>>Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment! |
You are receiving a digest because your subscriptions have exceeded your account's daily email quota. Your quota has automatically reset itself. |
खरीफ सीजन में 44 हजार किसान बिना ब्याज फसली ऋण से वंचित Thursday 05 August 2021 04:46 AM UTC+00 खरीफ सीजन में 44 हजार किसान बिना ब्याज फसली ऋण से वंचित -10 हजार नए, 20 हजार अवधिपार और 14 हजार सामान्य किसान शामिल -बैंक ने कहा कि 380 करोड़ का बजट मिला था, इतनी राशि का किया वितरण -कृष्ण चौहान श्रीगंगानगर. दी गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक (जीकेएसबी) ने खरीफ सीजन में बिना ब्याज फसली ऋण वितरण के लिए 380 करोड़ रुपए का लक्ष्य मिला था। जिले के 86 हजार किसानों को ऋण वितरण कर दिया है। इसके बाजवूद अभी तक जिले में खरीफ सीजन में 44 हजार किसान बिना ब्याज फसली ऋण से वंचित रह गए। बैंक के अधिकारियों का कहना है कि खरीफ सीजन में लक्ष्य से अधिक बिना ब्याज फसली ऋण का वितरण कर दिया और अब बजट नहीं है। इस कारण इन किसानों को खरीफ सीजन का ऋण एक बार नहीं मिल पाएगा। इनमें 10 हजार नए और 20 हजार अवधिपार किसान भी शामिल है। रबी सीजन वर्ष 2021 में जिन किसानों को बिना ब्याज फसली ऋण वितरण किया गया था। इनमें से 14 हजार किसानों को खरीफ सीजन में बिना ब्याज फसली ऋण नहीं मिल पाया है। उल्लेखनीय है कि रबी सीजन में 400 करोड़ रुपए का ऋण वितरण का लक्ष्य था। जबकि इस बार 20 करोड़ रुपए की राशि कम कर दी गई। ब्याज सहित चुकानी होगी राशि अब इन किसानों ने रबी सीजन में मिला ऋण 31 अगस्त 2021 तक नहीं चुकाया तो फिर इनको सात प्रतिशत राशि ब्याज सहित बैंक में राशि जमा करवानी होगी। अब इन किसानों के लिए संकट की स्थिति पैदा हो गई है। बैंक में ब्याज सहित राशि जमा नहीं करवाने पर किसानों को बैंक डिफाल्टर घोषित कर देगा तथा भविष्य में किसानों को बिना ब्याज फसली ऋण सुविधा से वंचित रहना पड़ेगा। वर्तमान समय में किसान के पास पैसा नहीं है। किसानों की बढ़ी परेशानी कोरोना महामारी की वजह से राज्य सरकार की माली हालत खराब बनी हुई है। इसका खामियाजा कृषि बाहुल्य श्रीगंगानगर जिले के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बैंक की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इस कारण बजट कम आवंटित होने की वजह से जिले के 44 हजार किसान बिना ब्याज फसली ऋण की सुविधा से वंचित रह गए। कोरोना संकट में किसान के लिए खाद, बीज व स्प्रे आदि के लिए राशि जुटाना बहुत मुश्किल हो रखा है। इस बार पर्याप्त बारिश नहीं होने और पहले नहरबंदी की वजह से खरीफ की फसलें अच्छी नहीं हैं। —------- -नए किसानों को ऋण वितरण करना था-10 हजार -अवधिपार किसानों को ऋण वितरण करना है-20 हजार —--- -अवधिपार किसानों को ऋण वितरण किया-0 खरीफ का ऋण वितरण की राशि अवांटित -ऋण वितरण का लक्ष्य-380 करोड़ —------ खरीफ सीजन में बिना ब्याज फसली ऋण वितरण के लिए 380 करोड़ रुपए का बजट मिला। इस राशि को वितरण करने के बाद भी 44 हजार किसान वंचित रह गए है। इनके लिए रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर लक्ष्य 450 करोड़ रुपए करने की मांग की गई है। फाइल वित्त विभाग के पास गई हुई और वहां से राशि बढकऱ आने पर वंचित किसानों को ऋण विरतण किया जाएगा। -भूपेंद्र सिंह ज्याणी, एमडी, दी गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक, श्रीगंगानगर। |
