>>: Digest for August 03, 2021

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नागौर. रामद्वारा केशव दास महाराज बगीची में चातुर्मास की कथा में प्रवचन करते हुए मंहत जानकीदास ने कहा कि भागवत शास्त्र कहता है कि भक्तों की दृष्टि जहां भी जाती है, वहां उनको भगवान का ही दर्शन होता है । मानव शरीर में भगवान न हो तो मानव बोल नहीं सकता। मानव को बोलने की शक्ति भगवान देते हैं। आंख को देखने की शक्ति भगवान देते हैं । इसलिए सभी को भगवत् भाव से देखना चाहिए। जगत के स्त्री-पुरुषों में जो भगवान का दर्शन करता है, उसको बहुत शांति मिलती है । सनातन धर्म तो कहता है पशु पक्षियों में भी भगवान का दर्शन करो । पृथ्वी परमात्मा की शक्ति है। सुबह वैष्णव पृथ्वी माता का वंदन करके फिर अपना पृथ्वी पर पांव रखता है। पृथ्वी सभी की मां है। पृथ्वी के पति परमात्मा नारायण है। पृथ्वी में गंध रूप से भगवान की सत्ता है । पानी की मिठास व शीतलता में प्रभु का स्वरूप है। पानी में परमात्मा की सत्ता है। संत ने बताया कि पानी का अनादर नहीं करना चाहिए । पानी का दुरुपयोग करना बड़ा पाप है । सत्संग से विवेक मिलता है भागवत की कथा मानव को निर्भय बनाती है। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के सह मंत्री मेघराज राव ने भजन "ऐसी करी गुरुदेव दया मेरे मोह का बंधन तोड़ दिया "भजन प्रस्तुत किया । संत मि_ूराम, संत मांगूदास, लक्ष आनंद, संत कल्याणदास ,सत्यनारायण सेन, सत्यनारायण माहेश्वरी, भंवरदास वैष्णव, सोहनलाल कच्छावा ,कालूराम तेली ,दयाराम तेली, मदनलाल कच्छावा ,अक्षय कुमार आदि मौजूद थे।
नागौर. रामद्वारा केशव दास महाराज बगीची में चातुर्मास की कथा में प्रवचन करते हुए मंहत जानकीदास

 

नागौर. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में जयमल जैन पौषधशाला में में चल रहे प्रवचन में श्वेतांबर स्थानकवासी साध्वी बिंदुप्रभा ने कहा कि व्यवहार धर्म के बिना निश्चय धर्म की साधना हो ही नहीं सकती। बिना व्यवहार के धर्म का ही उच्छेद हो जाता है। धर्म के दो रूप बताए गए हैं, जो कि निश्चय धर्म और व्यवहार धर्म से जाने जाते हैं। निश्चय के अनुसार आत्मा का स्वभाव धर्म है, स्वरूप परिणति धर्म है । वस्तु का यथार्थ स्वरूप धर्म कहलाता है। व्यवहार धर्म की अपेक्षा चार भावनाएं है जो इस प्रकार है - मैत्री भावना, प्रमोद भावना, करुणा भावना और माध्यस्थ भावना। प्राणी मात्र पर मैत्री भाव, गुणाधिकों पर प्रमोद भाव, दुखितों पर करुणा भाव एवं अविनीत जनों पर माध्यस्थ भाव रखना चाहिए। जीवन में इन योग भावनाओं का विकास मनुष्य को मनुष्यता के श्रेष्ठतम शिखर पर पहुंचा देता है। आध्यात्मिक और व्यवहारिक जीवन में बहुत उपयोगी है। इन भावनाओं के अभाव के कारण ही द्वेष, ईष्र्या, संघर्ष, कलह आदि जन्म ले लेते हैं। साध्वी ने कहा कि आज कल की समस्याएं मानवकृत है। संसार की समस्याओं की जड़ है - राग द्वेष अहंकार और स्वार्थ बुद्धि। अगर ये सारी नकारात्मक अशुभ भावनाएं दूर हो जाए तो 90 प्रतिशत समस्याएं सुलझ जाए। संसार में जहां कहीं भी कोई अच्छाई, कोई सद्गुण दिखाई दे, तो उन्हें देखकर प्रसन्न होना चाहिए। अच्छाई का स्वागत करना चाहिए। जो प्रशंसा करता है उसके जीवन में सद्गुण धीरे धीरे प्रवेश करते जाते हैं। वह किसी भी स्थिति में प्रसन्नता का अनुभव करता है। करुणा भावना के अन्तर्गत कहा कि अहिंसा को भी दया बताया। जीवन के समस्त गतिविधियों में हमारे द्वारा किसी को कोई पीड़ा न हो, यही लक्ष्य रखने की जरूरत है। अनेकों बार होने वाली उलझनों में मध्यस्थ वृत्ति ही शांति की अनुभूति करा सकेगी। मध्यस्थ वृत्ति जागृत होने से जीवन में कलह, विवाद के प्रसंग कम हो जाएंगे। इसी प्रकार कुशल साधक धर्म का बीज जीवन में अंकुरित करने से पहले मनोभूमि को तैयार करता है।
जयमल जाप का हुआ अनुष्ठान
प्रवचन की प्रभावना नरपतचंद, गणपतकुमार कोठारी की ओर से वितरित की गयीं। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीपक सैनी, प्रेमलता ललवानी, सोहन नाहर एवं सुशीला नाहटा ने दिए। विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ मालचंद, प्रीतम ललवानी ने लिया। दोपहर में महाचमत्कारिक जयमल जाप का अनुष्ठान किया गया। इस मौके पर कंचनदेवी ललवानी, तीजा बाई पींचा, शोभादेवी पारख, रसीला सुराणा आदि श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थीं। मंच का संचालन संजय पींचा ने किया।

