>>: Digest for August 06, 2021

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Table of Contents

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. आरएनटी मेडिकल कॉलेज में एनएबीएच (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल एण्ड हैल्थ केयर) एक्रिडेशन के लिए दो दिन से आई हुई दो टीमों ने रविवार को पूरा एमबी हॉस्पिटल पांच घंटे दौरा कर खंगाल डाला। टीमों ने पानी की टंकियों से लेकर विभिन्न वार्डो के और बाहर के पब्लिक टॉयलेट्स को भी देखा। सुबह साढ़े आठ बजे शुरू हुआ निरीक्षण दोपहर करीब ढाई बजे तक चलता रहा। एनएबीएच के डॉ अवधेश माथुर व डॉ गौतम सक्सेना की दो टीमों ने अलग-अलग निरीक्षण किया। उन्होंने एक-एक वार्ड का गंभीरता से निरीक्षण करते हुए वहां की सभी सुविधाओं को देखा, कमियों को भी लिखकर रिपोर्ट तैयार की। खास बात ये रही कि टीम जहां-जहां पहुंची, वहां की एक-एक उपकरण व स्थितियों, व्यवस्थाओं व कमियों के स्वयं के कैमरे से फोटो खींचकर साथ ले लिए।

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हर काम पर बारिकी से नजर...

- एनएबीएच एक्रिडेशन के नोडल ऑफिसर डॉ ललित रेगर ने बताया कि टीम ने पानी की टंकियां देखी ओर खास तौर पर ये देखा कि प्लास्टिक की टंकियों के ढक्कन टूटकर बिखरे तो नहीं हैं, हालांकि यहां पर उन्हें कोई टंकी खुली नहीं मिली। टंकी के पानी से भी उन्होंने रिपोर्ट के लिए फोटो लिया।

- टीम ने देखा कि सेन्ट्रल लैब में जाने के लिए कहां-कहां बोर्ड लगे हुए है, उसके फोटो लिए, शेड है या नहीं ये देखा ताकि बारिश के दौरान मरीजों व परिजनों को परेशानी नहीं हो। पंजीयन करवाने के बाद धूप में तो लोग खड़े नहीं रहते इसका मुआयना किय। यहां उन्होंने कम्प्यूट्राइज्ड सिस्टम पर कितने लोग बैठे है, लैब में कितने लोग कार्यरत है। इसमें चिकित्सक कितने है, स्टाफ कितना है इसकी रिपोर्ट तैयार की। साथ ही ये भी देखा कि मरीजों की रिपोर्ट उन्हें नमूने देने के बाद कितने समय में मिल जाती है।

- सभी 15 ऑपरेशन थियेटर बारी-बारी से खंगाले, यहां पर उन्होंने संक्रमण मुक्त करने के लिए क्या-क्या किया जाता है, उसे देखा तो अन्दर प्रवेश से लेकर बाहर आने की पूरी प्रक्रिया व थियेटर में मरीजों के लिए क्या-क्या व्यवस्थाएं है, उसे बारिकी से देखा। - हॉस्पिटल के पांचों आईसीयू का गहनता से दौरा किया, उपकरणों की स्थिति व टेक्नीशियन व स्टाफ स्टेटस की जानकारी जुटाई।

- फायर फाइटिंग सिस्टम, गैस प्लांट, लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट देखा।

- फायर इंस्टीग्यूशर, हाईडें्रट सिस्टम, सीसीटीवी सिस्टम देखा, चोरी होने पर या कोई बच्चा बेड से किसी ओर के द्वारा ले जाने की स्थिति में कैसे पकड़ सकते हैं, इसे समझा। - बाल चिकित्सालय, जनाना व एसएसबी का भी दौरा किया। - बायोमेडिकल वेस्ट, अलग-अलग रंगों की बाल्टियों के उपयोग, रिफ्यूजल इंजेक्शन सिस्टम, ब्लड टेस्ट, पूरी जानकारी, ड्रग रिएक्शन, एडवड्र्स रिएक्शन की जानकारी ली।

- पीने के पानी के वाटर कूलर्स देखे। इमरजेंसी में भी निरीक्षण कर मरीजों से बातचीत की।

- ट्रांसफार्मर सिस्टम व बिजली के बोर्ड की जानकारी ली। रिकॉर्ड सिस्टम को भी देखा।

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सुबह बैठक में कहा

- जो उपचार करते हैं और जो नहीं करते वह सब कुछ लिखना होगाा

- सुबह आरएनटी के सभागार में बैठक लेकर मीटिंग ली गई है। दोनों डॉक्टर व पूरा एमबी का स्टाफ था। यहां डॉ अवधेश मेहता ने कहा कि हमारे यहां जो-जो उपचार होता हैं, उसे हर विभाग के आगे डिस्प्ले करना होगा। जो सर्विस है वह भी लिखनी है, और जो नहीं है उसे भी लिखना है। प्रवेश द्वार पर ही लिखना होगा कि ये विभाग हमारे पास है। हर विभाग में ये सर्विसेज, ये-ये ऑपरेशन करते हैं, ये नहीं किए जाते।

