>>: Digest for August 09, 2021

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पता नहीं कैसे डूब गए तीन बच्चे, करौली जिले में मासलपुर क्षेत्र के खेड़िया गांव के मॉडल तालाब में शनिवार देर शाम को तीन बालकों की डूब जाने से मौत हो गई।
सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से बालकों के शव को रात करीब 9:30 बजे तालाब से निकाला गया।
तीनों बालक आपस में सगे भाई बहन हैं।
थाना अधिकारी के अनुसार छैंडकापुरा गांव निवासी सतीश गोस्वामी की पुत्री सरिता उम्र 9वर्ष पुत्र शिवम 7 वर्ष व शिवानी 5 वर्ष शामको 4 बजे शौच के बहाने घर से निकल गए।
गांव की पहाड़ी के नीचे बने मॉडल तालाब पर चले गए। शाम तक वापस घर नहीं लौटने पर परिजनों ने बालकों की तलाश की।
रात को करीब 9:30 बजे उनके तालाब में डूबने की घटना का पता चला। एक बालिका का शव तैरता हुआ दिखा।
इस पर परिजन व ग्रामीण तालाब पर पहुंचे।
ग्रामीणों ने तीनों शवों को तालाब से निकाला । सुबह मासलपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीनों के शव पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिए।
माना जा रहा है कि एक बच्चा तालाब में डूब गया जिसे बचाने के चक्कर में एक-एक कर तीनों बालक तालाब में डूब गए। बच्चे कपड़े पहने हुए थे। ऐसे में उनके हादसे में डूबने की आशंका जताई जा रही है।
एक साथ तीन बालको की मौत से गांव में शोक की लहर दौड़ गई। घर में कोहराम मच गया।परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
बताया गया है कि सतीश गोस्वामी के चार बच्चे हैं।अब एक बेटा भी बचा है। सतीश खुद रीट की तैयारी कर रहा है।

मदनमोहन जी के दर्शन करने को उमड़ी भीड़

हरियाली अमावस्या के मौके पर क्षेत्र के आराध्यदेव मदनमोहन जी के दर्शन करके मनौती मनाने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की सुबह से भीड़ रही है। इस दौरान एक तरह से आस्था के दर्शन हुए।

सुबह 8 बजे से मंदिर परिसर के बाहर श्रद्धालुओं की कतार लग गई। मंदिर खुलने के समय श्रद्धालुओं की भीड़ और अधिक बढ़ गई। इस दौरान मदनमोहनजी के जयकारे गूंजते रहे। पिछले साल तो हरियाली अमावस्या और सावनी तीज पर कोरोना को कारण दर्शन बंद रहे थे। इस बार मंदिर खुलने की मिली छूट के बाद श्रद्धालुओं ने आराध्यदेव के दर्शन किए। अमावस्या पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रबंधन और पुलिस ने विशेष प्रबंध भी किए।
गौरतलब है कि ब्रज संस्कृति से ओतप्रोत करनी नगरी में सावन माह में मंदिरों में वनविहार और झूले की झांकी के आयोजन भी होते हैं। मदनमोहनजी मंदिर में ये आयोजन काफी प्रसिद्ध है जिसके कारण दर्शन करने काफी संख्या में लोग आते हैं।

करौली. हरियाली अमावस्या के अवसर पर रविवार को यहां जिला मुख्यालय स्थित जन-जन के आराध्य भगवान मदनमोहनजी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी। भगवान के दर्शनों की खातिर सुबह से ही जिले के विभिन्न गांव-कस्बों के अलावा दूसरे जिलों से श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना शुरू हो गया, जिसके चलते सुबह ही मंदिर परिसर के बाहर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई। इस दौैरान कोरोना के चलते श्रद्धालुओं को कतारबद्ध तरीके से धीरे-धीरे मंदिर में प्रवेश दिया गया, लेकिन भीड़ की अधिकता के चलते श्रद्धालुओं को दर्शनों के लिए इंतजार भी करना पड़ा। वहीं पुलिसकर्मियों को भी खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान भगवान मदनमोहनजी के जयकारों के माहौल गुंजायमान हो उठा।

अपने आराध्यदेव के दर्शनों के लिए श्रद्धालु लालयित नजर आए। हरियाली अमावस्या पर श्रद्धालुओं का सुबह से ही मंदिर पहुंचना शुरू हो गया। हालांकि मंदिर में तो अन्दर दर्शनार्थियों को कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए प्रवेश दिया गया, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होने से मंदिर के बाहर कतार लग गई। इस दौरान जिले के विभिन्न गांव-कस्बों के अलावा अन्य स्थानों से भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने पहुंचे। श्रद्धालुओं ने मदन मोहनजी मंदिर में दर्शन कर खुशहाली व समृद्धि की मनौती मांगी। इस दौरान पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित कर कतार में लगाते नजर आए।