नागौर. जिला मुख्यालय के बहुउद्देशीय चिकित्सालय में पौधरोपण किया गया। इसमें विभिन्न प्रकार के छायादार पौधे लगाए गए। इस मौके पर पशु चिकित्सक महेन्द्र छंगाणी ने पर्यावरण में पेड़ों की महत्ता पर प्रकाश डाला। छंगाणी ने कहा कि पेड़ों के बिना मानव जीवन के संतुलन की संकल्पना भी नहीं की जा सकती है। सभी का कर्तव्य है कि वह पेड़ों को संरक्षित करें, तो पेड़ भी मानव को संरक्षित करने का काम करेंगे। इसमें पशुधन सहायक नरसीराम, राधेश्याम, मुकेश बोहरा, सुनील फरड़ोदा आदि मौजूद थे।
जैन धर्म दर्शन में भावनाओं का महत्व
नागौर. श्री जैन श्वेतांबर तपागच्छ श्री संघ के बोहरावाड़ी स्थित उपाश्रय में प्रवचन में साध्वी सौम्यप्रभा ने कहा कि जैन धर्म दर्शन में भावनाओं का बहुत बड़ा महत्व है। भाव से किया गया तप जीवन के सारे संतापो को दूर कर देता है। भावना से दिया गया दान वरदान बन जाता है। शुभ भावों से पुण्य संवर निर्जरा और मुक्ति तक की साधना सरल बन जाती है। शुभ भाव व्यक्ति को ऊपर उठा देता है तो अशुभ भाव नीचे गिरा देता है। प्रतिदिन शुभ भावनाओं का चिंतन करते रहना चाहिए। भावनाओं की असर आत्मा पर भी पड़ती है तो व्यावहारिक जगत में परिवार पर भी पड़ती है। बेशक एक घर में परिवार रहता है मगर परिवार एक दूसरे से मिल कर के नहीं रहता उसके पीछे यदि कोई कारण है तो शुभ भावनाओं की कमी है। एक दूसरे के प्रति अपनत्व की कमी है। एक घर में रहने वाले परिवार को शक्कर की तरह एक-दूसरे के साथ में घुल मिल जाना चाहिए। लुखी निर्मित करवाया गया एवं कर लो दुनियां मु_ी में इस आधार पर एक प्रश्न मंच रखा गया। इसमें समाज के लोगों ने भाग लिया।
मेघवाल समाज के छात्रावास में कमरों का लोकार्पण
नागौर. मेघवाल के समाज के छात्रावास में कमरों का लोकार्पण समारोहपूर्वक किया गया। इस दौरान भामाशाहों का भी सम्मान किया गया। मेघवाल समाज विकास समिति के जिलाध्यक्ष बी. एल. भाटी ने बताया कि अखिल भारतीय सांगलिया धूनी के पीठाधीश्वर ओमदास के सानिध्य में लोकार्पण किया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष रूपाराम का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष रूपाराम ने सामाजिक विकास एवं समरसता पर बल देते हुए समाज के समग्र उन्नति पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समाज को प्रत्येक कार्य में अपनी सहभागिता करनी चाहिए। बच्चों की शिक्षा के साथ ही विकास से जुड़े अन्य मूलभूत समस्याओं के निवारण में समाज की भूमिका अग्रणी रही है। इस समाज के विभिन्न संगठनों के अलावा जिले भर से आए जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

