>>: Digest for August 12, 2021

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Table of Contents

बाड़मेर. अस्पताल के वार्ड में मरीजों के बेड पर अब रोजाना चद्दर बदलने के नियम को फोलो किया जाएगा। इसके लिए जिला अस्पताल में बेडशीट बदलने के लिए नवाचार कर सप्ताह के सात दिनों के लिए अलग-अलग रंग निर्धारित कर दिए हैं। अब मरीजों को रोजाना धुली और साफ बेडशीट उपलब्ध हो सकेगी।
इसलिए बदलाव की हुई जरूरत
सामान्यत: अस्पताल में सफेद रंग की बेडशीट की बिछाई जाती है। अस्पताल प्रबंधन को इसकी शिकायत भी मिल रही थी। प्रतिदिन अलग-अलग रंग की बेडशीट का नवाचार इसलिए किया गया कि केवल सफेद रंग की बेडशीट होने से संबंधित को पूछने पर यही जवाब मिलता था कि बदल दी गई है। वहीं एक ही रंग होने के कारण यह पता भी नहीं चलता था कि बेडशीट बदली भी गई है या नहीं।
हर दिन अलग रंग से मिलेगा सुकून
मरीजों के लिए हर दिन अलग-अलग रंग की बेडशीट होने से रोज धुली हुई और साफ चद्दर तो मिलेगी ही। साथ ही रोज अलग-अलग रंग होने से यह उनके मूड में भी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।
अब रोजाना अलग होगा बेडशीट का रंग
अस्तपाल में बेडशीट में बदलाव किया गया है। इसका फायदा यह होगा कि बेडशीट रोजाना बदली जाएगी। वार के अनुसार उसी रंग की बेडशीट बिछानी होगी।
- डॉ. बीएल मंसूरिया, अधीक्षक, राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर
सप्ताह में सात दिन के यह होंगे कलर
रविवार गुलाबी
सोमवार सफेद
मंगलवार लाल
बुधवार हरा
गुरुवार पीला
शुक्रवार हल्का भूरा
शनिवार नीला

बाड़मेर। जिला मुख्यालय के सखी केन्द्र पहुंचकर जिला कलक्टर लोक बंधु ने कुसीप निवासी असहाय वृद्धा मदन कंवर की बुधवार को सुध ली। उन्होंने महिला की पीड़ा को सुनकर तत्काल भरण-पोषण तथा वांछित सहायता अविलम्ब दिलाने की हिदायत दी।
जिला कलक्टर बुधवार दोपहर बाद सखी सेंटर पहुंचे तथा यहां पर कुसीप निवासी मदन कंवर की समस्याओं को सुना, इस दौरान मदन कंवर ने बताया कि उनके बहु-बेटे ने बेघर कर दिया है तथा पिछले छह दिनों से सखी केन्द्र में रह रही है। इस पर जिला कलक्टर ने उपखण्ड अधिकारी सिवाना को उसी समय मोबाइल पर बात कर वृद्धजन भरण-पोषण अधिनियम के तहत सहायता राशि तत्काल स्वीकृत कराने के निर्देश दिए। साथ ही उसके हिस्से की पैतृक जमीन के लिए तहसीलदार को कार्यवाही कर हक दिलाने की हिदायत दी।
महिला की देखभाल की जाए
महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक प्रहलाद सिंह राजपुरोहित को निर्देश दिए की संबंधित अधिकारियों से समन्वय कर वृद्धा को सहायता प्रदान कराएं व समस्याओं का समाधान करें। साथ ही उसके लिए अन्य व्यवस्था होने तक सखी सेंटर में रखकर पूरी देखभाल की जाए।
केंद्र का निरीक्षण कर देखी व्यवस्थाएं
जिला कलक्टर लोक बंधु ने सखी केन्द्र वन स्टॉप सेन्टर का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। इस दौरान महिला अधिकारिता विभाग उप निदेशक ने बताया कि सखी केन्द्र में उत्पीडि़त एवं निराश्रित महिलाओं को आवश्यकतानुसार चिकित्सा, परामर्श, पुलिस, न्यायिक एवं अस्थायी आश्रय तथा भोजन की व्यवस्था उपलब्ध करवाई जा रही है।

भवानीसिंह राठौड़
बाड़मेर. बेटियों के लिंगानुपात के अंतर को कम करने व बेटी जन्म को प्रोत्साहन देने के लिए पांच साल पहले शुरू की गई राजश्री योजना कागजी साबित हो रही है। जिले में पंजीयन होने के बाद 24 हजार बेटियों को पहली किस्त नहीं मिल पाई है।


