>>: 2016 में पहुंचना था 246 गांवों में पानी, लेकिन अभी सिर्फ 47 में पहुंचा

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भरतपुर. भरतपुर संभाग की लाइफ लाइन समान चम्बल परियोजना के प्रोजेक्ट कछुआ चाल से आगे बढ़ रहे हैं, जिसके कारण लोगों चम्बल के पानी से दूर हैं। जो काम वर्ष 2016 में पूरा होना था, वह कार्य अभी तक लटका हुआ है। प्रोजेक्ट के अनुसार कामां एवं पहाड़ी के 146 गांवों में वर्र्ष 2016 में पानी पहुंच जाना था, लेकिन अभी तक सिर्फ 47 गांवों की प्यास बुझी है। प्रोजेक्ट में हो रही देरी के पीछे फर्म की ओर से धीमी गति से कार्य करना माना जा रहा है।
धौलपुर में बह रही चम्बल नदी से भरतपुर जिले की प्यास बुझाने के लिए बनाई गई चम्बल धौलपुर-भरतपुर पेयजल परियोजना के लाभ से अभी भी अनेक गांव दूर हैं। लोगों का आरोप है कि परियोजना का कार्य लक्ष्य से वर्षों पीछे चल रहा है। इसका एक कारण कार्यकारी फर्मों की ओर से धीमी गति से कार्य करना व बीच में कार्य अधूरा छोडऩा है।
कामां व पहाड़ी के 246 गांवों में जलापूर्ति का कार्य वर्ष 2013 में शुरू हुआ था। प्रोजेक्ट के अनुसार यह कार्य 2016 में पूर्ण हो जाना था, लेकिन लेकिन अभी भी करीब 200 गांवों में पानी नहीं पहुंचा है।
183 गांवों की राह हुई कुछ आसान
दूसरी ओर, चम्बल परियोजना के प्रथम चरण प्रथम भाग के पैकेज तृतीय का कार्य प्रतिभा इंडस्ट्रीज लिमिटेड मुम्बई फर्म को वर्ष 2013 में जारी किया गया था, जिसके तहत 226 गांवों में वर्ष 2016 तक चम्बल का पानी पहुंचाना था। लेकिन फर्म की ओर से कार्य धीमी गति से किया गया और 183 गांवों में अभी तक चम्बल के पानी का इंतजार है। फर्म की ओर से धीमी गति से कार्य किया गया, जिसके चलते विभाग की ओर से कार्रवाई करते हुए दिसम्बर 2022 में फर्म से रिस्क एवं कास्ट पर रिसाइंड कर दिया गया है। इस कार्य के तहत रूपवास, उच्चैन, सेवर एवं कुम्हेर ब्लॉक के शेष 183 गांव में कार्य के लिए पुन: 22 मई को 133.08 करोड़ रुपए की निविदा लगाई गई है। इस परियोजना के 43 गांवों में पेयजल आपूर्ति चालू है।
चम्बल परियोजना के अधीक्षण अभियंता मुकेश चंंद अग्रवाल के अनुसार प्रतिभा के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद रिक्स एंड कोस्ट पर निविदा लगाई गई है। जिसके तहत इससे अधिक खर्चा आया तो प्रतिभा इंडस्ट्रीज से लिया है।
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