>>: Digest for August 05, 2021

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Table of Contents

श्रीमहावीरजी/हिण्डौनसिटी.
क्षेत्र में किसानों का परंपरागत फसलों की खेती के साथ बागवानी के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इसके लिए किसान खेतों में अमरुद के पौधे रोप कर बगीचे तैयार कर रहे हैं। फलों की बागवानी मेंं ज्यादा आय और सरकार से ज्यादा अनुदान मिलने से किसान फसली खेती से ज्यादा उद्यानिकी पर जोर दे रहे हैं।
बीते कई सालो से हिण्डौन उपखण्ड क्षेत्र के गांवों में कई एकड़ क्षेत्र में अमरूद सहित कई प्रकार के फलों के बाग लगाए जा चुके हैं। बारिश की कमी और परम्परागत फसलों में घट रहे उत्पादन के चलते किसानों ने बागवानी करना शुरू कर दिया है।

रबी व खरीफ की पैदावार घाटे का सौदा-
रबी की फसल चना, गेहूं, सरसों के साथ-साथ खरीफ की फसलों ग्वार, बाजरा सहित अन्य फसलों से किसानों को पहले की तुलना में ज्यादा मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। एक तरह से कई फसलों में लागत की तुलना में कम उपज होने से घाटा भी झेलना पड़ता है।

किसानों को भा रही बागवानी-
अकबरपुर गांव के किसान रामस्वरूप पमड़ी बताते हैं कि बागवानी कर परंपरागत फसलों से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। सालों तक परंपरागत फसलों की खेती की, लेकिन बचत नहीं होती थी। जिसके बाद बागवानी में 2 बीघा भूमि पर अमरूद के पौधे लगाए हैं,जिसमे आगामी 2 वर्ष बाद अच्छी कमाई होने की उम्मीद है । अमरूद के बागवानी के लिए ख्यात सवाईमाधोपुर के नर्सरी संचालन मुरारी मीना ने बताया कि वे अब तक हजारों हेक्टेयर भूमि में बगीचे लगा चुके हैं। गांवों में पहले धान और गेहूं की खेती करते थे, जिसमें पानी अधिक जरुरत के साथ अन्य खर्चे भी बहुत थे। कम खर्च में एक बीघा अमरूद से 1 से 2 लाख रुपए की कमाई की जा सकती हैं। बागवानी में में ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करने पर पानी की बचत के साथ मेहनत भी कम होती है। बागवानी विभाग भी ड्रिप सिंचाई के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जाता है। जिससे किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं उठाना पड़ता है।


हिण्डौनसिटी. मेडिकल में प्रवेश के लिए 12 सितंबर को होने वाली नीट परीक्षा में ओबीसी वर्ग को आरक्षण से वंचित रखने के विरोध में मंगलवार को भारतीय विद्यार्थी मोर्चा के बैनर तले युवाओं ने राष्ट्रपति के नाम एसडीएम अनूप सिंह को ज्ञापन सौंपा।


मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि संविधान में ओबीसी को आरक्षण दिए जाने के बावजूद नीट परीक्षा में ओबीसी वर्ग के युवाओं को आरक्षण से वंचित रखा गया है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार ओबीसी 52 प्रतिशत हैं, जिन्हें क्रीमीलेयर लगाकर 27 प्रतिशत प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण के रूप में सेफगार्ड दिया गया है। जबकि पूरा 52 प्रतिशत दिया जाना चाहिए, फिर भी दिए गए 27 प्रतिशत में भी क्रीमीलेयर लगाया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 340 की मूल भावना के विरुद्ध है।

युवाओं ने बताया कि 12 सितंबर 2021 को मेडिकल प्रवेश के लिए होने वाली नीट परीक्षा में ओबीसी को सेन्ट्रल कोटे की 15 प्रतिशत राज्य मेडिकल की सीटों में आरक्षण को शून्य कर दिया गया है, जो कि ओबीसी के साथ धोखा है। ज्ञापन के जरिए मोर्चा के पदाधिकारियों ने मांगे पूरी नहीं होने पर तीन चरण में देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