- डॉ रेगर ने बताया कि निरीक्षण कर टीम दिल्ली रवाना हो गई। अगले चरण में आरएनटी को वहां से कुछ टास्क व लक्ष्य दिए जाएंगे। इसी आधार पर तय समय में काम करना होगा। यदि छह माह से पहले भी ये टास्क पूरे हो जाते हैं, तो इससे पहले भी एक्रिडेशन मिल सकेगा।

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. शहर से लेकर गांव तक अब ऐसे क्षेत्रों में चिकित्सा विभाग रेपिड एंटीजन टेस्ट भी करवा रहा है, जहां चंद दिनों के अन्तराल में लगातार संक्रमित मिलते जा रहे हैं। खास बात ये है कि अब तक हुए टेस्ट में सर्वाधिक 57 लोग शहर में संक्रमित सामने आए हैं। इनकी गणना आरटीपीसीआर टेस्ट से अलग की जा रही है। इस टेस्ट में 30 से 45 मिनट में पॉजिटिव या नेगेटिव होने का परिणाम सामने आ जाता है। जिले की संक्रमण दर 0.38 हैं, जबकि शहर की दर इससे अधिक यानी 1.02 है।

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ब्लॉकवार स्थिति - 30 जुलाई तक

ब्लॉक- कुल टेस्ट- कुल पॉजिटिव- प्रतिशत

बडग़ांव- 5826-23-0.39

भींडर- 5201-26-0.50

गिर्वा- 12730-36-0.28

गोगुन्दा- 2922- 8-0.27

खेरवाड़ा- 3202-3-0.09

कोटड़ा- 2866- 5- 0.17

झाड़ोल- 4933-7-0.14

मावली- 4907-8-0.16

लसाडिय़ा- 3945-3-0.08

ऋषभदेव- 1869-5-0.27

सराड़ा- 5572-55-0.99

सलूम्बर- 5718- 15- 0.26

शहर- 5597- 57- 1.02

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शहर सर्वाधिक- 1.02 प्रतिशत संक्रमण दर के साथ जिले में सबसे ऊपर हैं। लसाडिय़ा सबसे कम- 0.08 प्रतिशत संक्रमण दर के साथ सबसे नीचे

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जिले में अब तक 65288 रेपिड एंटीजन टेस्ट हुए हैं, जिसमें सर्वाधिक गिर्वा ब्लाक 1 लाख 27 हजार 30 और सबसे कम गोगुन्दा में 2922 टेस्ट हुए हैं।

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. प्रदेश में नवम्बर में होने वाले राजस्थान ग्रामीण ओलम्पिक में उदयपुर जिले की 652 ग्राम पंचायतों के 44 हजार 336 ग्रामीण खिलाड़ी अपना हुनर दिखाएंगे। इन खेलों की खास बात ये रहेगी कि किसी भी उम्र का व्यक्ति इसमें हिस्सा ले सकेगा। ऐसे में गांवों में दादा-पोते, दादी, नानी व नातिन व पिता-पुत्र, बेटा व बेटी भी एक ही टीम में या आमने-सामने खेल सकेंगे। जिला खेल अधिकारी शकील हुसैन ने बताया कि इसके लिए 6 अगस्त को बैठक रखी गई है।
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ऐसे मारेंगे हुनरबाज मैदान
ग्राम स्तर पर खेल प्रतिभाओं की खोज कर आगे लाने के लिए राज्य खेलों की तर्ज पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला स्तर पर राज्य स्तरीय राजस्थान ग्रामीण ओलम्पिक खेलों का आयोजन होगा। इसमें बालक-बालिका संवर्ग में चार खेलों का आयोजन होगा। इसमें जीतने वाले खिलाड़ी व बेहतर प्रदर्शन के आधार पर आगे जाने का मौका मिलेगा।

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ये रहेंगे खेल- बालक वर्ग में खिलाड़ी-बालिका वर्ग में खिलाड़ी- योग

