>>: Digest for August 06, 2021

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Table of Contents

नागौर. प्रदेश के लोक देवताओं, संतों एवं वीरों की याद को चिरस्थाई रखने व आने वाली पीढ़ी को महापुरुषों के बारे में रोचक तरीके से जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नागौर जिले में राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए पैनोरमा उपेक्षा के शिकार हैं। भाजपा सरकार के कार्यकाल में राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से पींपासर में बनाए गए गुरु जाम्भोजी पैनोरमा की दीवारें एवं खम्भे उद्घाटन के दो-ढाई बाद ही जर्जर होने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 27 सितम्बर 2018 को पींपासर पैनोरमा का लोकार्पण किया था। उद्घाटन को अभी पूरे तीन साल ही नहीं हुए हैं, लेकिन दीवारों का प्लास्टर उखडऩे लगा है तो पैनोरमा के दरवाजे पर लगाए गए खम्भों में दरारें आ गई हैं। इसी प्रकार पैनोरमा परिसर में लगाए गए जाम्भोजी के 29 नियमों का शिलालेख के पत्थर भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत के निर्देशन में नागौर जिला मुख्यालय पर वीर अमरसिंह राठौड़ का पैनोरमा, खरनाल में वीर तेजाजी का पैनोरमा तथा पींपासर में गुरु जाम्भोजी का पैनोरमा बनाया गया था। करोड़ों रुपए खर्च करने व लम्बे इंतजार के बाद तीनों पैनोरमा आमजन के लिए खोले गए, लेकिन स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने के कारण पींपासर व खरनाल का पैनोरमा आज भी दर्शकों के लिए नियमित रूप से नहीं खुल रहे हैं।

देखने के बाद खुश हो जाता है मन
ऐसा नहीं है कि प्राधिकरण ने पैनोरमा निर्माण में कौताही बरती, तीनों ही पैनोरमा में संकलित की गई जानकारी एवं लगाई गई तस्वीरें व प्रतिमाएं सैकड़ों वर्ष पुराने दृश्यों को जीवंत करते हैं तथा उन्हें देखकर हर कोई खुश हो जाता है, लेकिन सरकारी उदासीनता एवं अनदेखी के चलते इन पैनोरमा की सार-संभाल नहीं हो पा रही है, जिससे मन दु:खी हो जाता है।

लोकेशन अच्छी, लेकिन दर्शन की गारंटी नहीं
पींपासर व खरनाल का पैनोरमा की लोकेशन काफी अच्छी है। खरनाल स्थित पैनोरमा जहां वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, वहीं पींपासर का पैनोरमा नागौर व बीकानेर की सीमा पर स्थित है। मुकाम व समराथल धोरा के दर्शनार्थ देशभर से आने वाले श्रद्धालु जाम्भोजी की जन्मस्थली पींपासर भी आते हैं, ऐसे में यदि उन्हें पैनोरमा खुला मिल जाए तो प्रशासन को न केवल राजस्व अर्जित होगा, बल्कि पैनोरमा की सार-संभाल भी हो सकेगी। इसी प्रकार खरनाल में भी श्रद्धालु एवं पर्यटक पैनोरमा देखने आते हैं, लेकिन चाबी आने में ही आधा घंटा लग जाता है।

जल्द शुरू करवाएंगे
हां, यह सही है कि जिले में बने पैनोरमा नियमित रूप से नहीं खोले जा रहे हैं। वैसे उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति को इसकी व्यवस्था करनी होती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। 15 अगस्त से पहले सभी पैनोरमा को खोलने व नियमित सार-संभाल के लिए बैठक बुलाने के लिए एसडीएम को निर्देश देंगे। हम प्रयास करेंगे कि जनसहयोग से उनके बैंक खाते भी खुलवाएं, ताकि नियमित रूप से पैनोरमा खुले और देखभाल भी हो।
- डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, नागौर