वहीं रोक-रोककर श्रद्धालुओं को आगे बढ़ाया गया। इस दौरान पुलिस जवानों ने श्रद्धालुओं को पुरानी नगरपालिका भवन से नवलबिहारीजी मंदिर की ओर से भेजा, जबकि दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं को संस्कृत विद्यालय भवन के सामने वाले रास्ते से निकाला गया।
इधर श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते शहर के विभिन्न बाजारों में भी खासी चहल-पहल नजर आई। दर्शनों के बाद श्रद्धालु बाजारों में पहुंचे और खरीदारी की।

बृज संस्कृति से ओतप्रोत हैं नगरी
गौरतलब है कि बृज संस्कृति से ओतप्रोत करौली नगरी में सावन माह में मंदिरों में वनविहार और झूले की झांकी के आयोजन भी होते हैं। मदनमोहनजी मंदिर में ये आयोजन काफी प्रसिद्ध हं, जिसके कारण दर्शन करने काफी संख्या में लोग आते हैं। पिछले साल तो हरियाली अमावस्या और सावनी तीज पर कोरोना के कारण दर्शन बंद रहे थे। इस बार मंदिर खुलने की मिली छूट के बाद श्रद्धालुओं ने आराध्यदेव के दर्शन किए। अमावस्या पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रबंधन और पुलिस ने विशेष प्रबंध भी किए।

करौली. जिला मुख्यालय पर मण्डरायल मार्ग स्थित प्राचीन रणगमा तालाब को पर्यटन के रूप में विकसित कर उसमें बोटिंग के लिए गत वर्ष शुरू की गई कवायद शुरू होने से पहले ही दम तोड़ रही है। असल में वोटिंग के लिए ठेका फर्मों द्वारा कोई रुचि नहीं दर्शाई गई। हालांकि नगरपरिषद की ओर से तालाब में नौकायन के लिए टैण्डर आमंत्रित किए गए, लेकिन किसी भी ठेका फर्म ने इसके लिए टेण्डर ही नहीं डाले। नतीजतन यह कवायद कागजों में ही सिमटकर रह गई है।

गत वर्ष सितम्बर माह में जिला कलक्टर की ओर से मण्डरायल मार्ग पर स्थित रणगमा तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू की गई थी। इसके तहत तालाब में बोटिंग के अलावा मनोरंजन क्रियाकलाप शुरू करने की योजना तय की गई। इसके लिए जिला प्रशासन ने संबंधित पांच विभागों को एनओसी (आपत्ति) के लिए पत्र भी लिखा और जिनसे एनओसी मिलने के बाद जिला प्रशासन ने सितम्बर माह में ही नगरपरिषद को स्वीकृति भी जारी कर दी। इससे उम्मीद बंधी थी कि जिला मुख्यालय पर पर्यटन केन्द्र विकसित हो सकेगा, जिससे जिला मुख्यालय के बाशिंदों सहित अन्य जगह के लोग भी इसका लाभ उठा सकेंगे, लेकिन यह मंशा अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है।

इन शर्तों पर जारी हुई थी स्वीकृति
जिला प्रशासन ने पर्यावरण के मद्देनजर इको फ्रेंडली वोटिंग ही तालाब में करने पर स्वीकृति दी थी। शर्तों के अनुसार रणगवां तालाब में पर्यटन के लिए केवल सोलर, बैटरी एवं पैडल नाव ही चलाई जा सकेंगी। इसके अलावा अन्य किसी प्रकार की नाव का संचालन नहीं होगा। वहीं तालाब के घाट पर दुकान, कैंटीन एवं अन्य किसी प्रकार का वाणिज्यिक निर्माण नहीं किया जाएगा। तालाब परिषद क्षेत्र में प्रवेश के दौरान किसी भी प्रकार का ठोस-तरल कचरा लेकर जाना प्रतिबंधित होगा।

तालाब के समीप वन क्षेत्र की सुरक्षा दीवार को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। साथ ही किसी भी प्रकार की कोई भी वाणिज्यिक गतिविधियां सुरक्षा दीवार के अंदर एवं उसके समीप नहीं होंगी। अपशिष्ट वस्तु प्लास्टिक, पॉलिथीन, ठोस पदार्थ सीमा के अंदर नहीं डाली जाएंगी। किसी भी प्रकार का कोई अवैध अतिक्रमण क्षेत्र की सुरक्षा दीवार के अंदर नहीं किया जाएगा। तालाब पर किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाव के लिए उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत जारी दिशा निर्देशों की पालना की जाएगी। लेकिन ठेकेदारों ने निविदाएं ही नहीं डाली।