राज्य व केन्द्र सरकार बेटियों के लिंगानुपात के अंतर को कम करने और बेटी जन्म को प्रोत्साहन देने के लिए जून 2016 में शुरू की गई राजश्री योजना अब चिकित्सा विभाग की अंधेरगर्दी का शिकार हो रही है। बाड़मेर जिले में स्थिति यह है कि जिन बेटियों को प्रथम किस्त जारी की गई थी, उन्हें द्वितीय किस्त का इंतजार करना पड़ रहा है। गत चार सालों की अवधि में वर्ष-2019 तक प्रथम किस्त मिलने के बाद 36 हजार 515 बेटियों को दूसरी किस्त का भुगतान नहीं हो पाया है।


क्या है राजश्री योजना
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजश्री योजना में बेटी जन्म से लेकर 21 वीं कक्षा की पढ़ाई सरकारी स्कूल में पूर्ण करने पर 50 हजार रुपए की राशि का भुगतान ऑनलाइन बेटियों के खातों में जमा करता है। बेटियों को प्रथम व द्वितीय किस्त ढाई-ढाई हजार रुपए राशि चिकित्सा विभाग की ओर से दी जाती है।


इसलिए अटक रही राशि
चिकित्सा विभाग बच्ची का जन्म होने के बाद प्रथम किस्त जारी करने के बाद एक साल पूर्ण होने पर बालिका का जीवित प्रमाण पत्र अपडेट करता है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते बाड़मेर में गत तीन सालों में हजार बेटियों के प्रमाण पत्र जारी नहीं हुए है। ऐसी स्थिति में उनकी किस्त अटक गई है।


यों समझे गणित
योजना शुरू होने के बाद अब तक 1 लाख 44 हजार 769 बालिकाएं पंजीकृत हुई है। जिसमें प्रथम किस्त महज 1 लाख 20 हजार 808 को मिल पाई है। ऐसे में 23 हजार 961 को प्रथम किस्त भी नहीं मिली है। साथ ही पांच सालों की अवधि में प्रथम किस्त हासिल करने के बाद 39 हजार 202 बेटियों को द्वितीय किस्त का इंतजार है।


यह है आवश्यक दस्तावेज
- दूसरी किस्त के लिए बालिका का पूर्ण टीकाकरण, सत्यापित जीवित प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, भामाशाह कार्ड व प्रथम किस्त के लिए पात्र होना आवश्यक होता है।
- प्रथम किश्त के लिए भामाशाह कार्ड, बैंक खाता, बालिका का जन्म प्रमाण पत्र, एक वर्ष का टीकाकरण व बालिका के एक वर्ष की होने पर मां बेटी का फोटो साथ।
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फैक्ट फाईल
प्रथम किस्त पात्र - 144769
प्रथम किस्त लाभ - 120808
द्वितीय किस्त लाभ - 78064
(जून 2016 से जुलाई 2021 तक)
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एक नजर
वर्ष - पंजीकृत बालिकाएं - प्रथम किस्त- द्वितीय किस्त
2016 - 27502 - 24447 - 16633
2017 - 27437 - 24322 - 21998
2018 - 27671 - 23866 - 20597
2019 - 27591 - 22805 - 16151
2020 - 28134 - 21825 - 2685
2021 - 6434 - 3543 - 00
कुल - 144769 - 120808 - 78064
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- दस्तावेज जमा नहीं करवाते है
राजश्री योजना में चिकित्सा विभाग गंभीरता पूर्ण पंजीयन होने के बाद रुपए लाभार्थी को जमा करता है। कई बार पंजीयन होने के बाद भी बैंक या अन्य दस्तावेज नहीं जमा होते है। ऐसी स्थिति में देरी होती है। साथ ही डेढ साल से तो कोविड-19 का कहर चल रहा है। ऐसे में देरी हुई होगी। - डॉ. बाबूलाल विश्रोई, सीएमएचओ, बाड़मेर

बाड़मेर. स्थानीय रामनगर में राजस्थान पत्रिका के हरयाळो राजस्थान अभियान के तहत औषधीय पौधों का रोपण किया गया।

पर्यावरण प्रेमी हनुमान राम डऊकिया ने बताया कि औषधीय पौधे हमारी जीवनदायिनी शक्ति है। औषधीय पौधों का अधिक से अधिक रोपण कर उनके महत्व को समझें और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी लें।