नागौर. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने गुरुवार को संसद भवन में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव से उनके कार्यालय में मुलाकात की। सांसद बेनीवाल ने मंत्री के समक्ष नागौर जिले के मूण्डवा में निर्माणाधीन अंबुजा सीमेंट प्लांट द्वारा ली गई पर्यावरण अनापत्ति के संबंध में कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए गलत तथ्यों का विवरण देते हुए जांच करवाने की मांग की। साथ ही कंपनी की पर्यावरण अनापत्ति को निरस्त करने की भी मांग की। बेनीवाल ने मंत्री यादव से कहा कि गत 4 दशक से सीमेंट प्लांट बनाने के नाम पर किसानों से सस्ती दर पर जमीन अवाप्त कर ली तथा प्लांट निर्माण के लिए मूण्डवा शहर से गलत दूरी दर्शा कर व आसपास के गांव के संबंध में वहां की कृषि भूमि की स्थिति तथा जलाशयों व तालाबों की स्थिति, पशु-पक्षियों की स्थिति आदि के बारे में गलत ब्यौरा दिया है। इस दौरान सांसद ने कंपनी के कई झूठे तथ्यों, रोजगार में स्थानीय लोगों को अनदेखा करने सहित कई मामलों से मंत्री को अवगत करवाया तथा अपने मूल पत्र में लिखा कि निष्पक्ष संस्था द्वारा रिस्क एनालाइसिस एसेसमेन्ट करवाने, पर्यावरण संबंधी संस्तुति की विवेचना करने व भविष्य में होने वाली पर्यावरणीय हानि का आंकलन करने से पूर्व निर्माण पर रोक लगाते हुए ईसी को रद्द करने की मांग की, जिस पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री यादव ने सभी तथ्यों की जल्द से जल्द जांच करवाकर कार्रवाई करने का आश्वासन सांसद बेनीवाल को दिया।

यह मांग भी की
सांसद ने नागौर जिले में स्वीकृत ईएसआईसी डिस्पेंसरी को जल्द से जल्द शुरू करने की भी मांग की। गौरलतब है कि सांसद बेनीवाल की मांग पर ही गत वर्ष भारत सरकार ने नागौर में ईएसआईसी डिस्पेंसरी व ब्रांच कार्यालय की स्वीकृति प्रदान की थी।

राजस्थान में स्ट्रीट वेंडर एक्ट की पालना रिपॉर्ट संतोषजनक नहीं
लोकसभा में गुरुवार को स्ट्रीट वेंडर एक्ट से सम्बंधित जुड़े सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल पर केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि राजस्थान में अब तक 1,93,568 पथ विक्रेताओं की पहचान की गई है, जिसमे से 23,714 विक्रय प्रमाण पत्र जारी किए गए। वहीं 73,915 का पहचान प्रमाण पत्र जारी किया गया और कुल 1055 विक्रय जॉन अधिसूचित किए गए। सांसद ने अपने मूल सवाल में पथ विक्रेता अधिनियम की अनुपालना में भौतिक प्रगति का विवरण पूछा था। सांसद ने कहा कि इस अधिनियम के तहत अधिक से अधिक निर्धन रेहड़ी वालों को सूचीबद्ध करके उनके पहचान पत्र जारी करने की जरूरत थी, ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके, लेकिन राजस्थान की नगरीय इकाइयों ने उक्त एक्ट की पालना गंभीरता से नहीं की। बेनीवाल ने यह बात सवाल के जवाब का अध्ययन करने के बाद कही।

