>>: Digest for August 23, 2021

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Table of Contents

श्रीगंगानगर. इलाके में रक्षा बंधन पर्व की धूम रही। भाई-बहन के इस पवित्र त्यौहार को लेकर रविवार को सुबह से देर शाम तक उत्साह देखने को मिला। महिलाआें ने अपने भाई की दीघार्यु और स्मृद्धि की कामना की। रक्षा सूत्र बांधने के लिए इलाके के हर घर में उत्सव का माहौल बना हुआ था।

बहनों को भी राखी बांधने के एवज में साडि़यां, सूट, नकदी और गिफ्ट आईटम देने के लिए उनके भाईयों ने दरियादिली दिखाई। वहीं बच्चों को भी अपने कार्टून पात्रों की राखियां हाथ बांधने का मौका मिला। इस बार अपने भाई की फोटो वाली राखियां आकर्षक का केन्द्र रही।

इन राखियों पर भाई की लेमीनेशन फोटो लगाकर राखियां सजाई हुई थी। इसके साथ साथ महिलाओं की चूडि़यों पर लूबिंया बांधने के लिए उनकी ननदों ने रस्म अदायगी की। मुंह मिठा करवा कर राखी बांधने का दौर शहर से लेकर गांव गांव ढाणी ढाणी तक चला। इलाके के एक छोर से दूसरे छोर तक महिलाओं और बच्चों को पहुंचाने के लिए टैम्पों चालकों ने मनमर्जी का किराया भी वसूला।

मजबूरीवश इस किराये का भुगतान भी किया गया। महिलाओं के इस त्यौहार के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। दुकानदारों ने रविवारीय अवकाश के बावजूद दुकानें खोली। त्यौहारी सीजन होने के कारण बाजार अब रविवार को भी खुलने लगा है।

ग्राहकी नहीं होने के कारण अधिकांश दुकानों में चहल पहल नहीं रही। यही स्थिति पार्को की रही। यहां सामान्य दिनों में अधिक भीड़ रहती है लेकिन रविवार शाम को इन पार्को में वे ही लोग आए जो नियमित रूप से सैर करते है। इधर, पुलिस थानों में भी सुबह से लेकर शाम तक सन्नाटा रहा। महिला पुलिस कर्मियों ने भी समय निकालकर अपने भाईयों के राखी बांधी।

इस त्यौहार पर अपने भाईयों और भतीजों को राखी बांधने के बाद मुंह मीठा कराने के लिए महिलाओं ने मिठाईयों की जमकर खरीददारी की।मिठाई विक्रेताअेां ने इस त्यौहार पर विशेष रूप से घेवर, रस मलाई, रसभरी, कॉकनेट बर्फी, इमरती, राजभोग, रसगुल्ले, गुलाब जामुन, मिक्स भुजिया, सादा भुजिया आदि बिक्री के लिए बनवाए थे। वही ड्राईफ्रूट की भी खरीददारी भी हुई।

श्रीगंगानगर. इलाके में रक्षा बंधन पर्व की धूम रही। भाई-बहन के इस पवित्र त्यौहार को लेकर रविवार को सुबह से देर शाम तक उत्साह देखने को मिला। महिलाआें ने अपने भाई की दीघार्यु और स्मृद्धि की कामना की। रक्षा सूत्र बांधने के लिए इलाके के हर घर में उत्सव का माहौल बना हुआ था।

बहनों को भी राखी बांधने के एवज में साडि़यां, सूट, नकदी और गिफ्ट आईटम देने के लिए उनके भाईयों ने दरियादिली दिखाई। वहीं बच्चों को भी अपने कार्टून पात्रों की राखियां हाथ बांधने का मौका मिला। इस बार अपने भाई की फोटो वाली राखियां आकर्षक का केन्द्र रही।

इन राखियों पर भाई की लेमीनेशन फोटो लगाकर राखियां सजाई हुई थी। इसके साथ साथ महिलाओं की चूडि़यों पर लूबिंया बांधने के लिए उनकी ननदों ने रस्म अदायगी की। मुंह मिठा करवा कर राखी बांधने का दौर शहर से लेकर गांव गांव ढाणी ढाणी तक चला। इलाके के एक छोर से दूसरे छोर तक महिलाओं और बच्चों को पहुंचाने के लिए टैम्पों चालकों ने मनमर्जी का किराया भी वसूला।

मजबूरीवश इस किराये का भुगतान भी किया गया। महिलाओं के इस त्यौहार के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। दुकानदारों ने रविवारीय अवकाश के बावजूद दुकानें खोली। त्यौहारी सीजन होने के कारण बाजार अब रविवार को भी खुलने लगा है।