नीमाराम जाखड़ ने बताया कि औषधीय पौधे हमारी प्राणवायु को बढ़ाते हैं। लक्ष्मण सारण ने कहा कि जन्मदिन, शादी ,समारोह, तीज त्यौहार जैसे आयोजनों पर उपहार के रूप में औषधीय पौधों का वितरण किया जाए जिससे कि पर्यावरण संवर्धन एवं संरक्षण में अधिक से अधिक लोगों की सहभागीदारीता बढे।

करनाराम जाखड़, तरुण जाखड़,कंवरा राम, सियोल रघुवीर ,कमलेश सेन, ओम प्रकाश सेन, गणेश सारण आदि उपस्थित थे।

बाड़मेर. भारत विकास परिषद मुख्य शाखा की ओर से स्थानीय नंदी गोशाला परिसर में 62 विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण कर श्रावणी तीज का आगाज किया गया।

कार्यक्रम में परिषद के जिला प्रभारी एवं गोशाला के कार्यकारी अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता ने कहा कि श्रावण की तीज के शुभ दिन प्रकृति से जुडऩे का अनुकरणीय कार्य किया है।

पेड़ो की तरह पल्लवित रहे और इसी प्रकार मानव और प्राणी सेवा से जुड़े रहें तभी हमारा जीवन सार्थक है।

बाड़मेर. भारत विकास परिषद मुख्य शाखा की ओर से स्थानीय नंदी गोशाला परिसर में 62 विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण कर श्रावणी तीज का आगाज किया गया।

कार्यक्रम में परिषद के जिला प्रभारी एवं गोशाला के कार्यकारी अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता ने कहा कि श्रावण की तीज के शुभ दिन प्रकृति से जुडऩे का अनुकरणीय कार्य किया है। पेड़ो की तरह पल्लवित रहे और इसी प्रकार मानव और प्राणी सेवा से जुड़े रहें तभी हमारा जीवन सार्थक है।

वरिष्ठ सदस्य अम्बालाल खत्री ने वर्तमान में पर्यावरण के असंतुलन से मानव जाति को हो रहे खतरों से अवगत कराया। उन्होंने बढ़ते हुए तापमान से बढ़ते हुए रोगों और असहनशीलता के दुष्प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उपाध्यक्ष ओम जोशी ने बताया कहा कि ऑक्सीजन , छाया , फल फूल और उचित तापमान उपलब्ध हो सके इसके लिए पौधरोपण करें।

पुरुषोत्तम खत्री ने पौधरोपण की महत्ता बताई।

शाखा सचिव महेश सुथार ने बताया कि परिषद के प्रांतीय संरक्षक ताराचंद जटोल, प्रांतीय वित्त सचिव धनराज व्यास, श्रवण कुमार महेश्वरी, शाखा वित सचिव राजेंद्र बिंदल, विशनाराम बाकोलिया, जसराज खत्री, नवीन सिंहल, चुनीलाल खत्री, बसंत खत्री सहित परिवार के सदस्य और गोशाला पदाधिकारी उपस्थित रहे।-

बाड़मेर.शिक्षक संघ रेसला ने नव पदस्थापित माध्यमिक और प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारियों से मुलाकात कर विभिन्न समस्याओं से अवगत करवाया।

उन्होंने अधिकारियों का स्वागत भी किया। व्याख्याता शिक्षक संघ रेसला जिला शाखा बाड़मेर ने माध्यमिक जिला शिक्षा अधिकारी राजन शर्मा और प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी केसर दान साफा, शॉल व माला पहना कर स्वागत किया गया।

रेसला बाड़मेर जिला प्रवक्ता देवेंद्र गिरी ने बताया कि जिलाध्यक्ष डूंगर सिंह सहारण, रेसा-पी से रूप सिंह जाखड़, रेसला बाड़मेर ब्लॉक अध्यक्ष सवाई सिंह, बाड़मेर रेसला जिला कार्यकारिणी सदस्य रामलाल चौधरी, श्रवण पारीक, रूपा राम सियाग, गोपाराम माली, जोगाराम चौधरी, तनवीर सिंह डऊकिया, बाबूलाल खत्री आदि ने दोनों अधिकारियों को शिक्षकों की समस्यओं से अवगात करवाया। उन्होंने रेसला की विभिन्न मांगों की जानकारी देते हुए कहा कि दोनों अधिकारी शिक्षक हितों को लेकर सकारात्मक सोच रखेंगे एेसी उम्मीद है।

राजस्थान शिक्षक संघ अंबेडकर जिला शाखा बाड़मेर जिलाध्यक्ष संतोष कुमार नामा और संरक्षक शिवलाल जैलिया ने जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा बाड़मेर राजन शर्मा और जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर केसर दान रतनू का स्वागत किया।

उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं से अवगत करवाया। संघ के महामंत्री हीरालाल खोरवाल ने बताया कि दोनों अधिकारियों ने हर समय तत्पर रहकर शिक्षक हित के कार्य करने का आश्वासन दिया ।

जिला प्रवक्ता भंवरलाल खोरवाल ने बताया कि इस दौरान ओमप्रकाश सेजू, शिवलाल जैलिया, गिरधारी राम सेजू, रमेश कुमार,हरिशंकर सांवरिया, घनश्याम बैरवा ,डालू राम सेजु, प्रकाश बोस फिरोज खान, जय राम ,मांगीलाल जीनगर ,मांगीलाल नामा, मोहनलाल सिंगारिया और किशन लाल उपस्थित रहे।

.बाड़मेर. आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर भारत अमृत महोत्सव हर राह पर बढ़ते कदम के अंतर्गत किसानों की आय बढ़ाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी एवं कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र समदड़ी के संयुक्त तत्वावधान में कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी पर आयोजित किया गया। केन्द्र प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने कहा कि बाड़मेर जिले की मुख्य खरीफ फसलें बाजरा, मूंग, मोठ ग्वार है जिसमें मुख्यत: बीज प्रतिस्थापन दर संतोषजनक नहीं है। खासकर दलहन फसलों की बीज प्रतिस्थापन दर बहुत कम है।

वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता है बीज प्रतिस्थापन दर को बढ़ाना। उन्नत किस्मों के द्वारा बाडमेर जिले के किसानों को उन्नत किस्मों के बीजों के बारे में जागरूकता भी बहुत कम है जिसकी वजह से वांछनीय उत्पादन भी नहीं मिल पाता है। अभी तक किसान दलहन में पुराना बीज ही काम में लेते आ रहे हैं जिसकी वजह से प्रति हैक्टेयर उत्पादन बहुत कम मात्रा में होता है। आज की परिस्थिति में जहां बारिश की कमी के कारण खेती की अनिश्चितता हो रही है।

अत: किसान प्रमाणित उन्नत किस्म के बीज का उपयोग करें ताकि उत्पादन अधिक हो सके। डॉ. रामदेव सुतलिया प्रभारी कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र समदड़ी ने बताया कि हमें उर्वरको का सही मात्रा व तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है जिससे लागत के साथ साथ उत्पादन बढे एवं जमीन को बंजर होने से बचाया जा सके।

साथ ही उन्होंने उर्वरको के अंधाधुध प्रयोग को रोकने की सलाह देते हुए 2022 तक किसानो की आय दुगुनी करने में उर्वरको के सही प्रयोग अहम रोल अदा करेंगे।

बाड़मेर. दस्तकारों के लिए सीएफसी (कॉमन फेसिलिटी सेन्टर) वरदान साबित होंगे। यह बात नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक डॉ. दिनेश प्रजापत ने नाबार्ड के वित्तिय सहयोग से श्योर बाड़मेर की ओर से संचालित ओएफपीओ संपोषण परियोजना के तहत बजिला मुख्यालय पर जिले की दस्तकार महिलाओं के लिए बनने वाले सीएफसी भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में कही।

प्रजापत ने आगे कहा कि दस्तकार महिलाएं इस केन्द्र के माध्यम से अपने हस्तशिल्प उत्पादों को बेच कर लाभांश कमा सकेंगी, जिससे उनकी आजीविका में निरंतरता बनी रहेगी एवं विलुप्त होती हस्तकला को बचाए रखा जा सकेगा। केन्द्र में एक तैयार हस्तशिल्प उत्पादों का शोरूम होगा जहां दस्तकार अपने उत्पादों का क्रय-विक्रय कर सकेगे। सीएफसी कंपनी व दस्तकार महिलाओं के बीच सेतू का काम करेगी।

श्योर संस्था की संयुक्त सचिव लता कच्छवाहा ने बताया कि परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षणों व कार्यशालाओं के साथ-साथ भ्रमण आदि से दस्तकार महिलाओं का क्षमतावर्धन किया जा रहा है जिससे ये गुणवत्ता पूर्ण अपने उत्पादों को तैयार कर सके ताकि वो अपनी मेहनत का पूरा लाभ ले सके। इसके लिए नाबार्ड के सहयोग से बाड़मेर जिले के चौहटन व बाड़मेर ब्लॉक के 20 गांवों की 750 शेयर धारक दस्तकार महिलाओं को जोड़कर थार आर्टिजनस प्रोड्यूजर कम्पनी लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन करवा दिया गया है जिसमें 10 बोर्ड ऑफ डॉरेक्टर्स की कमेटी की ओर से कंपनी का संचालन किया जाएगा।