नागौर. सरकारी भूमि महाविद्यालय को आवंटित करने, फीस में राहत देने व सरकारी महाविद्यालयों में स्वयंपाठी विद्यार्थियों के लिए विज्ञान संकाय में बीएससी वापस शुरू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने जिला कलक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
एनएसयूआई जिलाध्यक्ष सुरेश भाकर ने बताया कि कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण देश की जनता पर आर्थिक मार पड़ी है, जिसमें विद्यार्थियों के परिवारों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई है, साथ ही कोरोना के कारण कुछ कक्षा के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया, उनकी परीक्षा भी आयोजित नहीं की गई। इसलिए विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क वापस देकर फीस में राहत प्रदान करनी चाहिए।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हनुमान लामरोड़ व छात्र नेता दयाल चौधरी ने बताया मिर्धा महाविद्यालय के पीछे के भूभाग पर सरकारी भूमि स्थित है, पहले मिर्धा कॉलेज के भूभाग पर केवल एक ही महाविद्यालय होता था, अब इस जमीन में से माडीबाई महिला महाविद्यालय और विधि महाविद्यालय को जमीन अलॉट कर दी गई है। साथ ही आए दिन भूमाफिया इस जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास करते हैं, इसलिए छात्र हित को ध्यान में रखते हुए इस भूमि को जल्द से जल्द महाविद्यालय को आवंटित किया जाए।
छात्र संघ उपाध्यक्ष रहे मोहन मेघवाल, छात्र नेता मनोज मेघवाल ने बताया कि पहले विद्यार्थी यदि सरकारी महाविद्यालय में नियमित नहीं होते थे, तो स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में यूजी में विज्ञान संकाय में बीएससी कर पाते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से स्वयंपाठी विद्यार्थियों के लिए बीएससी बंद कर दी गई है, जिसके कारण विद्यार्थियों को भारी-भरकम फीस चुका कर निजी महाविद्यालयों में बीएससी करनी पड़ती है। इसलिए वापस स्वयंपाठी विद्यार्थियों के लिए बीएससी शुरू की जाए।

नागौर. तकरीबन तीन माह से संभाग स्तर पर कमाई में पहले नंबर पर होने के बाद भी रोडवेज कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिलने पर बीएमएस इकाई की ओर से रोडवेज परिसर में प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर परिवहन फेंडरेशन सरंक्षक रणजीत सिह ने कहा कि निगम एवं सरकार कर्मचारी हितों के खिलाफ काम कर रही है। कर्मचारी समर्पित भाव से निगम में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन उच्च पदों पर आसीन यह अधिकारी कर्मचारी हितों के खिलाफ काम करने में लगे हुए हैं। बीएमएस के जिला मंत्री रामेश्वरलाल तेरवा ने कहा कि यह काफी विडंबनापूर्ण स्थिति है कि नागौर डिपो पिछले तीन माह से कर्मचारियों के कारण राजस्व आय अर्जित करने के मामले में पहले नंबर पर चल रहा है। इसके बाद भी अधिकारी वेतन देने की जगह आश्वासन देकर काम चला रहे हैं। वेतन नहीं मिलने से कर्मचारियों के समक्ष स्थिति विकट हो गई है। प्रदर्शन में परिवहन फेंडरेशन के उपाध्यक्ष पंकज कुमार टेलर, सचिव रामेश्वरलाल तेरवा, सह सचिव बालकिशन चतुर्वेदी, सदस्य बाबूलाल बिश्नोई, भगवानाराम माल, परिचालक रामूराम, परिचालक नरसीराम विश्नोई, परिचालक प्रेमसुख, परिचालक मूलाराम आचार्य, परिचालक हरिराम चौधरी, परिचालक सोहनराम बारूपाल, चालक नारायणलाल, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी जगदीश भाटी, चालक जगदीश डिडेल, चालक संयुक्त मोर्चा सचिव, रतन सिंह ,मैकेनिक रामचंद्र चौधरी, मैकेनिक अनूपचंद सेन, सचिव एटक शाखा मैकेनिक रामचंद्र चौधरी, चालक सुखदेव ओझा, भारतीय मजदूर संघ संभागीय सचिव देवकरण कुड़ी आदि मौजूद थे।

