>>: धन्यवाद पत्रिका, जनता की आवाज बनकर समाधान की राह खोजी

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टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा की एक और ओवरब्रिज बनाने की बहुप्रतीक्षित मांग को राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद शहरवासियों ने राजस्थान पत्रिका को धन्यवाद दिया है। लोगों का कहना है कि पत्रिका जनता की आवाज बना। रेलवे फाटक बंद होने और दिनभर में कई बार जाम झेल रहे लोगों की पीड़ा को अभियान में रखकर श्रृंखलाबद्ध समाचार प्रकाशित कर नेताओं और प्रशासन को समाधान की राह खोजने के लिए आगे आने को मजबूर किया।


इसी का नतीजा है कि प्रशासन की ओर से नए आरओबी स्वीकृति के लिए भेजी फाइल पर सरकार ने मुहर लगा दी। लोगों को उम्मीद है कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन आरओबी निर्माण के लिए कदम आगे बढ़ाकर जल्द से जल्द इसका निर्माण कार्य शुरू करवाएगा।

 

पत्रिका के साथ खड़ी हुई जनता, हर स्तर पर आंदोलन किया

पिछले डेढ़ दशक से परेशानी झेल रहे लोगों की पीड़ा समझते हुए पत्रिका ने भीलवाड़ा शहर को चाहिए एक और ओवरब्रिज अभियान हाथ में लिया। जनता को विश्वास हुआ कि किसी ने उनकी पीड़ा को समझा। उसके बाद पत्रिका के साथ जनता खड़ी हो गई। गत दस माह में हर स्तर पर लोगों ने आरओबी के लिए आंदोलन किया। यहां तक की गांधीनगर गणेश मंदिर में भगवान गणेशजी को पाती तक रखी गई। इस अभियान में साधु-संत भी साथ आए।

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यह बोली जनता

लम्बे समय से भीलवाड़ा की जनता जाम की समस्या को झेल रही है। न जनप्रतिनिधियों ने सुना न ही प्रशासन के कान पर जूं रेंगी। राजस्थान पत्रिका का धन्यवाद कि जनता को पीड़ा को समझ कर उनकी आवाज बनी। आरओबी के निर्माण के लिए अब जल्द काम शुरू होना चाहिए। पत्रिका के अभियान से प्रेरित होकर गणेशजी को पाती रखकर आंदोलन किया। घर-घर लोगों को जागरूक कर प्रदर्शन् किया।
- आजाद शर्मा, अधिवक्ता

 

सामाजिक सरोकार और जनता की परेशानी को उठाने में राजस्थान पत्रिका का सानी नहीं है। एक और ओवरब्रिज शहर का ज्वलंत मुद्दा है। पत्रिका ने इसी मुद्दे को अभियान में लिया इसके लिए साधुवाद। अभियान से ही प्रेरित होकर ओवरब्रिज निर्माण को लेकर संघर्ष समिति का गठन किया था। समिति ने जनता को जागरूक करके प्रदर्शन् किया।
- बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद

 

एक और ओवरब्रिज निर्माण की राज्य सरकार से स्वीकृति राजस्थान पत्रिका के संघर्ष का नतीजा है। पत्रिका ने ओवरब्रिज निर्माण की हर जरूरत को समाचार श्रृंखला के रूप में प्रकाशित करके मुद्दे को उठाया। नौकरशाह से लेकर नेताओं की रही खामियों को भी उजागर किया। पत्रिका के अभियान की बदौलत घर-घर संघर्ष के लिए पीले चावल बांटकर साधु-संतों को आंदोलन में साथ लिया।

- कैलाश सोनी, अध्यक्ष, राजस्थानी जन मंच


पत्रिका के अभियान के साथ सामाजिक संगठन भी पीछे नहीं रहे है। कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन से लेकर हर स्तर पर आंदोलन किया। पत्रिका की मुहिम के कारण सरकार ने स्वीकृति दी है। इसे भीलवाड़ा की जनता ही नहीं आने वाली पीढ़ी तक पत्रिका को याद रखेगी। साधुवाद पत्रिका।

- अनुपमा नामधार, समाजसेवी

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