- कबड्डी- 10-10-20
- शूटिंग वालीबॉल बालक वर्ग- 8-0-8

- टेनिस बॉल क्रिकेट - 14-14-28
- खो-खो- बालिका वर्ग- 0-12-12

कुल- 32-38-68
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ग्राम पंचायत स्तर पर 1 दिन, ब्लॉक पर तीन दिन, जिला स्तर पर दो दिन व राज्य स्तर पर तीन दिन खेल होंगे। इसके लिए आयोजन समिति प्रस्तावित है, इसमें सरपंच संयोजक, ग्राम सचिव, पटवारी, शारीरिक शिक्षक सदस्य होंगे। समिति पंजीयन, टीमों की मॉनिटरिंग, सूचना प्रपत्रों की जांच कर खेल करवाएगी। विजेता खिलाडिय़ों की टीमों को ब्लॉक स्तर पर भेजा जाएगा। यहां प्रधान संयोजक होंगे, उपखण्ड अधिकारी, बीडीओ, बीइइओ, खेल अधिकारी के प्रतिनिधि सदस्य रहेंगे। इसी प्रकार जिला स्तर पर जिला कलक्टर के प्रतिनिधि संयोजक रहेंगे, जिला खेल संघ प्रतिनिधि, खेल अधिकारी व शिक्षा अधिकारी सदस्य रहेंगे। खेल वहीं संपन्न करवाएंगे। इसी प्रकार राज्य स्तर पर खेल विभाग के शासन सचिव अध्यक्ष रहेंगे, क्रीड़ा परिषद के सचिव, वित्तीय सलाहकार, खेल अधिकारी व संबंधित राज्य खेल संघों के सचिव व प्रतिनिधि सदस्य रहेंगे।
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- प्रत्येक ग्राम पंचायत पर प्रति खेल दो हजार का बजट रहेगा, इसमें दो वर्गों में 1-1 हजार खर्च होंगे। ब्लॉक पर दस हजार रुपए का बजट दोनो वर्गों में पांच-पांच हजार खर्च होंगे।
- खिलाडिय़ों को नेकर व टी-शर्ट दिए जाएंगे।

- जिला स्तरीय विजेता टीम को 3150, ब्लॉक पर टीम को 5 हजार, जिला स्तर पर खिलाड़ी को चार सौ रुपए व विजेता टीम को दस हजार पुरस्कार मिलेगा। राज्य स्तर पर प्रति खिलाड़ी तीन हजार का खर्च होगा।

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. इस बार हमारे हाथ से शूटिंग का ऑलम्पिक मेडल फिसला तो ये दर्द हर किसी को गहरा घाव कर गया। केवल सपने के बूते तो ऐसे शूटर्स तैयार नहीं किए जा सकते जो अन्तरराष्ट्रीय मेडल लेकर देश का नाम दुनिया भर में रोशन कर दें। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे महाराणा प्रताप खेल गांव में भी शूटिंग रेंज केवल नाम की ही। यहां ना तो खिलाडिय़ों को जरूरत के मुताबिक सुविधाएं उपलब्ध है और ना ही प्रेक्टिस के लिए जरूरी जर्मन राइफल व पिस्टल। यहां उस देशी राइफल से खिलाडिय़ों को प्रेक्टिस करवाई जाती है, जो किसी भी स्तर पर मान्य ही नहीं है। राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर के लिए जर्मन राइफल पिस्टल की जरूरत है, तो इन्हें चलाने के लिए कम्प्रेसर की मशीन यहां नहीं है।
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50 मीटर की रेंज स्वीकृत है, लेकिन उपलब्ध है दस मीटर
- खेलगांव में सरकार ने 50 मीटर की शूटिंग रेंज स्वीकृत कर रखी है, लेकिन यहां पर केवल 10 मीटर की शूटिंग रेंज है। हालांकि ज्यादातर खिलाड़ी दस मीटर की रेंज के हैं, लेकिन कई नए खिलाड़ी 50 मीटर की रेंज के भी आगे आ रहे हैं, जो मेडल भी लाने लगे हैं। ऐसे में उन्हें प्रेक्टिस के लिए राजधानी जयपुर तक की दौड़ लगानी पड़ रही है।

- जिस राइफल से यहां पर खिलाड़ी प्रेक्टिस कर रहे हैं वह इंडियन मेड है, जो जो प्रोफेशनल शूटिंग में काम नहीं आती हैं। केवल डमी की तरह इसका इस्तेमाल किया जाता है। यहां एक भी पिस्टल नहीं है, जबकि प्रेक्टिस के लिए राइफल व पिस्टल दोनों की जरूरत होती है। ऐसे में खिलाड़ी जैसे-तैसे कर खुद ही खरीद इसे लाते हैं। यहां कम से कम 4 जर्मन राइफल व 4 जर्मन पिस्टल की जरूरत है।
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ये होता है अन्तर
- राइफल इंडियन है जो ओपन साइड है, जबकि पीप साइड चाहिए। ओपन साइड में पीछे यू व आगे आई होता है। पीप साइड में पीछे सर्कल व आगे भी सर्कल होता है। टारगेट पर शूट करने की एक्यूरेसी ओपन साइड में इतनी नहीं होती है, जितनी पीप साइड में होती है। हालांकि यहां ओपन साइड से काम चला रहे हैं, जबकि प्रोफेशनल में केवल पीप साइड ही चलती हैं।