कंपनी के समस्त कार्य की जिम्मेदारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी की रहेगी। उक्त भवन निर्माण का कार्य माह दिसम्बर 2021 तक पूर्ण कर कंपनी को सुपूर्द कर दस्तकार महिलाओं के लिए उपलब्ध हो जाएगा।थार आर्टिजन्स प्रोडूसर कम्पनी की बोर्ड ऑफ डारेक्टर जरीना सियोल ने दस्तकार शेयर धारको की तरफ से भरोसा दिलाया कि सभी दस्तकारों को नियमित रूप से काम देकर उन्हें अपने हक का लाभ दिया जाएगा।

श्योर संस्था के कोषाध्यक्ष नरेंद्र तनसुखानी, जेठमल जैन, हनुमान चौधरी, शशि कुमार, गणेशदास केला, कानाराम प्रजापत, माधुसिंह, महेन्द्र सिंह, बाबूसिंह, धीरज शर्मा, एईएन सुखराम माचरा, पूरी देवी, चुनी देवी, दाऊलाल ने कार्यक्रम मे शिरकत की।

बाड़मेर. जिले में बालकों के साथ बालिकाएं भी शिक्षा को लेकर जागरूक है। आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली छात्राओं में पढऩे की ललक तो है, लेकिन सरकार का ध्यान नहीं है। इस पर बालिकाएं बीच राह पढ़ाई छोडऩे को मजबूर है। स्थिति यह है कि जिले में प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों की तादाद पैंतालीस सौ से ज्यादा है लेकिन बालिका विद्यालय का आंकड़ा सौ को भी नहीं छू रहा, मात्र ९२ स्कू  ल ही बालिका विद्यालय के रूप में संचालित हो रहे हैं। एेसे बालिकाओं की पढ़ाई बीच में ही छूट रही है।

जिले में बालिकाओं की पढ़ाई बीच में छूटने में बालिका विद्यालयों की कमी भी एक कारण है। जिले में वर्तमान में ४०१५ प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें से बालिका विद्यालय मात्र ७३ ही है। वहीं, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की तादाद ७०६ है जिसमें से १९ विद्यालय बालिकाओं के हैं। इसका असर यह है कि जैसे-जैसे बालिकाएं बड़ी कक्षाओं में आती है परिजन उनको पढ़ाई छुड़ा देेते हैं।

यहीं कारण है पहली से पांचवीं तक तो बालिकाओं व बालकों का नामांकन लगभग बराबर रहता है। इसके बाद छठीं से आठवीं में इनमें अंतर तीन-चार हजार का आता है तो नवीं से बारहवीं में यह अंतर बढ़ कर तेेरह से पन्द्रह हजार हो रहा है।

को एज्युकेशन को नहीं तैयार अभिभावक- जिले में अधिकांश विद्यालय बालक-बालकाओं की सह शिक्षा के आधार पर संचालित हो रहे हैं अर्थात वहां बालक व बालिकाएं एक साथ पढ़ रहते हैं। छोटी कक्षाओं में अभिभावक बालिकाओं को बालकों के साथ भेज रहे हैं लेकिन उच्च कक्षाओं में वे एेसा नहीं कर रहे। इसके चलते जैसे-जैसे कक्षाओं का स्तर बढ़ रहा है बालिकाओं का नामांकन घटता जा रहा है।

आगे की पढ़ाई के अकेले रखने से भी परहेज- गौरतलब है कि बालिका माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की तादाद जिले में मात्र १९ ही है। इनमें से अधिकांश स्कू  ल बाड़मेर व बालोतरा शहर सहित बड़े कस्बों में हैं। यहां बालिकाओं को पढ़ाने के लिए उन्हें अकेले रखना पड़ता है। छात्राओं को शहर व कस्बों में कमरे लेकर रखने से अभिभावक परहेज बरत रहे हैं जिसके चलते बालिकाओं की पढ़ाई बीच में ही छूट रही है।

विद्यालयों से जोडऩे का प्रयास- जिले में बालिका विद्यालय ९२ है। यह संख्या बालिकाओं के नामांकन को देखते हुए कम मानी जा सकती है। हमारा प्रयास तो यह रहता है कि हरेक बालिका स्कू  ल से जुड़े। अभियान चला जनजागरूकता की जाती है। काफी सफलता भी मिली है। विद्यालयों से जोडऩे का प्रयास रहेगा।- नरसिंगप्रसाद जांगिड़, सहायक निदेशक मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी बाड़मेर

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