अब विभाग एक-दूसरे को ठहरा रहे दोषी Thursday 05 August 2021 05:05 AM UTC+00 अब विभाग एक-दूसरे को ठहरा रहे दोषी -उचित मूल्य की दुकान पर सड़ा-गला गेहूं सप्लाई करने का मामला श्रीगंगानगर.राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित परिवार के लोगों को सड़े-गले और गुणवत्ताहीन गेहूं की सप्लाई कर स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। शहर में पुरानी आबादी के वार्ड पांच की उचित मूल्य दुकानदार रामकिशन के पास तीन क्विंटल गेहूं सड़ा-गला व गुणवत्ताहीन मिलने का खुलासा होने के बाद अब एफसीआइ जयपुर की टीम विस्तृत जांच के लिए आई है। इस प्रकरण में अब रसद विभाग,राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआइ के अधिकारी आमने-सामने है। एक-दूसरे को इसके लिए दोषी ठहरा रहे हैं। सच्चाई यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में प्रति माह एक लाख क्विंटल गेहूं का उठाव किया जा रहा है। यह गेहूं जिले के 819 उचित मूल्य दुकानों पर सप्लाई किया जा रहा है। वहां से जिले के 11 लाख 49 हजार 268 उपभोक्ताओं को गेहूं की सप्लाई की जा रही है। जयपुर से आई एजीएम की टीम भारतीय खाद्य निगम जयपुर के एजीएम (गुणवत्ता नियंत्रण)की दो सदस्यीय टीम बुधवार को श्रीगंगानगर आई। टीम ने शहर की पुरानी आबादी के वार्ड पांच की उचित मूल्य दुकान और बंसती चौक की दुकान पर पीडीएस का गेहूं सड़ा-गला मिलने के प्रकरण की जांच की गई। निगम के अधिकारियों ने बताया कि जांच टीम ने राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम व क्रय-विक्रय सहकारी समिति ने कब और कितना गेहूं का उठाव किया। इसके अलावा भी टीम ने कई अन्य बिंदुओं की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट तैयार की है। टीम बुधवार को श्रीगंगानगर ही रही जबकि गुरुवार को जयपुर जाएंगी। एफसीआइ के क्षेत्रीय प्रबंधक चक्रेश कुरील से सवाल-जवाब प्रश्न---राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम का आरोप है कि आपने पीडीएस का गेहूं गुणवत्ताहीन सप्लाई किया? प्रश्न--एफसीआइ से पीडीएस के गेहूं का उठाव कर वितरण किया जा रहा है। इसमें सड़ा-गला निकल रहा है तो इसके लिए जिम्मेदारी किसकी होगी? ----------- एफसीआइ ने की गुणवत्ताहीन गेहूं की सप्लाई राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम व क्रय-विक्रय सहकारी समिति ने एफसीआइ से गेहूं का उठाव के लिए शुरू के दो-तीन थैलों की जांच कर उठाव किया है। एफसीआइ ने गुणवत्ताहीन गेहूं की सप्लाई दी है। अब पीडीएस का गेहूं का उठाव करने से पहले गेहूं की अच्छी से परखी मार कर जांच कर उठाव किया जाएगा। -राकेश सोनी,डीएसओ,श्रीगंगानगर। |
श्रीगंगानगर और बीकानेर कलक्टर पर कोर्ट ने जताई नाराजगी, जवाब मांगा Thursday 05 August 2021 06:18 PM UTC+00 श्रीगंगानगर. मोटरयान दुर्घटना दावा प्राधिकरण न्यायालय ने अलग अलग दो प्रकरणों में दुर्घटना दावे में पूर्व में वसूली करने के आदेश की पालना नहीं कराने पर श्रीगंगानगर और बीकानेर जिला कलक्टरों पर नाराजगी जाहिर करते हुए नोटिस देकर जवाब तलब किया है। इसके साथ साथ सादुलशहर तहसीलदार से भी अगली सुनवाई के दौरान स्पष्टीकरण मांगा है। तथ्यों के अनुसार १७ अक्टूबर २०१७ को चौटाला निवासी रामस्वरुप की वाहन की टक्कर से मृत्यु हो गई थी। इस मृतक की पत्नी सुनीता,, बेटी चन्द्रकला और दो बेटों विनोद व संजय ने एमएसीटी कोर्ट में वाहन चालक सादुलशहर क्षेत्र गांव धींगतानियां निवासी महेन्द्र सिंह के खिलाफ दावा पेश कर क्लेम मांगा था। इस पर कोर्ट ने ६ दिसम्बर २०१९ को पचास हजार रुपए का क्लेम देने के आदेश किए गए। लेकिन वाहन चालक महेन्द्र सिंह ने यह राशि चुकता नहीं की। इस पर मृतक के वारिसयानों ने इजराय याचिका पेश की। इसकी सुनवाई के दौरान सादुलशहर तहसीलदार ने रिपोर्ट दी कि महेन्द्र सिंह के नाम पर कोई चल व अचल संपति नहीं है। इस