ग्राहकी नहीं होने के कारण अधिकांश दुकानों में चहल पहल नहीं रही। यही स्थिति पार्को की रही। यहां सामान्य दिनों में अधिक भीड़ रहती है लेकिन रविवार शाम को इन पार्को में वे ही लोग आए जो नियमित रूप से सैर करते है। इधर, पुलिस थानों में भी सुबह से लेकर शाम तक सन्नाटा रहा। महिला पुलिस कर्मियों ने भी समय निकालकर अपने भाईयों के राखी बांधी।

इस त्यौहार पर अपने भाईयों और भतीजों को राखी बांधने के बाद मुंह मीठा कराने के लिए महिलाओं ने मिठाईयों की जमकर खरीददारी की।मिठाई विक्रेताअेां ने इस त्यौहार पर विशेष रूप से घेवर, रस मलाई, रसभरी, कॉकनेट बर्फी, इमरती, राजभोग, रसगुल्ले, गुलाब जामुन, मिक्स भुजिया, सादा भुजिया आदि बिक्री के लिए बनवाए थे। वही ड्राईफ्रूट की भी खरीददारी भी हुई।

श्रीगंगानगर. नहर की एलएनपी शाखा में वरियता के हिसाब से किसानों को पानी नहीं मिलने को लेकर नाराज किसानों ने रविवार शाम को कालूवाला हैड पर धरना लगा दिया और पानी देने की मांग की। यह नहर रविवार को सुबह खुलनी थी। मामले की सूचना मिलने पर पुलिस व जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। रात करीब नौ बजे तक धरना चला और बुधवार को नहर चलाने के आश्वासन के बाद धरना हटाया।

किसान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुवीर सिंह ताखर ने बताया कि रविवार को सुबह 9 बजे एलएनपी शाखा नहरों में पानी छोडऩा था लेकिन नहरों में पानी नहीं आया। इसको लेकर कुछ किसान तो सुबह ही कालूवाला हैड पर पहुंच गए और धरना शुरू कर दिया था। बाद में मांझूवास व गणेशगढ़ तक के किसान शाम छह बजे कालूवाला हैड पहुंच गए और वहां धरना दिया। मामले की सूचना मिलने पर सीओ सिटी अरविंद बैरड, जवाहरनगर थाना प्रभारी विश्वजीत सिंह मय जाब्ते के मौके पर पहुंच गए। वहीं जल संसाधन खंड के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। पुलिस, जल संसाधन खंड के अधिकारियों ने किसानों को समझाइस की। जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने बुधवार को पानी छोडऩे का आश्वासन दिया। तब जाकर किसानों ने धरना हटाया।

वहीं गंग नहर में रविवार को 255 क्यूसेक पानी कम हो गया। इस कारण एलएनटी नहर में पानी नहीं छोड़ा जा सका। हालांकि शनिवार को 1750 कृषक पानी खखां हैड पर गंग नहर में मिल रहा था। जबकि रविवार को 255 क्यसेक पानी कम होकर 1545 क्यूसेक पानी खखां हैड पर मिल रहा था। नहर में पानी कम होने की वजह से जल संसाधन विभाग की परेशानी बढ़ गई तथा नहर प्रभावित होने लगी।

श्रीगंगानगर. कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन में पुरुष ही नहीं जिले की महिलाएं भी बराबरी से शामिल हो रही है और महिलाओं में भी वैक्सीन की डोज लगवाने के लिए खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। वैक्सीन सेंटरों पर महिलाओं की लंबी कतारें इसकी गवाह हैं। महिलाएं भी वैक्सीन की डोज लगवाने में पीछे नहीं है। जिले में महिला व पुरुष पांच-पांच लाख से अधिक वैक्सीन की डोज लगवा चुके हैं।

