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सूखे बांधों ने बढ़ाया जल संकट, जनप्रतिनिधियों ने साध रखा मौन Wednesday 03 May 2023 04:33 AM UTC+00 अलवर. जिले के ज्यादातर बांधों का वर्ष 1993 के बाद ऐसा गला घुटा कि मानसून में भी जलराशि को तरस गए। साल भर बांधों का खाली रहना ही अलवर जिले के पेयजल संकट का मूल कारण है। करीब तीन दशक से पानी के संकट से जूझ रहे अलवर जिले के जनप्रतिनिधि इस लंबे समय में एक भी नहरी जल परियोजना लाने में विफल रहे और अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं। जबकि साल भर पानी रहने के कारण सिलीसेढ़ से अलवर तक पानी लाने की योजना को राज्य सरकार से स्वीकृति दिलाना जनप्रतिनिधियों के लिए आसान है। अलवर जिला लंबे समय से पेयजल संकट से जूझ रहा है। वैसे तो जिले में सिंचाई विभाग के 21 बड़े बांध हैं, वहीं पंचायती राज के अधीन करीब 107 छोटे- बड़े बांध है, लेकिन ज्यादातर बांध वर्ष 1993 के बाद पानी से लबालब नहीं हो सके। बांधों में घटती गई पानी की आवक : अलवर जिले के बांधों में वर्ष 1993 तक पानी की खूब आवक होती रही, इस दौरान कई बार बांध लबालब भी हुए, लेकिन बाद में बांधों में पानी की आवक घट गई। वर्ष 2022 में भी सिंचाई विभाग के 21 में से मात्र चार बांधों में ही पानी आया। यह भी पढ़ें : Rajasthan Assembly Election 2023: नहर से बह रहा जहर...आसमां से टपक रहा नशा, मारनी पड़ती फसल योजना ठंडे बस्ते में : अलवर शहर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराने के बाद भी जिले के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी नहीं टूट पाई है। इसी का परिणाम है कि मात्र 38 करोड़ रुपए लागत की यह जल परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई है। पांच लाख आबादी की प्यास यह भी पढ़ें : कैद में कलेजे का टुकड़ा : बैचेन मां मादा पैंथर से ये कैसा खौफ...जानें पूरा मामला |
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