- प्रोफेशनल इस्तेमाल होने वाली राइफल वह कम्प्रेस्ड एयर सिस्टम पर काम करती है, जबकि देसी राइफल स्प्रिंग पिस्टल सिस्टम पर काम करती है। इससे शॉट को स्प्रिंग धक्का देती है, ऐसे में उसकी गति में भी अन्तर आ जाता है, तो यहां से सीखने के बाद प्रोफेशनल शूटिंग में निशाना खरा नहीं उतरता।
- इलेक्ट्रॉनिक टारगेट मशीन का मेंटेंनेंस समय पर नहीं होने से वह खराब हो जाती है। वॉल्टेज सही नहीं रहता। साथ ही सॉफ्टवेयर अपडेशन समय पर नहीं होते हैं। डेढ़-डेढ़ लाख के पांच और 12-12 हजार वाले 14 टारगेट मशीन है।

- .177 केलिपर दस मीटर में और .22, 50 मीटर में रेंज में इस्तेमाल होता है।
- वर्तमान में यहां नियमित 35 से 40 शूटर्स प्रेक्टिस के लिए आ रहे है, जबकि 50 जुड़े हुए है। सभी खुद की राइफल लेकर आते है।

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नहीं है कम्प्रेस एयर सिस्टम

यह डेढ़ लाख का मशीन है, इससे राइफल में एयर भरी जाती है, लेकिन यहां नहीं होने से प्रशिक्षक के निजी सिलेंडर्स से ये काम किया जा रहा है। करीब डेढ़ हजार तक का मासिक खर्च आता है।
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केवल ड्राय प्रेक्टिस
खिलाडिय़ों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है, स्वयं के लाइसेन्ससुदा हथियार से राइफल पकडऩा सिखा रही हूं ।फि र ड्राय प्रेक्टिस करवाना पड़ता है। करीब एक महीने यहां प्रेक्टिस के बाद दो दिन जयपुर जगतपुरा शूटिंग रेंज में जाकर शॉट लगवा कर प्रेक्टिस करवानी होती है। यदि ये प्रेक्टिस नियमित हो जाए तो हमारे खिलाड़ी बेहतर कर सकते हैंं। 50 मीटर की इतनी कम प्रेक्टिस मिलने के बावजूद भी बच्चे मेडल ले कर आ रहे है। हुनर की हमारे पास कमी नहीं है। उदयपुर की आत्मिका गुप्ता दस मीटर रेंज में अभी इंडिया टीम तक पहुंची है।

आकांक्षा कानावत, शूटिंग कोच, खेलगांव

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. शहर में गत 21 जून को एकादशी पर जिस कांगणी का आटा व अन्य खाद्य सामग्री खाने से एक साथ कई लोग बीमार हो गए थे, उनके नमूने की जांच में वह मिसब्रांडेड व अनसेफ निकले। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग की ओर से नमूने लेकर जांच की गई थी, इसकी रिपोर्ट विभाग को मिल गई है। खास बात ये है कि गोविंदराम जेउमल, जडिय़ो की ओल घंटाघर से लिए साबुदाना का नमूना अनसेफ मिला है। सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया कि जल्द ही अनुसंधान पूर्ण कर संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर परिवाद न्यायालय में देंगे।
इनकी रिपोर्ट में सामने आई मिलावट:

- ज्ञान ट्रैडर्स काली बावड़ी से लिया गया भागर का नमूना मिस ब्रांडेड मिला।
- खुबचंद ज्ञानमल लखारा चौक धानमंडी रोड से लिया कांगणी का आटा सब स्टैडर्ड मिला।

- गोविंदराम जेउमल, जडिय़ों की ओल घंटाघर से लिए साबुदाना का नमूना अनसेफ व सब स्टैंडर्ड मिला।
- सैफी ट्रैडिंग कंपनी टू जी, कृषि मंडी यार्ड सेक्टर 11 से राजगीरा आटा, अंजलि ब्रांड का नमूना मिस ब्रांड व सब स्टैंडर्ड पाया गया।

- प्रवीणकुमार मख्खनलाल करणपुर से लिया तिल के तेल का नमूना मिस ब्रांडेड पाया गया।
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अनुसंधान पूर्ण कर कार्रवाई करेंगे
कांगणी के आटे को खाने से बीमार होने पर विभाग द्वारा कार्रवाई कर फर्मों को नोटिस दिए गए हैं। जल्द ही इनके खिलाफ अनुसंधान पूर्ण कर खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम 2006 के तहत नियमानुसार कार्रवाई कर परिवाद न्यायालय में पेश किया जाएगा।