नागौर. सीबीएसई की ओर से गत मंगलवार को जारी 10वीं परीक्षाफल के परिणाम जारी होने के बाद इसमें मिले अंको लेकर जिला मुखयालय के विवेकानंद मॅडल राजकीय विद्यालय के परीक्षार्थियों एवं अभिभावकों में असंतोष भडक़ गया। इससे नाराज अभिभावक एवं विद्यार्थी बुधवार सुबह विद्यालय जा पहुंचे। अभिभावकों विद्यालय पर सीबीएसई बोर्ड को भेजे गए अंक में धांधलेबाजी करने का आरोप लगाया। आरोपित किया कि आठवीं से लेकर नौवीं तक बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों के औसत से भी कम अंक एवं पूर्व में कमजोर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के बेहतर प्राप्तांकों में गड़बड़ी की गई है। इसको लेकर अभिभावकों एवं प्रधानाचार्य के बीच करीब पौन घंटे तक गतिरोध की स्थिति बनी रही। इसके बाद भी बात नहीं बनी तो फिर अभिभावकों ने उपखंड अधिकारी के पास जा पहुंचे। यहां पर वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए ज्ञापन देकर इस पूरे प्रकरण की जांच कराए जाने की मांग की।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से घोषित हुए परिणाम के बाद राजकीय विवेकानंद मॉडल स्कूल के विद्यार्थियों में असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई। बोर्ड की ओर से परिणाम देखने के लिए बनी अधिकारिक वेबसाइट में जाकर कई विद्यार्थियों ने गणित सहित अन्य विषयों के अंक देखे तो इनके होश उड़ गए। परिणाम में मिले अंक बेहद कम होने के साथ अप्रत्याशित रूप से चौंकाने वाले रहे। इससे नाराज बच्चों एवं अभिभावक बुधवार सुबह एकजुट होकर विवेकानंद मॉडल स्कूल पहुंच गए। यहां पर अभिभावकों ने परस्पर बैठक करने के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य राधाकृष्णन से मुलाकात की। बच्चों को गणित सरीखे विषय में 33 प्रतिशत तक मिले अंक के बारे में सवाल-जवाब किए। प्रतिउत्तर में प्रधानाचार्य राधाकृष्णन की ओर जवाब मिला कि बच्चों को मिले विषयागत अंक सीबीएसई बोर्ड की गाइडलाइन के अनुसार हैं। इस पर अभिावक एवं बच्चे संतुष्ट नहीं हुए। इनका कहना था कि विद्यालय में आठवीं से लेकर अब तक श्रेष्ठतम प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के अंक न केवल औसत से भी कम हैं, बल्कि इनकी योग्यता के प्रतिकूल हैं। जबकि पूर्व में न्यून प्रदर्शन करने वाले बच्चों के इनकी तुलना में काफी अच्छे अंक आए हैं। इसको लेकर दोनों पक्षों में सवाल-जवाब का क्रम करीब पौन घंटे तक चला। अभिभावकों ने प्रधानाचार्य पर कथित रूप से अपने चहेतों को अयोग्य होते हुए भी रेवडियों की तरह बांट दिए, जबकि शानदार प्रदर्शन करते आए विद्यार्थियों के इतने कमतर अंक किसी के गले नहीं उतरते।
कापियां दिखाने पर अड़े अभिभावक, नहीं माने संस्था प्रधान
अभिभावकों ने प्रधानाचार्य राधाकृष्णन से बोर्ड में भेजे अंकों की प्रतियां व किस आधार पर अंक दिए गए आदि तथ्यों की पुष्टी करने के लिए कांपियां दिखाए जाने की मांग की, लेकिन प्रधानाचार्य नहीं माने। प्रधानाचार्य का कहना था कि यह कापियां सीलबंद हो चुकी हैं। सारी प्रक्रिया बोर्ड को भेजी जा चुकी है। इसे केवल सीबीएसई बोर्ड के अधिकारी ही देख सकते हैं। इसको लेकर दोनों के बीच काफी देर तक बहस होती रही।
उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया
प्रधानाचार्य के जवाब से निराश अभिभावक पूनमचंद, संजू एवं जुगलकिशोर, संतोष एवं सरोज वर्मा आदि उपखंड अधिकारी के पास जा पहुंचे। कापियां जांच के नाम पर बोर्ड को भेजे गए अंकों में धांधलेबाजी का आरोप लगाते हुए ज्ञापन दिया। आरोपित किया कि प्रधानाचार्य की ओर से विशेष तौर केवल अपने ही चहेतों को बेहतर अंक दे दिए गए, जबकि उनके बच्चों को जानबूझकर कम अंक दिए गए। इससे बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा। विशेषकर गणित, अंग्रेजी एवं विज्ञान आदि विषयों में मिले अंक की नए सिरे से जांच कराने की मांग की गई।
दूसरों के ज्यादा, इनके कम अंक कैसे आ गए
अभिभावक पूनमचंद, संजू एवं जुगलकिशोर, संतोष एवं सरोज वर्मा आदि ने प्रधानाचार्य पर आरोप लगाया कि विद्यालय में मेधावियों के अंक में इतनी गिरावट कैसे आ गए। जबकि अब तक की कक्षाओं में इनके कम कभी कम नहीं रहे। सालों से औसत अंक लेकर आने वाले विद्यार्थियों के अचानक से इतने अंक कैसे दे दिए गए। जाहिर सी बात है कि इस बार बदली हुई व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए अपने ही लोगों को फायदा पहुंचाने का काम कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है।
इनका कहना है...
परीक्षाफल में विद्यार्थियों को मिले अंक केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से निर्धारित मापदंड के तहत मिले हैं। इनमें से किसी भी विद्यार्थी के साथ कोई भेदभाव आदि नहीं किया गया है। असंतुष्ट विद्यार्थी पुन: परीक्षा में शामिल होकर अपने अंक में सुधार करा सकते हैं।
राधाकृष्णन, प्रधानाचार्य राजयकी विवेकानंद माडल स्कूल नागौर

