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अधिकारी कर ना सके एक काम, 7 गांवों के बच्चों को पढ़ने के लिए नाव से जाना पड़ता है स्कूल, जानें पूरा मामला Monday 12 June 2023 10:21 AM UTC+00 अमरगढ़। आजादी के सात दशक बाद भी कई गांव ऐसे हैं, जिन्हे आज भी विकास का इंतजार है। ऐसा ही मामला आदर्श ग्राम रहे बाकरा का है। यहां 7 गावों के बच्चे चार साल से टूटी नाव से स्कूल जाते हैं। बाग की झोपड़ियां, हर्षलों की झोपड़िया, बागरथल, भीमपुरा, केसरपुरा, मेलवा, उथरना गांव समेत कई ऐसे गांव हैं। इन्हें 12 महीने में से 9 माह नाव में बैठकर ग्राम पंचायत मुख्यालय आना जाना पड़ता है। इस समस्या पर वर्ष 2022 में बीज निगम अध्यक्ष धीरज गुर्जर की अनुशंसा से डीएमएफटी फंड से सड़क और पुलिया के करीब 1 करोड़ 25 लाख रुपए स्वीकृत हुए। ठेकेदार ने जनवरी में इस सड़क का कार्य चालू कर दिया, लेकिन कार्य की कछुआ चाल से सिर्फ सड़क के दोनों ओर साफ सफाई व हल्की गिट्टी की जगह बड़े पत्थर डलवा दिए। इससे सड़क पर निकलना मतलब हादसे को न्योता देना हो गया। यह भी पढ़ें- शराब बेचने वालों के आए बुरे दिन, अब लगेगा 25 हजार रुपए का जुर्माना, जानिए किसने लिया ऐसा फैसला यह भी पढ़ें- चक्रवाती तूफान बिपरजॉयः अभी चल रही हैं 175 KMPH की रफ्तार से हवाएं, एक झटके में बदलेगा मौसम, होगी बारिश ग्रामीणों ने बताया की वर्ष 2011 में नरेगा के माध्यम से इस पुलिया का निर्माण हुआ लेकिन वर्ष 2019 में पानी के तेज बहाव के कारण ये पुलिया टूट गई। जिसके बाद चार साल से आमजन वर्ष के नौ महीने तीन किमी कच्ची सड़क और कीचड़ में निकलकर टूटी नाव को रस्सी के सहारे चलाने में मजबूर हैं। ग्राम पंचायत की 80 प्रतिशत आबादी की जमीन नदी के दूसरी पार है। इससे पशुओं के चारा लाने और आने जाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। |
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