तालाब पर डेढ़ करोड़ रुपए हुए थे खर्च
करौली के समीप नगरपरिषद क्षेत्र में स्थित रणगमा तालाब मण्डरायल मार्ग पर स्थित है, जो प्राचीन समय से ही रमणीक स्थल है। यहां पर अनेक लोग पहुंचते हैं। इसके समीप ही सिविल लाइन्स भी है। गत वर्षों में ही तालाब पर पर्यटन व विकास कार्यों पर डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई थी। घाटों का निर्माण कराने के साथ गुर्ज आदि का भी जीर्णोद्धार कराया गया था।

इनका कहना है.
रणगमा तालाब में नौकायन के लिए टेण्डर आमंत्रित किए गए थे, लेकिन किसी भी ठेकेदार फर्म ने टेण्डर नहीं डाले, जिससे यह प्रक्रिया अटकी हुई है। यदि कोई संस्था, ठेकेदार फर्म नौकायन के लिए तैयार होती है और शर्तों में कहीं कोई बात हो तो जिला कलक्टर से मार्गदर्शन लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नरसीलाल मीना, आयुक्त, नगरपरिषद , करौली


हिण्डौनसिटी. मौसम विभाग और जल संसाधन विभाग भले ही आठ एमएम बारिश को मामूली मानते हों, लेकिन हिण्डौन शहर के लिए इतनी सी बरसात जनजीवन को प्रभावित करने के लिए काफी है। रविवार शाम को हुई महज 15 मिनट की बारिश से कॉलोनियों से बाजार तक लबालब हो गए। नालियों के उफनने से शहर की सड़कें दरिया बन गई। क्षतिग्रस्त सड़कों पर जलभराव होने से कई दुपहिया वाहन चालक व राहगीर गिरने से चोटिल हो गए। बाजारों में चहुंओर सामान को भीगने से बचाने के लिए अफरातफरी सी मच गई।


शाम करीब चार बजे लगभग 15 मिनट की जोरदार बारिश ने शहर की सूरत बिगाड़ कर रख दी। जल निकासी का प्रबंध न होने और जाम नालियोंं के कारण जहां शीतला चौराहा, कटरा बाजार और डैम्परोड़ पर तालाब सदृश्य नजर आने लगे। वहीं शहर के कई क्षेत्रों में जल भराव तथा नालियों का गंदा पानी सड़क पर बहते हुए दुकानों और घरों में भी प्रवेश कर गया। झमाझम बारिश से शहर की सफाई व्यवस्था की भी पोल खुल गई। जगह-जगह नालियों का कचरा, पालीथीन ही नजर आया। नगरपरिषद की ओर से हर साल बारिश से पहले शहर में जल निकासी की व्यवस्था और जाम नालियों की साफ-सफाई का दावा किया जाता है, लेकिन अभी तक वृहद कार्ययोजना बना जल निकासी का पुख्ता प्रबंध नहीं करने से यह समस्या हर साल बारिश में सामने आती है। जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सुबह आसमां साफ, शाम को झमाझम-
शनिवार रात को हल्की बारिश के बाद रविवार सुबह सूर्यदेव के तीखे तेवर देखने को मिले। आसमान में बादलों की आवाजाही के बीच तेज धूप और उमस ने लोगों को पसीने छुडा दिए। फिर शाम को मौसम का मिजाज पूरी तरह से बदल गया। आकाश मे काले घने बादल छाए और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश शुरू हो गई। लोग जहां तहां रूक गए और लगभग 15 मिनट तक जोरदार बारिश हुई। जब बारिश थमी और लोग अपने-अपने दुकान और घरों से बाहर निकले तो हालात पूरी तरह से बदल चुका था। नालियों का गंदा पानी तथा कचड़ा सड़कों पर बह रहा था। शीतला कॉलोनी, दिलसुख टाल वाली गलली, ब्राह्मण धर्मशाला के सामने, डेम्परोड, कटरा बाजार, जगदम्बा मार्केट, स्टेशन रोड़, बयाना रोड़ पर आनंद विहार कॉलोनी, हाई स्कूल के सामने के अलावा समूचे शहर क्षेत्र में जगह-जगह पालीथीन, कचरा और गंदा पानी ही नजर आ रहा था।

