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कानों से ही नहीं प्राणों से भी जिनवाणी श्रवण करें Friday 13 August 2021 06:05 PM UTC+00 नागौर. जयगच्छीय जैन साध्वी बिंदुप्रभा ने शुक्रवार को कहा कि मनुष्य जन्म प्राप्त करना जितना दुर्लभ है, उससे भी ज्यादा दुर्लभ जिनवाणी श्रवण करना है। क्योंकि सभी मनुष्य इसका श्रवण नहीं कर पाते हैं। वे जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में प्रवचन सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि जो सुनता है वह श्रावक कहलाता है। श्रोता तीन प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार के श्रोता उस चिकने घड़े के समान होते हैं। जिस पर भले ही कितना ही पानी डाल दो एक बूंद भी नहीं टिकती है। वे एक कान से सुनते हैं, दूसरे कान से निकाल देते हैं। दूसरे श्रोता सुनने के बाद उसे कुछ समय तक धारण कर रखते हैं। लेकिन पूरी तरह से आचरण में नहीं उतार पाते हैं। जबकि उत्कृष्ट श्रेणी के श्रोता सुनने के बाद उसे आचरण में भी लेकर आ जाते हैं। हर श्रावक को इसी प्रकार का श्रोता बनते हुए प्रत्येक तत्व को सुनने के बाद उसे समझकर आचरण में उतारना चाहिए। सच्चे श्रावक बनने के लिए श्रावकोचित आचार को आत्मसात करने की आवश्यकता है। जिस प्रकार नल से गिरने वाली पानी की बूंदों से कुछ समय बाद कठोर पत्थर में भी छेद हो जाता है। इसी प्रकार से बार-बार जिनवाणी का श्रवण करने पर कठोर हृदय वाले जीव में भी परिवर्तन आ सकता है। व्यक्ति को कानों से ही नहीं अपितु प्राणों से भी श्रवण करना चाहिए। तभी उसमें परिवर्तन आता है। दोपहर में महाचमत्कारिक जयमल जाप किया गया। |
भौगोलिक सूचना तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका Friday 13 August 2021 06:18 PM UTC+00 नागौर. बी.आर. मिर्धा राजकीय महाविद्यालय के भूगोल विभाग व नेत्रा जियोइन्फोरमेटिक मैनेजमेंट एण्ड टेकनॉलोजिज फाउण्डेशन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में च्भौगोलिक सूचना तकनीक एवं रोजगार के अवसरज् विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार हुआ। प्रो. पूर्णिमा झा ने स्वागत उद्बोधन दिया। प्राचार्य शंकरलाल जाखड़ ने कहा कि भौगोलिक सूचना तकनीक की वर्तमान समय में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस तकनीक ने जीवन को बहुत ही आसान बना दिया है। इस क्षेत्र विद्यार्थियों के कैरियर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। इस राष्ट्रीय स्तर के वेबीनार के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभागियों के ज्ञान में वृद्धि होगी और इस कोरोना काल में ऐसे आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। वेबीनार के मुख्य अतिथि भूगोल विभाग, के.एस.जी.एम. कॉलेज, निरसा, झारखण्ड के असिस्टेट प्रोफेसर टिकैत मांझी ने कहा कि भौगोलिक सूचना तंत्र के माध्यम से महाद्वीप व महासागरों जैसे विस्तृत भू-भागों से लेकर सूक्ष्म क्षेत्र तक के आंकड़ों एवं फोटो के माध्यम से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। विशेषकर यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ही लाभप्रद सिद्ध हो सकती है। भौगोलिक सूचना तकनीक के द्वारा उपग्रहों, दूरसंवेदन, वायुयानों, ड्रोन कैमरा आदि के माध्यम से आंकड़ों व चित्रों को सर्वेक्षण द्वारा संग्रहित एवं विश्लेषित कर जानकारी प्राप्त की जा सकता है। विद्यार्थियों की विभिन्न शंकाओं व समस्याओं का समाधान प्रश्नोत्तर के सत्र द्वारा किया गया। अंत में राष्ट्रीय वेबीनार के समन्वयक डॉ. हेमा राम धुंधवाल ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इसमेे एन.आई.एम.जी.एन.टी. नई दिल्ली के मदनसिंह, अंशु राघव, देवेन्द्र सिंह व इस महाविद्यालय के आरिफ गौरी व प्रो. अविनाश व्यास ने महत्वपूर्ण तकनीकी भूमिका निभाई। महाविद्यालय के डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा, ओ.पी. दवे, प्रो. सुरेन्द्र कागट, प्रो. भूपेश, डॉ. प्रकाश नारायण, प्रो. भैरू प्रकाश नवल, प्रो. विनिता मिर्धा, आदि थे। |
उद्यमियों ने अधिकारी को बताई रीको एरिया की समस्याएं Friday 13 August 2021 06:30 PM UTC+00 नागौर. न्यू रीको क्षेत्र विकास समिति एवं लघु उद्योग भारती के पदाधिकारियों ने क्षेत्रीय प्रबन्धक राधाकिशन गुप्ता से मुलाकात कर विकास से जुड़े विषयों पर चर्चा की। गुप्ता के नागौर का पदभार संभालने के मौके पर उनका स्वागत किया गया। क्षेत्रीय प्रबन्धक गुप्ता ने कहा कि वह व्यापारियों के साथ मिलकर सभी समस्याओं के समाधान करने की कोशिश करेंगे। जायल एवं नागौर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष भोजराज सारस्वत ने रीको आईआईडी क्षेत्र व पुराने रीको क्षेत्र की समस्याएं बताई। गोगेलॉव क्षेत्र में इसके लिए स्थिति बनाकर भूखण्ड आवंटन किए जाने की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया गया। इसमें न्यू रीको क्षेत्र विकास समिति के महामंत्री रामरतन बिश्नोई, बजरंग कुमावत, शिवकरण डेलू, हरिराम धारणियां व कैलाश आदि मौजूद थे। |
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