चम्बल में पानी की आवक से कई गांव कराए खाली

कोटा से छोड़े पानी से करणपुर -मण्डरायल में चम्बल किनारे के गांव प्रभावित
प्रशासन चौकस, एसडीआरएफ की टीम इलाके में तैनात

करौली. कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने और चम्बल के रास्ते के बीच बारिश के कारण करौली जिले में करणपुर-मण्डरायल में होकर गुजर रही चम्बल नदी उफान पर है। दोनों इलाकों में चम्बल नदी खतरे के निशान से 4 मीटर अधिक ऊंचाई पर है। इस कारण चम्बल किनारे बसे गांवों में अलर्ट किया गया है। कुछ गांव प्रशासन ने एसडीआरएफ टीम की मदद से खाली कराए हैं तो कुछ गांवों में मुनादी कराकर गांव खाली करने की चेतावनी दी गई है।
तीन दिन से चम्बल नदी में कोटा की ओर से पानी की आवक हो रही है। इस कारण करणपुर-मण्डरायल इलाके में प्रशासन ने चंबल से सटे गांवों में हाई अलर्ट जारी कर रखा है। लगातर बढ़ रहे जलस्तर के कारण मंगलवार शाम महाराजपुरा पंचायत के गौटा गांव को प्रशासन ने खाली करा दिया था। अब गौटा गांव जल मग्न है। इसके अलावा करणपुर इलाके के ही मल्हापुरा, झूकरी, बंधबारा, दर्रा नीदरियापुरा, फत्तेपुरा से भी लोगों को बुधवार को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता रहा।
पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने मंडरायल और करणपुर के लिए एसडीआरएफ के जवानों की टीम लगाई हुई है।
टोडी गांव को कराया खाली

इसी प्रकार मण्डरायल इलाके में चंबल किनारे के टोडी गांव से एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू करके 67 लोगों को रानीपुरा सीनियर हायर सेकेंडरी स्कूल में पहुंचाया गया है। वहां उनके रहने -खाने के प्रबंध किए गए हैं। मण्डरायल क्षेत्र में पांचोली पंचायत के टोडी, बर्रेड मल्हापुरा, रांचौली, दुबोलियापुरा, मोंगेपुरा पंचायत के बूढ़ीन, गोहार, रोधई पंचायत के कैमकच्छ गांव के चारों तरफ पानी भरा है। इन गांवों के लोगों को समझाइश करके बाहर निकालने के प्रयास पुलिस व प्रशासन के अधिकारी कर रहे हैं।
अतिरिक्त जिला कलक्टर सुर्दशन सिंह तोमर ने बताया कि करणपुर मण्डरायल इलाके में चम्बल नदी के खतरे के निशान से 4 मीटर अधिक चलने के कारण चम्बल किनारे के गांवों पर प्रशासन नजर बनाए हुए हैं। लोगों को समझाइश करके उन्हें गांवों से निकाला गया है।

रास्ता बंद- बिजली ठप

इलाके में बारिश के चलते और नदी-नालों के पानी की आवक के कारण करणपुर से मंडरायल और बालेर सड़क मार्ग 7 दिन से बंद है। कई जगह जमीन दलदली होने
से 33 केवी विद्युत लाइन के पोल गिर गए हैं। इससे इलाके की बिजली आपूर्ति भी ठप है। कनिष्ठ अभियंता रामनिवास
ने बताया कि मौसम साफ होने के बाद इसे सही करने की कार्रवाई की जाएगी।

