>>: JODHPUR---चीन से नाता तोड़ जोधपुर से जुड़ा सऊदी अरब

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जोधपुर।
विश्वव्यापी कोरोना के कारण विश्व के कई देश चीन से व्यापारिक मामलों में दूरी करते नजर आ रहे है। काफी हद तक इसका फायदा भारत को हो रहा है। विश्व के कई देश व्यापार के क्षेत्र में भारत से संबंध बनाने के लिए रुचि दिखा रहे है। ऐसे हालात में बांस की कारीगरी और व्यापार के क्षेत्र में दुनियाभर में डंका बजाने वाले चीन को अब भारत से चुनौती मिल रही है, यह चुनौती दे रहा है जोधपुर । जोधपुर में झारखण्ड व नॉर्थ इस्ट से आए कारीगर अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के बदौलत सउदी अरब का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। नतीजतन करोड़ों रुपए की टोकरियां सहित बांस के अन्य उत्पाद सउदी अरब निर्यात हो चुके है। साथ ही बांस के टोकरी व अन्य उत्पादों के लिए करोड़ों रुपए के ऑर्डर भी मिले है। गत वर्ष भी सउदी अरब से जोधपुर के बांस उत्पाद निर्माताओं को करोड़ों रुपयों के ऑर्डर मिले थे।
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चीन से 20 साल का नाता तोड़ जोधपुर आई कंपनी
पिछले करीब 20 साल से चीन से कारोबार कर रही सउदी अरब की कंपनी ने जोधपुर के गिरधारीलाल की फर्म के साथ जोधपुर के बांस प्रोडक्ट को बेहतर बताते हुए सौदा किया है। बांस की टोकरियों के बड़े खरीदार सउदी अरब ने चीन को दरकिनार कर जोधपुर में बनी बांस की पैकेजिंग बास्केट (छोटी टोकरी) का आयात शुरू किया है।
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जोधपुर में 30 हजार कारीगर
जोधपुर के करीब 30 हजार कारीगर नॉर्थ इस्ट के है, जो निर्यातकों के यहां काम कर रहे है । जोधपुर में अधिकांश मोइली समुदाय के लोग बांस कर काम कर रहे है। बांस उत्पाद निर्माता गिरधारीलाल के अनुसार कोरोना के कारण लॉकडाउन के कारण काम की गति धीमी थी, अब वापस ऑर्डर मिलने शुरू हुए है।
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प्रति माह भेजे जा रहे करोड़ों के उत्पाद
जोधपुर से बांस के फर्नीचर, बांस की अलग-अलग साइज की टोकरी, बास्केट आदि निर्यात हो रही है। वर्तमान में करीब 4-5 करोड़ के उत्पाद प्रति माह भेजे जा रहे है। इनमें अरब देशों के अलावा यूरोपियन देशों व अमरीका को निर्यात किए जा रहे है। कोरोना के कारण हालांकि अरब देशों में बांस के उत्पादों का निर्यात कम हुआ था लेकिन स्थितियां सामान्य होने पर अरब के साथ यूरोप व अमरीका में भी बांस उत्पाद बिकने जा रहे है।

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