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स्वतंत्रा संग्राम में अहम भूमिका थी टोंक की
आधा दर्जन से अधिक ने की थी टोंक रियासत से बगावत
जलालुद्दीन खान
टोंक. देश की आजादी में टोंक जिले की भी अहम भूमिका रही है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 में टोंक नवाबी रियासत से बगावत कर अंग्रेजों के खिलाफ जिले के सैनानियों ने आंदोलन किया था। इनकी संख्या आधा दर्जन से अधिक है। वहीं इसके बाद से लेकर आजादी तक स्वतंत्रा आंदोलन में जुड़े स्वतंत्रता सैनानियों की लम्बी फेहरिश्त है।


मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान के कैलीग्राफिस्ट व लेखक मुरलीधर अरोड़ा ने भारतीय स्वतंत्रा संग्राम 1857 के सैनानियों और क्रांतिकारियों को लेकर 'नमनÓ पुस्तक का प्रकाशन किया है।


इसमें रानी लक्ष्मी बाई, सरदार भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस, टीपू सुल्तान, तांत्या टोपे, बाल गंगाधर तिलक, बहादुर शाह जफर, चन्द्रशेखर आजाद, जवाहरलाल नेहरू, खुदीराम बोस, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, मंगल पांडे समेत 88 स्वतंत्रता सैनानियों को शामिल किया है। इसमें से 7 ऐसे हैं जो टोंक नवाबी रियासत के थे।


यह थे बगावत करने में
मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान के कैलीग्राफिस्ट व लेखक मुरलीधर अरोड़ा ने बताया कि देश की आजादी के लिए टोंक रियासत की सेना के बंदूकची गुल मोहम्मद, सिपाही मुनव्वर खान, सफदरयार खान, निम्बाहेडा तहसील में मुख्य पटेल ताराचंद, मीर आलम खां, अलीम खान ने टोंक रियासत से बगावत की थी।


इसमें मीर आलम खां द्वितीय नवाब मोहम्मद वजीर खां के मामा थे। उन्होंने 1857 में टोंक की विद्रोही सेना का नेतृत्व सम्भाला। दिल्ली के बहादुरशाह की सहायता में इन्होंने 600 सैनिक भेजे। वहीं सितम्बर 1857 में कर्नल जैक्सन की सेना ने जब निम्बाहेडा पर आक्रमण किया तो ताराचंद ने उसे रोकने का प्रयास किया।


कैलीग्राफिस्ट व लेखक मुरलीधर अरोड़ा ने बताया कि जब निम्बाहेडा पर अधिकार हो गया तो ताराचंद को गिरफ्तार कर तोप से उड़ा दिया।


टोंक रियासत के बंदूकची गुल मोहम्मद ने मुगल सम्राट की सहायता के लिए दिल्ली जा रही सेना का सहयोग किया और अंग्रेजी सेना के विरुद्ध युद्ध किया। अंग्रेजों के विरुद्ध हुए युद्ध में कई और भी सैनानी शामिल हुए थे।


एपीआरआई में मौजूद है कई किताबें
मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में प्राचीन हस्त लिखित ग्रंथ से लेकर देश की आजादी की विद्रोह, आंदोलन, युद्ध समेत अन्य की किताबें मौजूद है।


कैलीग्राफिस्ट व लेखक मुरलीधर अरोड़ा ने बताया कि देश की आजादी में शामिल हुए लोगों पर कई लेखकों ने किताबें लिखी है।

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