टोडी गांव को कराया खाली

इसी प्रकार मण्डरायल इलाके में चंबल किनारे के टोडी गांव से एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू करके 67 लोगों को रानीपुरा सीनियर हायर सेकेंडरी स्कूल में पहुंचाया गया है। वहां उनके रहने -खाने के प्रबंध किए गए हैं।
मण्डरायल क्षेत्र में पांचोली पंचायत के टोडी, बर्रेड मल्हापुरा, रांचौली, दुबोलियापुरा, मोंगेपुरा पंचायत के बूढ़ीन, गोहार, रोधई पंचायत के कैमकच्छ गांव के चारों तरफ पानी भरा है। इन गांवों में टोडी को खाली कराया गया है। जबकि कैमकच्छ, गोहार, मल्हापुरा में जलभराव अधिक होने से है।
उपखंड अधिकारी प्रदीप कुमार चौमाल, तहसीलदार भोलाराम बैरवा, विकास अधिकारी विजय सिंह मीना, थानाधिकारी जितेन्द्र सिंह चौधरी लगातार चम्बल किनारे के गांवों के लोगों को समझाइश करके बाहर निकालने के प्रयास कर रहे हैं।

करौली. स्थानीय नगरपरिषद की ओर से विभिन्न कार्यों के लिए अब ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इससे आमजन को सुविधा मिल सकेगी। नगरपरिषद आयुक्त नरसी मीना ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशों की पालना में परिषद द्वारा ऑनलाइन सेवाओं के अंतर्गत ऑनलाइन सेवा शुरू कर दी गई है। इसके तहत 3 आवेदकों को ऑनलाइन नामांतरण आदेश जारी किए गए हैं।

राज्य सरकार की मंशा अनुरूप ऑनलाइन सेवाओं से कार्य में पारदर्शिता आने के साथ लोगों को कार्य के लिए कार्यालय में नहीं आना पड़ेगा वे घर बैठे अपनी एसएसओ आईडी या नजदीकी ई-मित्र से आवेदन कर सकेंगे। इससे उन्हें समय और धन की बचत होगी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन सेवाओं के अंतर्गत भवन निर्माण स्वीकृति, म्यूटेशन, फायर एनओसी, साइनेज, ट्रेड लाइसेंस व सीवर एनओसी, होर्डिंग्स स्वीकृतियां जारी की जाएंगी। परिषद की ओर से आयुक्त नरसीलाल सहित पार्षदों ने ऑनलाइन सेवाओं की शुरूआत करते हुए तीन आवेदकों को ऑनलाइन नामांकरण जारी किए गए हैं।

करौली. जिले के अधिकांश इलाकों में इस बार सावन झूमकर बरसा है। मानसून की मेहरबानी से जिले के सबसे बड़े पांचना बांध सहित अन्य बांध-तालाब छलक उठे। विशेष रूप से महज करीब एक सप्ताह की बारिश के दौर ने ही जिले को तर-बतर कर दिया है।

जल संसाधन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले वर्ष के मुकाबले अब तक जिले में 263 एमएम बारिश अधिक हो चुकी है। पिछले साल 3 अगस्त तक जिले में कुल 234 एमएम बारिश ही हुई थी, जबकि इस बार झमाझम बारिश के दौर के चलते अब तक 497 एमएम बारिश हो चुकी है। जबकि जिले की कुल औसत बारिश 686 मानी जाती है।

विशेष बात यह है कि कहीं-कहीं तो जिले की कुल औसत बारिश से भी अधिक बारिश दर्ज हो चुकी है, जबकि अभी मानसून का लम्बा दौर बाकी है। ऐसे में उम्मीद है कि इस बार जिले में बारिश का आंकड़ा औसत बारिश को भी पार कर सकता है। गौरतलब है कि गत वर्ष जिले में पूरे मानसून के दौरान सामान्य औसत बारिश भी नहीं हो सकी थी, जिससे कई बांध-तालाब भी रीते रह गए थे।

इन स्थानों पर 700 एमएम से अधिक बारिश
जल संसाधन विभाग के आंकड़ों को देखें तो जिले में अब तक सर्वाधिक बारिश सपोटरा इलाके के कालीसिल बांध क्षेत्र में हुई है, जहां 769 एमएम बारिश हो चुकी है, वहीं मण्डरायल इलाका भी इससे पीछे नहीं है। मण्डरायल क्षेत्र में भी अब तक 732 और श्रीमहावीरजी क्षेत्र में 706 एमएम बारिश हो चुकी है। अभी तक की बारिश को लेकर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि लम्बे समय बाद सावन माह के पहले सप्ताह तक इतनी अधिक बारिश हुई है।

