तो कहां जाएं। काश ऐसा ही इन अफसरों के साथ होता तो पता चलता।


ढाई बीघा जमीन से चलता था परिवार, अब कर्ज में डूबी जिंदगी

रामपुरा सेक्टर नंबर तीन में ढाई बीघा जमीन होते हुए भी खातेदार पाई-पाई को मोहताज हो रहे हैं। लंबे समय से बीमार होने के कारण बीमारी के इलाज के लिए आस-पड़ोस से उधार लेकर काम चला रहे हैं। बरसों का नगला निवासी रामभरोसी पुत्र सामुनता (72) लंबे समय से सांस व अन्य बीमारी से परेशान हैं। प्राइवेट इलाज चल रहा है। पांच हजार रुपए की दवा चल रही हैं। पड़ोसी मास्टर से 55 हजार का कर्ज लिया है। सरकार अगर हमारा मुआवजा दे देती तो बीमारी का इलाज करा पाता व कर्ज भी चुक जाता। खुद की जमीन होते हुए भी पराया सा बना दिया है। न तो खेती कर सकते हैं और न मुआवजा मिल रहा है। अगर यूआईटी खातेदारों के साथ न्याय नहीं कर सकती तो कम से कम खेती के लिए छूट देनी चाहिए। इतना लंबा समय गुजर चुका है। भूमाफियाओं को पनपाने के लिए सबकुछ किया जा रहा है। खुद प्रशासन भी उनसे मिला हुआ है, तभी तो हमें परेशान किया जा रहा है।

भरतपुर. उच्चैन-बयाना रोड पर गांव कैमासी के पास बुधवार दोपहर एक टे्रक्टर ट्रॉली पलटने से सवार सात महिलाएं घायल हो गईं। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायलों को उच्चैन अस्पताल भिजवाया। जहां से गंभीर घायल दो जनों को रैफर कर दिया। महिलाएं गमी में जा रही थी।

एएसआई कंचनसिंह ने बताया कि गुठाकर निवासी टे्रक्टर ट्रॉली में सवार लोग गांव कल्याणपुर में एक गमी में शामिल होने जा रहे थे। ट्रॉली में आठ महिलाएं बैठी थी। यहां गांव कैमासी तिराहे के पास स्पीड ब्रेकर से असुंतलित होकर ट्रॉली सड़क सहारे गड्ढे में जाकर पलट गई। हादसे में महिलाएं ट्रॉली के नीचे दब गई। हादसा की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की सहायता से ट्रॉली का डाला खोलकर घायल महिलाओं को बाहर निकाला गया। हादसे में लीला पत्नी कुमर, भूरी पत्नी रोशन, पीता पत्नी भरतलाल, लक्ष्मी पत्नी बाबू, राजन्ती पत्नी सौदान, लाडो पत्नी नरसी, दीवानी पत्नी जनक गुर्जर निवासी गुठाकर घायल हो गईं। इन्हें पिकअप से उपचार के लिए उच्चैन सीएचसी भिजवाया। जहां गंभीर घायल दो महिला लाडो एवं राजन्ती को रैफर कर दिया।

टोल वसूली हुई बंद


पहाड़ी. सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से ठेकेदार ने नियम विरुद्ध पहाड़ी में टोल बूथ संचालित करने और वाहनों से टोल वसूली को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के बाद 13 जुलाई की रात से टोल वसूली को बंद कर दिया गया है। बुधवार सुबह वाहन चालकों को जानकारी होने पर उन्होंने खुशी में एक-दूसरे को लड्डू बांटे। माना जा रहा है कि कोर्ट कार्रवाई से बचने के लिए विभाग ने तुरत-फुरत में टोल वसूली को बंद कर दिया।

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