>>: अपराध की सजा...अब बुढ़ापा जेल में कट रहा

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- अलवर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं कई बुजुर्ग बंदी

अलवर. क्रोध और वासना के आगे आपा खो बैठे। सिर पर हैवानियत सवार हो गई और हत्या व बलात्कार जैसे संगीन अपराध को अंजाम दे डाला। अपराध की सजा यह रही कि आज बुढ़ापा जेल में कट रहा है और मन में पछतावे के अलावा कुछ नहीं। अलवर सेंट्रल जेल में कई ऐसे बुजुर्ग बंदी हैं, जो कि अपने किए की सजा आजीवन कारावास या फिर मृत्यु तक आजीवन कारावास के रूप में भुगत रहे हैं।
अलवर सेंट्रल जेल में फिलहाल 798 बंदी हैं। जिनमें 31 बंदी ऐसे हैं जो कि बुजुर्ग हो चुके हैं। इन बंदियों की उम्र 60 से लेकर 90 साल तक है। इनमें से 11 बंदी हत्या, दहेज हत्या और बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। वहीं, 20 बंदी भी हत्या, दहेज हत्या और बलात्कार आदि प्रकरणों में पिछले कई साल से जेल की सलाखों में बंद हैं। इन बंदियों को अभी सजा नहीं सुनाई गई है। इनके प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं।

बरसों से जेल की सलाखों के पीछे
करीब 65 वर्षीय फलाहारी बाबा युवती से बलात्कार मामले में अलवर सेंट्रल जेल में मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। फलाहारी बाबा पिछले करीब छह साल से जेल में बंद हैं। सजायाफ्ता बंदी गजराज पुत्र रतिराम की उम्र करीब 65 साल है। रतिराम हत्या के मामले में पिछले आठ साल से जेल में बंद है। 68 वर्षीय मातादीन पुत्र मोटूराम बलात्कार का दोषी है। न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मातादीन पिछले साढ़े छह साल से अलवर जेल की सलाखों के पीछे जीवन काट रहा है। वहीं, 66 वर्षीय समसू पुत्र चाव खां दहेज हत्याकांड में शामिल था। उसे न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। समसू छह साल से अलवर जेल में बंद है।

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जेल में 31 बुजुर्ग बंदी
अलवर सेंट्रल जेल में फिलहाल 31 बुजुर्ग बंदी हैं। जिनकी उम्र 60 से 90 साल के बीच हैं। इनमें से 11 सजायाफ्ता और 20 विचाराधीन बंदी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश बंदी हत्या, दहेज हत्या या बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में सजा भुगत रहे हैं। बुजुर्ग बंदियों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है।

- प्रदीप लखावत, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, अलवर।

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