>>: सीबीसी रिपोर्ट गलत देने की शिकायत पर जांच, स्वास्थ्य विभाग ने लैब को बंद करने के दिए निर्देश

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सीबीसी रिपोर्ट गलत देने की शिकायत पर जांच, स्वास्थ्य विभाग ने लैब को बंद करने के दिए निर्देश
- रिपोर्ट देख कई अस्पतालों ने भर्ती करने से किया इंकार
- अन्य जिले के एक अस्पताल ने पुन: जांच करवाई तो खुली पोल
हनुमानगढ़. चिकित्सा अधिकारियों ने पीलीबंगा में गलत जांच रिपोर्ट देने की शिकायत की सूचना पर एक जांच लैब का निरीक्षण किया। निरीक्षण में लैब संचालक की ओर से बरती गई लापरवाही के मद्देनजर लैब बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि पीलीबंगा के डबलीराठान के एक व्यक्ति ने गत दिवस एक शिकायत जिला कलक्टर नथमल डिडेल को दी, जिसमें उसने डबलीराठान के पायल क्लिनिकल लैब द्वारा उसकी बहन की गलत स्वास्थ्य रिपोर्ट (सीबीसी) देने का आरोप लगाया। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसकी बहन की डिलीवरी से पूर्व उन्होंने गत 25 अप्रेल 2021 को डबलीराठान स्थित पायल क्लिनिकल लैब से अपनी बहन की स्वास्थ्य जांच (सीबीसी) करवाई थी। जांच के बाद लैब संचालक ने कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी डब्ल्यूबीसी, प्लेटलेट्स एवं हेमोग्लोबिन) की जांच रिपोर्ट दी। उस रिपोर्ट को लेकर वे अपनी गर्भवती बहन को पीलीबंगा के बंसल हॉस्पीटल लेकर गए। जांच रिपोर्ट देखकर वहां डॉक्टर्स ने उसकी गर्भवती बहन को हॉस्पीटल में एडमिट नहीं किया। इसके बाद वे अपनी बहन को हनुमानगढ़ के बॉम्बे हॉस्पीटल लेकर गए, लेकिन वहां पर भी रिपोर्ट देखकर डॉक्टर्स ने उसकी गर्भवती बहन को इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट नहीं किया गया। इससे परेशान होकर वे अपनी बहन को दूसरे जिले के अस्पताल में लेकर गए, जहां उसकी बहन की पुन: सीबीसी रिपोर्ट की गई। दोबारा ली गई सीबीसी रिपोर्ट में काफी अंतर पाया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पायल क्लिनिकल लैब ने अपनी बहन की सीबीसी रिपोर्ट गलत बनाकर दी, जिसकी वजह से वह एवं उसका परिवार मानसिक रूप से परेशान हुआ। गलत रिपोर्ट की वजह से जच्चा एवं बच्चे को भी जान का खतरा बन सकता था। शिकायत के संबंध में जांच दल ने लैब की जांच की। जांच दल ने देखा कि क्लिनिकल लैब मेडिकल स्टोर के अंदर काउंटर पर संचालित की जा रही थी, जो निर्धारित मापदण्ड अनुसार नहीं है। निर्धारित मापदण्ड अनुसार लैब संचालन के लिए 160 वर्ग फीट का स्थान होना चाहिए जबकि जांच लैब केवल 8 वर्ग फीट में ही संचालित की जा रही है। क्लिनिकल लैब में मरीज के बैठने के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध नहीं था। जांच के समय लैब में कोई मरीज उपस्थित नहीं था। लैब में एक सीबीसी मशीन, एक अनालाइजर, ट्रासफ्यूजन मशीन एवं 15 प्रकार के रिजेण्ट (जांच करने वाले कैमिकल) पाए गए। लैब संचालक के पास राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल राजस्थान जयपुर द्वारा संचालित डिप्लोमा नहीं है तथा न ही वह पैरामेडिकल काउंसिल से रजिस्टर्ड है। दस्तावेजों की जांच करने पर पाया कि लैब संचालक वर्ष 2016 से मेडिकल स्टोर के साथ ही एक काउंटर पर लैब संचालित कर रहा है।

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