सदृश्य तालाब सा नजारा-
सबसे बदहाल स्थिति शीतला चौराहा व कटरा बाजार की थी। यहां तालाब से नजारा था। यहां हल्की बारिश में ही घुटनों तक पानी का जमा होना वर्षों पुरानी समस्या है। जिसका निराकरण आज तक नहीं हो सका है। आसपास रहने वालों लोगों ने बताया कि शीतला चौराहा पर क्षतिग्रस्त सड़क व कचरे से अटी नालियोंं के कारण कुछ ही मिनटों में गंदा पानी रास्ते में बहने लगता है। पानी इतना अधिक जमा हो गया कि दो पहिया वाहन चालक दूसरे रास्तों से आ-जा रहे थे।

प्राकृतिक बहाव वाले नाले भी अवरुद्ध-
उपखंड मुख्यालय तेजी से विकसित हो रहा है। शहर के हर क्षेत्र में नई कालोनियां विकसित हो रही हैं और नए-नए होटल, मकान, मॉल और दुकानों का निर्माण भी हो रहा है। इससे वर्षों पुराने प्राकृतिक बहाव वाले नाले भी अवरुद्ध हो गए हैं। कहीं होटल और दुकान बन गए हैं, तो कहीं मकानों की मजबूत दीवार खड़ी कर दी गई है। जिससे जल निकासी नहीं हो पा रही है। जो गंभीर समस्या बन गई है। लोगों का कहना है कि जब 15 मिनट की बारिश में यह स्थिति है तो बरसात के मौसम में क्या स्थिति होगी। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

शहर के हर क्षेत्र में है दिक्कत-
उपखंड मुख्यालय पर शहर की सरकार को नगरपरिषद का दर्जा मिले करीब एक दशक का वक्त बीत चुका है, लेकिन आज भी शहर में जल निकासी की समूचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। नालियों की बेहतर तरीके से सफाई नहीं हो पाने का दंश भी लोगों को झेलना पड़ता है। शहर की पुरानी आबादी हो या फिर नई विकसित कॉलोनी ओर ढाणियां। हर तरफ बारिश के दिनों में गंदा पानी और कचरा सड़क पर बहने तथा लोगों के घरों में घुसने की शिकायत पुरानी है।


हिण्डौनसिटी. बारिश के मौसम में विद्युत हादसों की आशंका अधिक रहती है। इसके बाद भी शहर में कई स्थानों पर ट्रांसफार्मर असुक्षित रखे हैं। वहीं फ्यूज बॉक्स खुले पड़े हंै। जान के खतरे के प्रति अनदेखी का अलाम यह है कुछ स्थानें पर तो ट्रांसफार्मरों में फ्यूज वायर बिना बॉक्स के ही है। इससे लोगों की आवाजाही वाले स्थानों पर हादसे की आशंका बनी है।
विद्युत निगम द्वारा बिजली व्यवस्था मंत्र को दुरुस्त रखने के लिए रखरखाब और मरम्मत कार्य किए जाते हैं। लेकिन शहर में अनेक स्थानों पर असुरक्षित तरीके से रखे विद्युत ट्रांसफार्मरों और फ्यूज वायरों को लेकर अनदेखी की जा रह है।

स्थिति यह है कि शहर में अनेकों स्थानों पर ट्रांसफॉर्मरों के फ्यूज वायर बिना बॉक्स के खुले पडे हैं। आम रास्तों व चौराहों पर जमीन से महज 3-4 फीट ऊंचाई पर खुले फ्यूज वायरों से राहगीर व पशुओं के छूजाने की आशंका रहती है। शहर में पुरानी आबादी क्षेत्र में चूडिया दरवाजे के पास व दुब्बे पाड़ा में खारी नाले की पुलिया के पास रखे विद्युत ट्रांसफार्मरों पर फ्यू बॉक्स नहीं हैं। वहीं बयाना मोड़ पर कृष्णा कॉलोनी में फ्यूज वायर खुले छोड़े हुए है। गत दिनों राष्ट्रीय पार्क के पास विद्युत पोल के सपोर्टिंग वायर के छूने से एक भैंस की मौत हो गई।

जलभराव के बीच ट्रांसफार्मर-
बाजना रोड पर जल भराव के बीच लगा विद्युत ट्रांसफार्मर भी हादसे का न्योता दे रहा है। अनदेखी का आलम यह है कि फ्यूज बॉक्स पानी के डूबने के बाद तारों को पोल पर ऊंचा कर दिया है। कॉलोनी लोगों ने बताया कि खाली भूमि पर वर्ष भर जल भराव रहता है। ऐेसे में ट्रांसफार्मर में खामी होने पर पानी में करंट आने डर बना रहता है। बारिश के दिनों में भूखण्ड और सड़क के जलमग्न होने से राहगीरों को करंट लगने का डर लगा रहता है।

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