 

नागौर. नागौर जिले में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने बरपाए कहर के बाद अलर्ट हुए चिकित्सा विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत बना लिया है, ताकि तीसरी लहर में आमजन को ऑक्सीजन सहित अन्य चिकित्सा सुविधाओं के लिए तरसना नहीं पड़े। वर्तमान में नागौर जिला कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए पूरी तरह है।
चिकित्सा व्यवस्था की दृष्टि से नागौर जिले की मजबूती में सबसे बड़ी बात चिकित्सकों के अधिकतर पद भरना एवं ऑक्सीजन प्लांट हैं। वर्तमान में जिले में उप स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर जिला मुख्यालय के अस्पताल तक चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ के अधिकतर पद भर चुके हैं। जिले में पीएचसी व सीएचसी पर चिकित्सा अधिकारियों के 90 प्रतिशत पद भरे जा चुके हैं। वहीं नर्सिंग स्टाफ के पद लगभग पूरे भर चुके हैं तो हाल ही लगाए गए कोविड हैल्थ एसिसटेंट की संख्या भी 1600 से अधिक है।

चिकित्सकों के 420 में से 375 पद भरे
चिकित्सा विभाग के अनुसार जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कनिष्ठ विशेषज्ञ (जेएस), चिकित्सा अधिकारी (एमओ), वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) सहित कनिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसिन के 420 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 375 पद भर चुके हैं। 45 पद रिक्त हैं, जिनके भी जल्द ही भरने की संभावना है।

खड़ी कर दी सीएचए की फौज
कोविड-19 से लडऩे के लिए राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिले में 1600 से अधिक कोविड हैल्थ एसिसटेंट (सीएचए) लगाए जा चुके हैं। सीएमएचओ के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक, पीएचसी स्तर पर 2-2, सीएचसी स्तर पर 3-3 तथा शहरी क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में दो-दो सीएचए लगाए गए हैं, यानी जिले के 11 निकायों के 410 वार्डों में दो-दो के हिसाब से 820 सीएचए लगाए गए हैं।

खींवसर के अलावा ज्यादातर प्लांट अंतिम चरण में
जिला मुख्यालय पर वर्तमान में चल रहे 100 सिलेण्डर की उत्पादन क्षमता वाले प्लांट के अतिरिक्त यहां अम्बुजा सीमेंट कम्पनी द्वारा 175 से 200 सिलेण्डर की क्षमता वाला प्लांट तैयार करवाया जा रहा है, जिसका काम अंतिम चरण में है। इसके अतिरिक्त नगर परिषद द्वारा नवनिर्मित प्लांट से प्रतिदिन 100 ऑक्सीजन सिलेण्डर एवं एनएलसी इंडिया लिमिटेड द्वारा ऑक्सीजन प्लांट से प्रतिदिन 100 सिलेण्डर का उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। यानी जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल में प्रतिदिन करीब 500 ऑक्सीजन सिलेण्डर का उत्पादन होगा। अम्बुजा के प्लांट पर ऑक्सीजन सिलेण्डर भरने का कार्य शुरू हो जाएगा। इसके अलावा डीडवाना में वर्तमान में प्लांट चालू है तो लाडनूं, जायल, कुचामन सिटी, छोटी खाटू, नावां, मकराना, परबतसर, डेगाना व मेड़ता सिटी में भी ऑक्सीन प्लांट का काम अंतिम चरण में हैं, जबकि खींवसर में हाल ही स्वीकृत होने के चलते काम शुरू हो गया है।

