>>: Rajasthan Assembly Election 2023: नहर से बह रहा जहर...आसमां से टपक रहा नशा, मारनी पड़ती फसल

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आशीष जोशी/श्रीगंगानगर. Rajasthan Assembly Election 2023: रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच बीकानेर से करीब सवा दो सौ किलोमीटर का सफर तय कर मैं भारतीय सीमा के अंतिम गांव लखा हाकम पहुंचा। यहां पुलिस चौकी पर ताला जड़ा देख पास ही मेडिकल स्टोर पर बैठे कालूराम से पूछा-चौकी पर ताला क्यों लगा है। जवाब में बोला-साब, यह तो करीब चार साल से बंद पड़ी है। यहां तो हमारे लिए बीएसएफ ही पुलिस है। आए दिन हेरोइन तस्कर पकड़े जा रहे हैं। अंतिम छोर पर बसे कृषि और पशुपालन पर निर्भर इस गांव के पशु चिकित्सालय में भी कोई चिकित्साकर्मी नहीं है। पास बैठे सोहनलाल ने बताया कि हेरोइन तस्करी का दंश सीमावर्ती काश्तकारों को भुगतना पड़ रहा है। तारबंदी और जीरो लाइन के बीच हमारी बेहद उपजाऊ जमीनें हैं, लेकिन तारबंदी के नीचे से पाइपलाइन ले जाने पर पाबंदी है। तस्कर इन पाइप के जरिए हेरोइन तस्करी कर सकते हैं। ऐसे में नहरी जमीन बारानी हो गई है।

 


खाटां में लॉकडाउन जैसा सन्नाटा

यहां से अंतिम ग्राम पंचायत खाटां जाने के दौरान रास्ते में इमीलाल, ओमप्रकाश, सतपाल और रणजीत खेतों में काम करते मिले। बोले-हम अंतिम छोर पर है। न पानी है, न सड़क। अस्पताल में चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल रही। खाटां में अभी प्रवेश ही नहीं किया कि बीएसएफ के मुस्तैद जवानों ने रोक दिया। पूछताछ और पहचान पत्र देखने के बाद आगे जाने दिया। गांव में सन्नाटा पसरा दिखा। बिल्कुल कोरोना लॉकडाउन जैसा। यहां ग्राम पंचायत भवन में वीरेंद्र भादू मिले। बोले- खाटां माइनर का मुद्दा हर चुनाव में गर्माता है। हाल के साढ़े चार साल में भी विधानसभा में यह मामला तीन बार उठ गया, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। तभी पास बैठे बलराम कड़वासरा बोल पड़े, पीने का पानी ही साफ नहीं है। पानी के साथ दवाइयां लेनी पड़ती हैं। ताकि गंदा पानी बीमार न करे। बीएसएफ तो हेरोइन तस्करी में लिप्त लोगों को पकड़ रही है, लेकिन पुलिस गश्त बढ़ाने की जरूरत है।


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घड़साना उबल रहा, इस बार पानी नहीं

बीकानेर से अनूपगढ़ के रास्ते घड़साना आया तो करीब दो दशक पहले के किसान आंदोलन की याद ताजा हो गई। यहां ईंट-भट्टा व्यवसायी ब्रह्म नागपाल हाईवे पर बैठे थे। बतियाने पर बोले-पिछले करीब डेढ़ दशक में घड़साना नगरपालिका की दो बार घोषणा हो गई, बनी अब तक नहीं। एक और दर्द जुबां पर आया। कहा-यहां जमीन पक्की है। फसल सात दिन में पानी मांगती है। मार्च में एक और पानी मिल जाए कणक (गेहूं) सोना बरसा दे। पर्याप्त पानी के अभाव में फसल मारनी पड़ती है। बस अड्डे पहुंचा तो वहां व्यापारी दर्शन जसूजा ने भी नगरपालिका का मुद्दा छेड़ दिया। कहा-कोई पार्टी हो, हमें ढंग का स्थानीय नेता नहीं मिला। इसलिए घड़साना में पालिका नहीं बन सकी।

 

अनूपगढ़ जिले की घोषणा से खुशी...

घड़साना से मैं लैला-मजनू की मजार के लिए विख्यात अनूपगढ़ पहुंचा। यहां लोगों में इस बात की खुशी तो दिखी कि अनूपगढ़ जिला बन गया। लेकिन वे इसकी क्रियान्विति को लेकर आशंकित भी कम नहीं थे। यहां भगवानदास मीठिया ने कहा कि यह लम्बी तपस्या थी। एसडीएम ऑफिस के बाहर 12 साल धरना चला। तब जाकर यह सौगात मिली। समाजसेवी रमेश चुग बोले-जिले की प्रक्रिया जल्दी पूरी होनी चाहिए।

 

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रायसिंहनगर बोला-अनूपगढ़ में शामिल मत करो

अनूपगढ़ से समेजाकोठी होते हुए रायसिंहनगर पहुंचा। यहां इस बात का विरोध था कि उन्हें श्रीगंगानगर से हटाकर अनूपगढ़ जिले में डाल दिया जाएगा। लोगों की पीड़ा थी कि जिस दिन सर्व समाज के लोगों ने ज्ञापन दिया, उस दिन कोई नेता नहीं पहुंचा। मंडी के व्यापारियों से मिलने पहुंचे तो किराना यूनियन अध्यक्ष कुलभूषण सिंघल ने कहा- वर्षों से पंजाब से गंदा पानी आने की समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा। रमेश पूनिया बोले-नहर से पर्याप्त पानी नहीं मिलने से पूरी क्षमता से कृषि नहीं हो पाती। मेडिकल यूनियन अध्यक्ष राधेश्याम भाखर ने कहा कि शहीद भगतसिंह कॉलेज के सरकारीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई और न ही नया कॉलेज खुल पाया।

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