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मखाना भी मिसब्रांडेड

अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की ओर से सीएमएचओ को दिए गए ज्ञापन में कार्रवाई कर विभाग ने रमेशकुमार देवेन्द्रकुमार कृषि मंडी से मखाने का नमूना लिया गया, जो मिसब्रांडेड पाया गया। प्रकरण में फर्म को व निर्माता फर्म को नोटिस दिया गया है।
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कांगणी के आटे से बनी पूडिय़ां खाकर हुए थे बीमार
गत 21 जून को एकादशी व्रत पर व्रत वाले भोजन के बाद भीतरी शहर के कई लोग एक साथ ही बीमार हो गए थे। उन्होंने कांगणी के आटे की बनी पुडिय़ां खाई थी। हालांकि एमबी हॉस्पिटल में भर्ती करवा उपचार के बाद वह सभी दो दिन में ठीक हो गए थे।

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. मोहनलाल सुखाडि़या विवि में आगामी 25 अगस्त से द्वितीय वर्ष व स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध की परीक्षाएं प्रस्तावित की गई है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. आरसी कुमावत ने बताया कि परीक्षाओं के तृतीय चरण में स्नातक कला, वाणिज्य एवं विज्ञान वर्ग के द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध (सभी संकायों) की परीक्षाएं 25 अगस्त 2021 से होना प्रस्तावित किया है, समय सारणियांे की घोषणा जल्द करेंगे। फिलहाल तृतीय वर्ष व स्नातकोत्तर उत्तराद्र्ध की परीक्षाएं चल रही हैं। कुमावत ने बताया कि दोनों वर्ग यूजी सैकंड इयर व पीजी प्रीवियस मिलाकर कुल 66084 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। इसमें 52048 परीक्षार्थी स्नातक द्वितीय वर्ष के सभी संकायांे के हैं, जबकि 14036 परीक्षार्थी स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध की परीक्षा देंगे।

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द्वितीय चरण मंे सेमेस्टर की परीक्षाएं 12 से

मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय कला, वाणिज्य, विज्ञान आदि तृतीय वर्ष की परीक्षाएं 30 जुलाई से शुरू हो चुकी है। परीक्षाओं की द्वितीय चरण में सेमेस्टर की परीक्षाएं 12 अगस्त से शुरू होंगी। इसके तहत पाठ्यक्रमों, सेमेस्टर की समय सारणी विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय वेबसाइट पर जारी की है। परीक्षाओं में भी राज्य सरकार के निर्देशानुसार सभी सेमेस्टर (सम संख्यक व विषम संख्यक) पाठ्यक्रमों का परीक्षा समय 3 घण्टे के स्थान पर डेढ़) घण्टे का ही रखा गया है। प्रश्नपत्रों का प्रारुप आनुपातिक रुप से 50 प्रतिशत ही हल करने का विकल्प रखे गए हैं, इसमें...
1. खण्ड अ - सभी प्रश्न अनिवार्य रूप से हल करने होंगे।

2. खण्ड ब - निर्देशानुसार यूनिट/इकाई पद्धति विलुप्त करते हुए 10 प्रश्नों में से कोई दो प्रश्न हल करने होंगे।
3. खण्ड स - विलोपित कर दिया गया है।

सत्र 2020-21 में प्रवेश लेने वाले छात्रों की परीक्षाओं के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिषद् की बैठक 24 नवम्बर २० को हुई थी, इसमें लिए गए निर्णयानुसार सभी वार्षिक परीक्षा (स्नातक द्वितीय व तृतीय वर्ष, स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध/उत्तराद्र्ध), डिप्लोमा तथा सभी सेमेस्टर के सभी प्रश्नपत्रों के पाठ्यक्रमों में से इकाई-स विलोपित कर दिया गया है।

मुकेश हिंगड़

उदयपुर. 'प्रशासन शहरों के संग' अभियान के तहत मकानों-जमीनों के जारी होने वाले दस्तावेज (पट्टे) देने को लेकर बड़े स्तर पर यूआईटी व नगर निगम में कार्य शुरू हो गया है। दोनों एजेंसियों के मिलकर उदयपुर शहर में करीब 15 हजार पट्टे देने का टारगेट है। अभियान शुरू हो तब तक यह आंकड़ा और बढ़ भी सकता है। पट्टों को लेकर सर्वे करने के साथ ही अलग से बनाई टीमें भी इस कार्य में जुट गई है।
यूआईटी व नगर निगम सीमा में शहर में ऐसे हजारों लोग हैं जिनके मकान का पट्टा नहीं होने के चलते वे अन्य निर्माण को लेकर बैंक लोन नहीं ले पा रहे है। ऐसे लोगों को राज्य सरकार के इस अभियान के जरिए पट्टे मिलेंगे। अक्टूबर माह में में शुरू होने वाले अभियान को लेकर दोनों एजेंसियों ने कार्य शुरू कर दिया है। इससे पहले इस अभियान का एक खाका तैयार किया गया है जिसके अनुसार ही काम किया जा रहा है। इस खाके के तहत यूआईटी में दो दिन पहले हुई बैठक में सिर्फ और सिर्फ पट्टों को लेकर बात हुई। सचिव अरुण हासिजा ने सरकार के इस अभियान का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले इस पर फोकस करने को कहा। इधर, नगर निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ ने भी निगम में टीम के साथ तैयारियां शुरू करवा दी है।
अभियान से पहले ये सब होगा