कारण पचास हजार रुपए की वसूली नहीं हो सकती। इस संबंध में कोर्ट ने गंभीरता से कदम नहीं उठाने पर श्रीगंगानगर जिला कलक्टर और सादुलशहर तहसीलदार से जवाब तलब किया है। इस मृतक की पत्नी नीलम मित्तल व उसे दो बेटे विक्रम व अमित ने ट्रक के संचालक बीकानेर क्षेत्र गांव कचौर अगुनी निवासी ओमप्रकाश बिश्नोई पुत्र रामजस और बीकानेर जवाहरनगर निवासी ओमप्रकाश पुत्र मल्लूराम के खिलाफ क्लेम मांगा। इस पर अदालत ने २६ अगस्त २००५ को निर्णय दिया। लेकिन ओमप्रकाश पुत्र मल्लूराम ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। इस पर अदालत ने ओमप्रकाश पुत्र रामजस से मृतक के परिजनेां को ४ लाख ९१ हजार ६३३ रुपए क्लेम राशि चुकाने के आदेश किए। लेकिन यह राशि नहीं मिली तो कुर्की के आदेश जारी किए गए। कोर्ट ने बीकानेर जिला कलक्टर को भी जवाब मांगा है। |
अब भी देर नहीं, अफसरों की इच्छा शक्ति हो तो फिर शुरू हो जाएगा बाल नौकायान सरोवर Thursday 05 August 2021 06:33 PM UTC+00 श्रीगंगानगर. इलाके में बच्चों के लिए मनोरंजन स्थल बनाकर जिम्मेदार अफसरों ने भूला दिया लेकिन अब भी देर नहीं हुई है। यदि जिम्मेदार अफसरों की इच्छा शक्ति बन जाएं तो यह मनोरंजन स्थल फिर से शुरू हो सकता है। जर्जर हो रहे इस मनोरंजन स्थल को हालात देखकर इंदिरा वाटिका में घूमने आने वाले लोग भी हैरानगी जता रहे है। करीब बीस साल पहले इंदिरा वाटिका में बाल नौकायान सरोवर के नाम से किया गया था। बच्चों को नौकायान का आंनद देने के लिए बॉटिंग भी शुरू हुई। यह वाटिका तब नगर विकास न्यास के अधीन थी और न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष और मौजूदा विधायक राजकुमार गौड़ ने शहर में यह अनूठी योजना शुरू कराई। वहां नाव चलने के लिए एक ठेका फर्म को ठेका दिया था। लेकिन ठेका फर्म ने बिना कारण इसे बंद कर दिया था। इसके बाद यह सरोवर बिना पानी से सूख चुका है। वहां लगी ईटों को भी लोग उखाडऩे लगे है। यहां तक कि सरोवर के तल पर घास और झाडि़यां उग आई है। यह सरोवर अब जर्जर होने लगा है। लोगों का मानना है कि इस नौकायान की प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएं तो बच्चों के लिए यह मनोरंजन का स्थल पर्यटन के रूप में विकसित हो सकता है। इस बीच चक तीन ई छोटी निवासी अनिच्छा कौर का कहना है कि बाल नौकायान सरोवर के बहाने बच्चे अपने घर से बाहर निकलकर इंदिरा वाटिका की हरियाली को देख सकेंगे। कोरोनाकाल में शिक्षण संस्थाएं बंद होने के कारण पिछले सवा साल से बच्चों के मनोरंजन के कार्यक्रम नहीं हो रहे है। इसे ध्यान में रखते हुए इंदिरा वाटिका में नौकायान सरोवर फिर से शुरू हो जाएं तो उत्तम रहेगा। उम्मीद है कि जिला प्रशासन और नगर परिषद प्रशासन इस सरोवर को फिर से शुरू कर बच्चों के सपने को साकार कर सकेंगे। कर्मचारी नेता कुलदीप सिंह केपी का कहना है कि बीस साल पहले नगर विकास न्यास प्रशासन ने लाखों रुपए का बजट खर्च इस सरोवर का निर्माण कराया था। तब सीएम गहलोत ने इसका लोकार्पण भी किया था लेकिन इसकी अनदेखी की गई। अब भी सीएम गहलोत है और यूआईटी के तत्कालीन अध्यक्ष राजकुमार गौड़ अब विधायक बन गए है। अब तो यह सरोवर फिर से शुरू होना चाहिए। इधर, पूजा कॉलोनी निवासी राकेश जोशी के अनुसार लाखों रुपए का बजट खर्च बाल नौकायान सरोवर की शुरुआत की गई थी। पिछले उन्नीस साल से यह सरोवर बंद है। यहां तक कि पानी डालकर भी इसे भव्य रूप दिया जाना चाहिए था लेकिन जिम्मेदार अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने वोट बैँक के नाम पर बजट खर्च किया। अब तो बच्चों के लिए यह तो काम शुरू कर दो। |
You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription. |