जिले को मिले 900 सिलेण्डर
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के साथ सिलेण्डर की कमी भी काफी खली थी, जिसके चलते मरीजों को 400 रुपए के सिलेण्डर के 40 हजार रुपए तक चुकाने पड़े थे। जिला प्रशासन ने औद्योगिक संस्थानों से सिलेण्डर लिए थे। आगे ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए सरकार ने हाल ही जिले को नए 900 सिलेण्डर उपलब्ध करवाए हैं, जिसमें 500 बड़े सिलेण्डर (डी टाइप) हैं, जिन्हें जिले के बड़े अस्पताल डीडवाना, कुचामन व लाडनूं आदि स्थानों पर भेजा गया है, जबकि 400 छोटे सिलेण्डर (बी टाइप) हैं, जिन्हें छोटे चिकित्सा संस्थानों को दिया गया है। इसके साथ 1500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी जिले में चिकित्सा विभाग के पास है।

हर दृष्टि से मजबूत हैं हम
कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे के लिए जिले का चिकित्सा विभाग पूरी तरह तैयार है। जिले में चिकित्सकों के साथ नर्सिंग स्टाफ के पद लगभग भर चुके हैं। ऑक्सीजन की भी समस्या इस बार नहीं आएगी। जिला मुख्यालय सहित लगभग हर उपखंड पर प्लांट तैयार हो रहे हैं। सिलेण्डर व ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
- डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर

नागौर. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक तथा नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को संसद भवन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से उनके कार्यालय में मुलाकात की। सांसद ने नागौर संसदीय क्षेत्र के खींवसर, परबतसर व डीडवाना में तथा नागौर जिले के ही मेड़ता मुख्यालय पर नवीन केंद्रीय विद्यालयों की स्वीकृति जल्द से जल्द करवाने की मांग की।
गौरतलब है कि सांसद बेनीवाल गत लंबे समय से चारों स्थानों पर नवीन केंद्रीय विद्यालय स्वीकृत करवाने को लेकर प्रयास कर रहे हैं, साथ ही पूर्व में सांसद की मांग पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के माध्यम से उक्त स्थानों पर नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की रिपोर्ट भी मांगी थी, ऐसे में सांसद ने मंत्री से कहा कि जल्द से जल्द रिपोर्ट को मंगवा कर नागौर में चारों केंद्रीय विद्यालयों की स्वीकृति जारी करें, ताकि भौगोलिक दृष्टि से विस्तारित नागौर जिले के निर्धन व पिछड़े तबके के छात्रो को उच्च गुणवत्ता की शिक्षण संस्थाओं में अच्छी शिक्षा मिल सके। इस मामले को सांसद लोकसभा में भी उठा चुके हैं तथा केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ भी लगातार संपर्क में हैं।
सांसद बेनीवाल से मुलाकात के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुलाकात की तस्वीर अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर की। वहीं सांसद बेनीवाल ने कहा कि नागौर जिले के विकास व जिले में अधिक से अधिक केंद्रीय योजनाओं को लाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं।

राजस्थान सरकार के व्यवहारिक प्रस्ताओ को केंद्र ने किया अनुमोदित
केन्द्र सरकार द्वारा गत 6 मई 2021 को हुई बैठक में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत विभिन्न जिलों में नए कक्षा-कक्षों, भवनों आदि के निर्माण को लेकर भेजे गए प्रस्तावों में से व्यवहारिक प्रस्ताओं का अनुमोदन किया गया है। यह जानकारी सोमवार को संसद में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल के जवाब में दी।
शिक्षा मंत्री ने जवाब में राजस्थान में वर्ष 2018-19 से लेकर 2021-22 तक समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृति के क्रम में हुई उपलब्धि का ब्यौरा देते हुए बताया कि उक्त समयावधि में प्राथमिक स्कूलों के संदर्भ में संचयी स्वीकृति 136 में से संचयी उपलब्धि मात्र 28 रही। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों की 95 में से मात्र 25 रही। आवासीय छात्रावासों में 34 में से 19 तथा माध्यमिक स्तर के 67 नए भवनों के निर्माण के क्रम में 43 ही रही और उच्च माध्यमिक स्कूल के 3 नए भवनों में प्रगति शून्य रही है।

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