- बरसों से बसी ऐसी कॉलोनियों जिनको पट्टे नहीं मिले उनको चिन्ह्ति किया जाए
- ऐसी कॉलोनियों का सर्वे किया जाए
- उन कॉलोनियों के ले आउट प्लान अनुमोदित किए जाए
- किसी में शिथिलन की जरूरत है वह राज्य सरकार के समक्ष भेजी जाए
- जितने भी 90-ए प्लान के लम्बित है उनको अभियान से पहले अनुमोदित कर दिए जाए

इतना टारगेट निकायों का
1. यूआईटी
उदयपुर यूआईटी में अभी जो तैयारी की जा रही है उसके अनुसार 5 से 10 हजार पट्टे देने का लक्ष्य रखा गया है।
2. नगर निगम
शहर में नगर निगम तीन हजार से ज्यादा पट्टों का लक्ष्य लेकर जाएंगे। नगर निगम में आने वाली कच्ची बस्तियों के पट्टों पर काम होगा।

रंगीन होंगे पट्टे
यूडीएच अभी जो तैयारी कर रहा है उसमें पहली बार लोगों को रंगीन पट्टे जारी करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत आवासीय श्रेणी में पीला, व्यावसायिक में लाल, मिश्रित भू-उपयोग में नारंगी, संस्थागत में नीला, औद्योगिक भू-उपयोग में बैंगनी व धारा 69-ए में गुलाबी रंग का पट्टा होगा। वैसे इसको लेकर अभी यूआईटी व निगम को निर्देश मिले नहीं है।

धारा 69-ए के तहत भी मिलेंगे पट्टे
धारा 69-ए के तहत ऐसी अकृषि भूखंड जहां लोग रह रहे हैं लेकिन उनके पास विधिक टाइटल नहीं है। इसके बाद निकाय उसे विधिक पट्टा जारी करेगा। ऐसे भूखंड-जमीन निकाय सीमा में होना आवश्यक है। शहरों में पुरानी बसावट में इस धारा का इस्तेमाल कर पट्टे दिए जाएंगे।

उदयपुर. राज्य सरकार की ओर से आमजन की सुविधा के लिए पुलिस थानों में स्वागत कक्ष बनाए जा रहे हैं। उदयपुर जिले के 45 थानों में से 34 में कक्ष बनकर तैयार है। चार थानों में काम चल रहा है, पांच में निर्माण होना बाकी है, जबकि दो थानों में फिलहाल स्वीकृति नहीं मिली है। जहां कक्ष बन गए हैं, उनमें से ज्यादातर में अभी उपयोग शुरू नहीं हो पाया है। कुछ थानों में कक्ष आमजन के काम आने लगे हैं, जबकि शहर के तीन थानों में स्वागत कक्ष थानाधिकारियों के दफ्तर बन चुके हैं। शहर के धानमंडी, भूपालपुरा और सविना थानों में यह स्थिति है।

सरकार ने पूछी उपयोगिता की स्थिति
राज्य सरकार की ओर से प्रदेश की कानून व्यवस्था से संबंधित बैठक में स्वागत कक्षों की उपयोगिता के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई। इसे लेकर प्रत्येक जिले में जहां स्वागत कक्ष क्रियाशील हो चुके हैं, वहां के अनुभवों का अध्ययन किया जा रहा है। स्वागत कक्ष में आने वाले परिवादी, शिकायतकर्ता, आगंतुकों के अनुभव जानने के लिए सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए तय मापदंड में जानकारी मांगी गई है।
इन बिन्दुओं के देने हैं जवाब

- थाने पर आने वाले आगंतुकों का नाम, पता व फोन नम्बर।
- किस कार्य से कब थाने में उपस्थित हुआ, दिनांक व समय?

- थाने में आने वाले का कार्य किस अधिकारी से संबंधित था?
- क्या थाने में उपस्थित अधिकारी/कर्मचारी विनम्र, सहयोगी थे?

- कार्य या सुनवाई शुरू करने में कैसा व्यवहार रहा?
- क्या थाना स्टाफ से बातचीत के दौरान जाति, धर्म, क्षेत्र या हैसियत संंबंधित भेदभाव प्रकट हुआ?

