>>: Digest for August 15, 2021

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बड़ाखेड़ा. बूंदी रियासत के बड़े ओहदे का ठिकाना होने से बड़ाखेड़ा की पहचान पुरानी है। कस्बे की स्थापना को लेकर सही जानकारी तो नहीं मिलती, लेकिन नागमाल सिंह हाडा नाम के जागीरदार की वजह से कस्बे को आज भी बुजुर्ग नगजी महाराज का खेड़ा कहते हैं। आजादी के बाद कस्बे का नाम बड़ाखेड़ा पड़ा। राजपरिवार के सदस्य रहे प्रदीप सिंह हाडा ने बताया कि पूर्व ठिकानेदार कर्ण सिंह हाड़ा ने देश आजाद होते ही जगीरदारी की जमीन में से 2700 बीघा जमीन चरागाह के नाम कर दी। जिसका सरकारी आदेश है। वहीं ग्रामीणों के लिए रास्ते के लिए अपनी भूमि दान कर दी। गांव में उस समय ग्रामीणों की आय के स्रोत कृषि, पशुपालन, व्यापार आदि थे। गांव में शहर जैसी सुविधाएं पुराने समय से उपलब्ध है। गांव में आजादी से पहले सरकारी विद्यालय था। गांव में 1972 में पेयजल के लिए बड़ी टंकी का निर्माण हो गया था और घर-घर नल लग गए थे। वर्ष 1970 में बिजली गांव तक पहुंच चुकी थी। 1965 में आयुर्वेद चिकित्सालय खुल चुका था। 1968 में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, ग्रामीण बैंक भी संचालित था।
बाद में लाखेरी कस्बे में स्थानांतरित कर दिया गया। कस्बे में सबसे प्राचीन चारभुजा मंदिर व जानकीराय महाराज का मंदिर है। आजादी से पहले भी गांव में सरकारी कर्मचारी थे और बाद में तहसीलदार बने भीमशंकर शर्मा, भंवर सिंह हाडा, आजादी के कस्बे में सरकारी कर्मचारियों की संख्या तेजी से बढ़ी।

गांव की समस्या
बालिका विद्यालय दसवीं तक नहीं हुआ है। बड़ाखेड़ा से माखीदा रोड तक पक्की सडक़ का निर्माण नहीं हुआ। गांव में आबादी के हिसाब से पुलिस चौकी की स्थापना, गांव में अस्पताल में चिकित्सकों की संख्या कम होना, गांव में स्थाई सफाई कर्मचारी नहीं होने की समस्या है। दीपिका शर्मा ने बताया कि गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध हों तो ग्रामीणों का पलायन रुक जाएगा।

केशवरायपाटन. राज्य सरकार ने जनता की सुविधाओं के लिए कम खर्चे में आधार कार्ड में सुधार करने के लिए पंचायत समिति भवन में बिना किराया के ई-मित्र खोल रखा है, लेकिन यहां सरकारी योजनाओं के कार्य में रुचि नहीं दिखाई जा रही है।
उपखंड में समिति परिसर में ही आधार कार्डों में आने वाली त्रुटियों को सुधारने के लिए इसी ई मित्र के पास लोग पहुंच रहे हैं। एक पखवाड़े से उन लोगों के कार्य नहीं हो रहे हैं।

परेशान लोगों की जुबानी
पंचायत समिति परिसर में चलने वाले ई मित्र केंद्र पर लोग दूर-दराज से आधार कार्ड में त्रुटियों को ठीक करवाने आ रहे हैं, लेकिन उनको निराश लौटना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत करवाला की झोपडिय़ां के आडीबाढ़ गांव निवासी सुखपाल ने बताया कि वह उसकी पत्नी के आधार कार्ड में संशोधन के लिए चक्कर काट रहा है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही। पीपल्दा जागीर निवासी प्रेम शंकर ने बताया कि उसे उसके 6 वर्षीय पुत्र का आधार कार्ड बनवाना था, लेकिन बार-बार चक्कर कटवाए जा रहे हैं। आधार नहीं होने से उसको पोषाहार नहीं मिल पा रहा है। रंगपुरिया गांव निवासी पुष्पा बाई ने बताया कि उसके आधार कार्ड में आयु का वर्ष तो है लेकिन माह नहीं होने से उसको पेंशन नहीं मिल पा रही है। इसमें माह और तारीख जुड़वाने के लिए एक पखवाड़े से परेशान होना पड़ रहा है।

घटिया काम के चलते बह गई 5 लाख रुपए की पुलिया

लाखेरी. ग्राम पंचायत पापड़ी में जाडला गांव की सडक़ के सामने खेतों में जाने वाले कच्ची गडार की पुलिया घटिया निर्माण के चलते पानी में बह गई है। जानकारी के अनुसार पापड़ी बड़ाखेड़ा सडक़ मार्ग से जाडला गांव की संपर्क सडक़ के सामने खेतों में जाने का रास्ता देवजी के बाग की तरफ जाता है। इसी कच्चे रास्तें पर ऊंडा खाळ से पहले एक खाळ पर ग्राम पंचायत द्वारा करीब 2 वर्ष पूर्व पुलिया का निर्माण कराया गया था। जिसपर 5 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई थी। निर्माण कार्य घटिया होने से पुलिया बरसात में ही बह गई। ग्रामीणों ने बताया कि इस पुलिया पर खेतों का बहुत कम पानी आता है और पुलिया बनने के बाद पहली बरसात में ही पुलिया का बहना घटिया निर्माण की पोल खोलता है। ग्रामीणों ने संपूर्ण मामले की जांच कर शीघ्र पुलिया को दुबारा बनाने की मांग की है।

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