कोरोना की पहली लहर के बाद ही कोरोना स्वास्थ्य क्षेत्र जुड़े और इसके बाद फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन की डोज लगाई थी। जिसमें भी महिलाओं की संख्या अच्छी रही। इसके बाद साठ साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन शुरू की गई। जिसमें भी महिलाओं की संख्या कम नहीं रही। इलाके में पुरुषों के साथ ही महिलाओं में जागरुकता की कोई कमी नहीं है। इसलिए वैक्सीन सेंटरों पर महिलाओं की संख्या भी ठीक रही। जब से 45 से 60 साल तक के लोगों के लिए वैक्सीन की डोज आई तो सेंटरों पर महिलाओं की संख्या बढ़ गई और 18 से 44 साल तक के लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू हुआ। शुरूआती दिनों में तो महिलाओं की कतारें छोटी थी लेकिन बाद में वैक्सीनेशन सेंटरों पर पुरुष और महिलाओं की कतारें लंबी हो गई। जिसमें पुरुषों के बराबर ही महिलाओं की कतारें लगने लगी। तेज धूप व उमस भरी गर्मी में भी महिलाएं वैक्सीन लगवाने में पीछे नहीं हटीं। शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण इलाका सभी जगह महिलाओं की कतार भी कम नहीं है। चिकित्साकर्मी बताते हैं कि जबकि अन्य कई जिलों में ग्रामीण इलाके में महिलाओं में वैक्सीन लगवाने को लेकर इतना उत्साह नहीं है, जितना की श्रीगंगानगर जिले की महिलाओं में है।

पांच-पांच लाख से अधिक डोज लग चुकी

- चिकित्सा विभाग के वैक्सीनेशन के आंकड़े बताते हैं कि जिले में प्रथम व दूसरी डोज मिलाकर कुल 10 लाख 99 हजार 933 लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है। जिसमें डोज लगवाने वाले पुरुषों की संख्या 5 लाख 82 हजार 513 है और महिलाओं की संख्या 5 लाख 17 हजार 219 है।

आठ लाख से पार हो चुकी पहली डोज

- चिकित्सा विभाग के वैक्सीनेशन के आंकड़ों के अनुसार जिले में शनिवार तक प्रथम डोज 8 लाख 15 हजार 247 व्यक्तियों को लग चुकी है। वहीं दूसरी डोज 2 लाख 84 हजार 686 लोगों को लगाई जा चुकी है। लोगों को पहली डोज तेजी से लगाई जा रही है। इनमें कोविशील्ड की 9 लाख 62 हजार 533 डोज लगाई गई है और कोवैक्सीन की एक लाख 37 हजार 400 डोज लग चुकी है। सबसे ज्यादा डोज कोविशील्ड ही लगाई गई है।

वैक्सीन की कमी बन रही बाधा

- जिले को जयपुर से वैक्सीन की लगातार डोज आवंटित नहीं होने के कारण कमी खलती रहती है। इसलिए वैक्सीनेशन का कार्य बीच में रुक जाता है। जिले में 13 लाख लोगों को वैक्सीनेशन का टारगेट है। प्रथम डोज तो टारगेट के समीप पहुंच चुकी है लेकिन अभी दूसरी डोज की संख्या बहुत ही कम चल रही है। चिकित्साकर्मियों का कहना है कि अब वैक्सीन की डोज लगातार अच्छी संख्या में मिलनी चाहिए।

इनका कहना है

- जिले में वैक्सीनेशन कार्य तेजी से चल रहा है। यहां महिलाएं भी वैक्सीनेशन में पीछे नहीं है। महिला व पुरुषों को पांच-पांच लाख से अधिक संख्या में वैक्सीन की डोज लग चुकी है। कुल करीब 11 लाख डोज लोगों को लगाई चुकी है। जैसे-जैसे वैक्सीन आ रही है, वैक्सीनेशन किया जा रहा है।

डॉ. गिरधारीलाल मेहरडा, सीएमएचओ श्रीगंगानगर

श्रीगंगानगर. रक्षाबंधन के दिन बॉर्डर की सुरक्षा में मोर्चे पर तैनात बीएसएफ जवानों को वहां पहुंची कई बहनों की राखी बांधी और मिठाई खिलाई। वहीं जवानों ने भी बहनों को आशीर्वाद दिया और बहनों सहित देश की रक्षा की कसम खाई। ऐसे कार्यक्रम में जिले में बॉर्डर पर कई स्थानों पर आयोजित किए गए।

जहां संस्थाओं के लोग, ग्रामीण व कुछ परिवार के लोग अपने बच्चे-बच्चियों को लेकर बॉर्डर पर पहुंचे। जहां बीएसएफ के जवानों को राखी बांधकर मुंह मीठा कराया। देश की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ के जवान राखी बंधवाने के लिए अपनी बहनों तक नहीं पहुंच सकते हैं। इसलिए हर साल जिले की बहनें ही उनको राखी बांधती हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्यक्रम श्रीगंगानगर सेक्टर, रायसिंहनगर, कर्णपुर सहित अन्य कई स्थानों पर आयोजित किए गए। जहां आसपास इलाके से परिजनों के साथ पहुंची बालिकाओं ने सीमा पर पहुंचकर बीएसएफ के जवानों को राखियां बांधी और उनको हौसला बढ़ाया। रक्षाबंधन पर छोटी-छोटी बहनों की ओर से राखी बांधने पर जवानों की आंखें भी नम हो गई। कार्यक्रमों के दौरान बीएसएफ के अधिकारी भी मौजूद रहे।