नागौर. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तासागर में भागवत कथा पर प्रवचन में मंहत जानकीदास ने कहा कि ने सनातन धर्म में क्रिया की नहीं, बल्कि बल्कि भाव की प्रधानता है। जीवो के प्रति सद्भाव रखना चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर की आकृतियां होने के साथ ईश्वर तत्व एक समान रूप से विराजमान है। इसीलिए सत् भाव अर्थात सभी में ईश्वर को देखना चाहिए। माता पिता के प्रति सद्भाव रखते हुए श्रद्धा के साथ सम्मान करना चाहिए। यह दुख का विषय है कि आज शहरों में वृद्धाश्रम की संख्या बढऩे लगी है। यह खुशी का विषय नहीं है, बल्कि दुख का विषय है। जबकि सनातन धर्म में माता-पिता को पृथ्वी व आकाश बड़ा माना गया है। माता-पिता की परिक्रम को पूरी धरती की परिक्रमा मानने वाले सनातन धर्म में वृद्धाश्रम का खुलने से स्पष्ट है कि अब धर्म भाव का क्षरण हुआ है। धर्म का क्षरण होने पर निश्चित रूप् से इसके दुष्परिणाम सामने आने भी शुरू हो गए हैं। ऐसे कृत्य की क्षमा किसी भी माध्यम से नहीं मिल सकती है। भौतिक उन्नति तो बहुत कर गए, परंतु हम संस्कारहीन होते चले गए। भगवान श्रीराम एवं श्रवणकुमार सरीखे उद्धरण से स्पष्ट है कि आवश्यकता होने पर माता एवं पिता के प्रति खुद को समर्पित कर देना चाहिए। यह समर्पण का भाव सदैव रहना चाहिए। इस दौरान धनराज रांकावत ,किशन जांगिड़, मदनलाल कच्छावा, सत्यनारायण सेन, दिनेश डूडी ,मेघराज राव, जगदीश चौधरी आदि मौजूद थे।

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