- महिला शिकायतकर्ता के मामले में स्वागत कक्ष में मदद करने के लिए कोई महिला पुलिसकर्मी थी? यदि हां, तो उसका व्यवहार कैसा रहा?
- क्या थाने में आने वाले अपनी शिकायत/एफआईआर दर्ज करा सके?

- शिकायत/एफआईआर दर्ज नहीं करा सके तो क्या प्रत्युत्तर मिला?
- क्या शिकायत पर कार्रवाई अथवा समाधान प्रदान किया गया?

- क्या स्वागत कक्ष में बैठने की उचित व्यवस्था थी?

आंकड़ों में जानें
34 : थानों में स्वागत कक्ष तैयार

04 : थानों में काम चल रहा है
05 : थानों में निर्माण होना बाकी

02 : थानों में स्वीकृति नहीं मिली

यहां स्वागत कक्ष तैयार
सूरजपोल, प्रतापनगर, घंटाघर, सुखेर, महिला थाना, पर्यटन थाना, गोवर्धनविलास, नाई, सविना, हाथीपोल भूपालपुरा, धानमंडी, हिरणमगरी, झाड़ोल, डबोक, घासा, बावलवाड़ा, जावरमाइंस, सेमारी, पानरवा, भींडर, कुराबड़, ओगणा, सलूम्बर, गोगुन्दा, टीडी, फतहनगर, मावली, लसाडिय़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, वल्लभनगर, खेरोदा, सायरा।
यहां चल रहा है काम

थाना बेकरिया, परसाद, सराड़ा और कोटड़ा।

निर्माण बाकी और स्वीकृति नहीं
थाना अम्बामाता, मांडवा, झल्लारा, पहाड़ा, फलासिया में निर्माण शुरू नहीं हुआ। कानोड़ और गिंगला में अभी स्वीकृति नहीं मिली है।

इनका कहना है
जहां कहीं जनता के उपयोग के अलावा कक्ष काम में लिया जा रहा है, उनका उपयोग बदलवाएंगे। स्वागत कक्ष लगभग तैयार हो चुके हैं। कुछ जगह काम चल रहा है। सुविधानुसार उपयोग शुरू हो गया है। सभी थानों में तैयार हो जाने पर राज्य सरकार के निर्देशानुसार उद्घाटन किया जाएगा।

डॉ. राजीव पचार, जिला पुलिस अधीक्षक, उदयपुर

उदयपुर. सवीना थाना क्षेत्र स्थित निजी मेडिकल कॉलेज के छात्रों में रैगिंग को लेकर हुई मारपीट और चाकूवार को लेकर बुधवार को पुलिस ने घटना में घायल हुए छात्रों के बयान लिए हैं। पुलिस मामले में लिप्त छात्रों के बारे में भी पूछताछ कर रही है।

उल्लेखनीय है कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रहे छात्र ने सवीना थाने में मंगलवार को रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट में बताया कि मंगलवार अपरान्ह 3 बजे वह तीन दोस्तों के साथ हॉस्पिटल के बाहर ग्रीन टी दुकान पर पहुंचा था। इसी दौरान एक कार में आए चार जने आए। रैगिंग की बात को लेकर मारपीट शुरू कर दी। मारपीट करने वालों में से एक के पास चाकू था, जिसने यहां मौजूद छात्र के पेट में चाकू घोंप दिया। घटना में तीन छात्र घायल हुए हैं। मौके पर हंगामा हो गया और इसी दौरान अन्य छात्रों के आ जाने पर आरोपी छात्र भाग गए। चाकूवार से घायल छात्र को जीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने जानलेवा हमले का मामला दर्ज किया है।

उदयपुर. जिला पुलिस ने अम्बामाता थाना क्षेत्र के लोयरा स्थित एक होटल में छापा मार यहां चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। यहां के टेलीकॉलर अमरीकियों को कॉल करके लोन का लालच देते हुए ठगी कर रहे थे। कार्रवाई में दो युवतियों सहित 20 जनों को गिरफ्तार किया है। यहां से 20 लेपटॉप और एक मोबाइल जब्त किया गया है। कॉल सेंटर के माध्यम से अब तक सैकड़ों अमरीकी नागरिकों को ठगा जा चुका था, जिनसे करोड़ों डॉलर की कमाई की जा चुकी थी।

जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार ने बताया कि फर्जी कॉल सेंटर चलाकर विदेशियों से ठगी करने की सूचना मिलने पर जिला स्पेशल टीम और अम्बामाता थाना पुलिस ने लोयरा स्थित रणबंका होटल पर छापा मारा। यहां से चल रहा ठगी का बड़ा 'खेलÓ उजागर हुआ है। अम्बामाता थानाधिकारी सुनील टेलर ने बताया कि मुख्य सरगना मणिपुर एलिगंज सोसायटी बोपल अहमदाबाद (गुजरात) निवासी सुचित भाई पुत्र गिरीश भाई मेहता को गिरफ्तार किया गया। डाटा की जांच की जा रही है और जल्द ही पता चल जाएगा कि इन लोगों ने कितने लोगों से कितनी रकम की ठगी की है।
अम्बामाता थानाधिकारी सुनील टेलर, डीएसटी इंचार्ज हनवंतसिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में कार्रवाई हुई। टीम में एएसआई राजेश मेहता, हेडकांस्टेबल महेंद्र कुमार, नरेश कुमार, कांस्टेबल सवाईसिंह, रघुनाथ, बजरंगसिंह, भागीरथ, ललिता, महेश कुमार, डीएसटी से एसआई अमित कुमार, धर्मवीरसिंह, सुखदेव, प्रहलाद पाटीदार, योगेश, उपेंद्रसिंह, अनिल, रविंद्र, मनमोहन, रामनिवास, विक्रमसिंह की शामिल थे।
अमरीकन टाइम से लाइफ स्टाइल

टेलीकॉलर सभी 25 से 40 साल उम्र के हैं। महंगे रहन-सहन से लेकर खानपान और मौज-मस्ती का महंगा सामान इस्तेमाल करते। दिनचर्या अमरीकन टाइम से चलती, दिन में सोते और रात को कॉलिंग करते। इन्हें 20-25 हजार सैलरी मिलती, वहीं ठगी पर 10 प्रतिशत कमिशन मिलता।

आईटी एक्सपर्ट और फर्राटेदार अंग्रेजी
सभी टेलीकॉलर आईटी के अच्छे जानकार होने के साथ ही अंग्रेजी के अच्छे जानकार हैं। जहां अंग्रेजी में बेहतर ढंग से बात करते, वहीं विदेशी नामों से अपना परिचय देते। जानकार इतने की इंटरनेशनल अकाउंट में डॉलर डलवाते और पलभर में भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट कर देते।
खुल सकते हैं कई राज

फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाला सरगना अमदाबाद (गुजरात) से है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। आशंका जताई गई है कि सरगना की ओर से देश में और भी जगह ब्रांच चलाई जा रही होगी। ये भी आशंका है कि ठगी के इस खेल में और भी कई निवेशक जुड़े हुए होंगे।

नया सेटअप भी तैयार था
सुनसान जगह की होटल में ठगी का खेल बीते पांच माह से चल रहा था। इतने समय में पुलिस को भनक तक नहीं लगी। कॉल सेंटर संचालक ने जहां एक हॉल में 25 टेलीकॉलर का सेटअप बनाकर काम किया जा रहा था, वहीं दूसरे फ्लोर पर 25 का नया सेटअप तैयार था।
रिकॉल: पहले भी पकड़े गए कॉल सेंटर

अमरीकी नागरिकों से ठगी करने वाले दो कॉल सेंटर उदयपुर में पहले भी पकड़े जा चुके हैं, जिसमें 50 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई थी और लाखों रुपए की ठगी का हिसाब सामने आया था। पुलिस पता लगा रही है कि इस कॉल सेंटर का पूर्व के कॉल सेंटर से संबंध है कि नहीं।

उदयपुर. कुराबड़ से काम के लिए निकला किशोर बेंगलुरु में गुमशुदा हो गया था, जहां से बेंगलुरु बाल कल्याण समिति की ओर से उसे आश्रय दिया गया। इसके बाद बालक ने उदयपुर का होना बताया तो बाल कल्याण समिति उदयपुर को सुपुर्द किया गया। सदस्य डॉ. शिल्पा मेहता ने बालक को जीवन ज्योति आश्रय स्थल में आश्रय दिलवाया। प्रभारी ओम कुमार ने चाइल्ड लाइन जिला समन्वयक नवनीत औदिच्य को बालक के घर के संबंध में सूचना दी गई। इस पर समन्वयक ने निदेशक डॉ. लाला राम जाट से प्रकरण पर चर्चा की। टीम बालक द्वारा बताए गए घर का पता किया गया। बालक कुराबड़ लालपुरा निवासी था। ऐसे में धर्मेंद्र सिंह सिकरवार के माध्यम से परिजनों से संपर्क किया गया। बुधवार को बालक पिता को सुपुर्द किया गया। जिला समन्वयक औदिच्य ने बताया कि बालक 5 माह से बेंगलोर में अपने जियाजी के साथ रहता था। जियाजी 4 माह पूर्व बालक को बताए बिना गांव आ गए। बालक एक महीने पूर्व ही ट्रेन में बैठकर गांव आ रहा था कि बेंगलुरु चाइल्ड लाइन ने अकेला पाकर बाल गृह में रखा।

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