श्रीगंगानगर. जुबां पर भाई का नाम आते ही रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार की याद आती है। दौलतपुरा गांव की वीरपाल कौर के मोबाइल पर जैसे ही रक्षा बंधन की शुभकामनाओ की पोस्ट मिली तो वह सिसकने लगी। उसकी सगी सात बहनों पर इकलौते भाई को याद करते वह निढाल सी हो गई। करीब तीन महीने पहले कोरोना की दूसरी लहर में उसके भाई की मृत्यु हो गई थी।

रक्षा बंधन पर इस बहन के पास आता था। लेकिन अब वह स्मृतियां में शेष रह गया है। वीरपाल कौर बार बार यही सवाल खुद से कर रही है कि अब किसकी कलाई पर वह रक्षा सूत्र बांधेगी। वीरपाल कौर जैसी कई एेसी बहनें इलाके में है जिनके इकलौते भाई को कोरोना निगल गया था।

रक्षा बंधन पर्व पर भाई के इस दुनिया से जाने का गम में मिला यह जख्म फिर से मन को कुरेदने लगा है। पीलीबंगा के पास सहजीपुरा गांव निवासी श्रवण सिंह अपने सात बहनों का एक मात्र भाई था। वह अपनी बुजुर्ग मां सरजीत कौर को लेकर सबसे बड़ी बहन कुलविन्द्र कौर के पास मिलने गया था। वहां कोरोना की जांच कराई तो पॉजीटिव आई। अनूपगढ़ सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

लेकिन उसकी २५ मई २१ को तबीयत बिगड़ी तो चिकित्सकों ने उसे रैफर कर दिया लेकिन जैतसर पहुंचने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। परिजन उसे हनुमानगढ़ ले जाना चाहते थे।
श्रवण सिंह के पिता भोलासिंह व मां सरजीत कौर के बुढ़ापे का सहारा छीन गया है। श्रवण की दो बहनें कुलविन्द्र व जसवीर कौर रामसिंहपुर में, तीसरी अबोहर क्षेत्र में सिरमजीत कौर, चौथी बहन कुलदीप उर्फ कोड़ी बठिण्डा क्षेत्र गांव बाओ, पांचवीं दर्शनकौर और छठी परमजीत कौर पीलीबंगा और सातवीं बहन वीरपाल कौर श्रीगंगानगर के दौलतपुरा गांव में ब्याही हुई है।

खेती करने वाले महज ३९ वर्षीय श्रवण के दो बेटियां हरमनदीप कौर व लवप्रीत कौर और एक बेटा आकाशदीप सिंह है। उसी पत्नी प्रविन्द्र कौर नोहर की है। मृतक के परिजनों को अभी तक मुख्यमंत्री राहत कोष से कोई सहायता नहीं मिली है।

उसी बहन वीरपाल कौर का कहना है कि अनूपगढ़ सरकारी अस्पताल से अभी तक कोरोना से मृत्यु होने के संबंध में दस्तावेज भी परिजनों को उपलब्ध नहीं करवाए है, इस कारण सरकार की योजना से वंचित है।

इधर, तीन बहनों के माता पिता के गुजरने के बाद इकलौते भाई को भी कोरोना निगल गया। विवेकानंद कॉलोनी की वीना चौहान, पुरानी आबादी ताराचंद वाटिका क्षेत्र की रहने वाली मोहनीदेवी और उदाराम चौक निवासी सत्यदेवी का इकलौता भाई वेदप्रकाश कटारिया की कोरोना के कारण मृत्यु हो गई।

चौहान ने बताया उसके बचपन में ही पिता की मौत हो गई थी तब भाई ने ही बहनों को संभाला था। वीना ने कुछ अर्से पहले नरेश मंडल को धर्मभाई बनाया था उसकी भी आस्ट्रेलिया में मृत्यु हो गई। एेसा लग रहा है कि पूरा पीहर पक्ष ही खत्म हो गया है। रक्षाबंधन शब्द सुनते ही चौहान फफक पड़ी और बोली कि रक्षा बंधन त्यौहार पर भाई की अहम भूमिका होती है। जब भाई ही नहीं रहा तो किसे राखी बांधे।

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