जिले में यहां सबसे कम बारिश
पिछले दिनों में जिले में बारिश का दौर तो झमाझम चला है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अन्य इलाकों की तुलना में कम बारिश दर्ज की गई। टोडाभीम इलाके में अभी तक 210 एमएम , नादौती क्षेत्र में 284 एमएम और हिण्डौन इलाके में 287 एमएम बारिश हुई है। हालांकि हिण्डौन क्षेत्र के जगर बांध पर 385 एमएम बारिश हो चुकी है।

अब तक कहां कितनी बारिश
स्थान बारिश (एमएम)
करौली 558
सपोटरा 573
हिण्डौन 287
टोडाभीम 210
श्रीमहावीरजी 706
मण्डरायल 732
नादौती 284
कालीसिल बांध 769
पांचना बांध 472
जगर बांध 385

इनका कहना है
जिले में अब तक करीब 497 एमएम बारिश दर्ज की गई है, जबकि पिछले वर्ष इस अवधि तक करीब 234 एमएम बारिश हुई थी। इस प्रकार इस वर्ष जिले में गत वर्ष के मुकाबले 263 एमएम बारिश हो चुकी है। अभी मानसून का लम्बा दौर बाकी है।
सुशीलकुमार गुप्ता, अधिशासी अभियंता,जल संसाधन विभाग, करौली

करौली. यहां से परीता मार्ग पर गुनेसरी-धांधुपरा गांव के बीच स्थित निर्माणाधीन पुलिया के पिछले दिनों भारी बारिश के चलते क्षतिग्रस्त होने से दर्जनों गांवों के ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो गया है। इसके चलते चौपहिया वाहनों को आवागमन ही ठप है, जबकि दोपहिया वाहनों का निकल पाना भी मुश्किलभरा हो गया। इससे ग्रामीण परेशान हैं। इस समस्या को लेकर बुधवार को तहसीलदार मदनलाल मौके पर पहुंचे और क्षतिग्रस्त पुलिया का जायजा लिया। तहसीलदार मदनलाल ने बताया कि पुलिया के क्षतिग्रस्त होने की शिकायत पर निरीक्षण किया गया। कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।

गौरतलब है कि दो दिन पहले इलाके में भारी बारिश के चलते पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई। जिसके चलते पुलिया में लगाई गई गिट्टियां उखड़ गई। ऐसे में आवागमन बाधित हो गया। यह मार्ग परीता से आगे सवाईमाधोपुर जिले के वजीरपुर कस्बे तक पहुंचता है।

इस मार्ग के दर्जनों गांवों के लोगों का प्रतिदिन करौली जिला मुख्यालय पर आना-जाना रहता है। वहीं इस इलाके से बड़ी संख्या में दूधिए भी करौली शहर में दूध लेकर आते हैं, लेकिन अब तीन दिन से उनके समक्ष मुश्किल हो गई है। एसे में अनेक लोग तो रास्ता बदलकर 10-12 किलोमीटर तक फेर लगाकर आने-जाने को मजबूर हो रहे हैं।

कीरतपुरा गांव के विजय चतुर्वेदी ने बताया कि पुलिया के क्षतिग्रस्त होने से आवागमन बाधित हो गया है। इससे परेशानी हो रही है। दूसरे रास्ते से फेर लगाकर 10-12 किलोमीटर का चक्कर लगाकर आना-जाना पड़ रहा है। सायपुर निवासी रामस्वरूप चतुर्वेदी ने बताया कि नवनिर्मित पुलिया पानी के तेज बहाव के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे वाहन ही नहीं निकल पा रहे। ऐसे में परेशानी हो रही है।

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