>>: गुमशुदगी दर्ज कराने में अक्सर देर हो जाती है...

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!


पत्रिका न्यूज नेटवर्क

नागौर. घर छोड़कर जाने वालों की गुमशुदगी दर्ज कराने में घर वाले तीन-चार दिन तो लगाते हैं। अधिकांश मामलों में पहले वो ना तो कोई कारण स्पष्ट करते हैं ना ही किसी पर शक/संदेह। यहां तक कि लापता की दिनचर्या की डिटेल तक सही नहीं बताते। यही वो कारण है जिससे उनकी दस्तयाबी में देर होती है।

सूत्रों के अनुसार कुछ मामलों में तो पुलिस तक रिपोर्ट पहुंचने में दस-बारह घंटे लगते है तो कुछ में आठ-दस दिन तक। गुमशुदगी दर्ज कराने में ज्यादा देर युवती/विवाहिता के लापता होने में लगती है। वो इसलिए भी सामाजिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए वो बड़ी मुश्किल से आगे आते हैं। शर्म/झिझक ऐसी कि अपने खास जानकार/रिश्तेदारों से अपनी बेटी/बहू के बारे में कुछ भी नहीं पूछ पाते। इसके पीछे बदनामी का डर मुख्य कारण माना जाता है। ऐसी ही एक गुमशुदगी के मामले से जुड़े पुलिस अधिकारी का कहना है कि युवक/बालक के बारे में तो सबकुछ बता देते हैं पर बालिका/युवती यहां तक की विवाहिता के संबंध में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी छिपा जाते हैं जिससे उनकी दस्तयाबी का समय और बढ़ जाता है। असल में कुछ ऐसे निजी सवालों के जवाब देने में उनकी झिझक/हिचक पुलिस वालों के लिए मुश्किल बन जाती है।

पहले इंतजाम पैसों का

गुमशुदगी के अधिकांश मामलों में सामने आया कि बालिका/युवती/विवाहिता घर से पैसा अथवा जेवर ले जाने में नहीं चूकतीं। कुछ समय पहले घर से भागी युवती दो लाख की नकदी व सत्रह तोला सोना साथ ले गई थी। अधिकांश विवाहिताओं का भी कमोबेश यही हाल है। मतलब साफ है कि साथी के लिए घर छोड़ते वक्त भी रकम/जेवर ले जाने से नहीं चूकती। कुछ ऐसी भी हैं जो खाली हाथ ही घर छोड़ देती हैं।

बदलाव का एक दौर यह भी

किसी भी बालिका/युवती/विवाहिता की गुमशुदगी पर पुलिस मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश करती है। अव्वल तो संपर्क होता नहीं और होता भी है तो लगभग सभी में एक से रटे-रटाए डॉयलाग सुने जाते हैं। मर्जी से आई हूं, अपने आप आ जाऊंगी, शादी कर ली है, एसपी साब को फोटो और कागज मेल कर दिए हैं, घर वाले झूठ बोल रहे हैं, उनके साथ नहीं रहूंंगी। एक भी ऐसी नहीं होतीं जो घर से निकलने की गलती का अहसास कर खुद को ले जाने की अपील करे।

शहर छोडऩा पहली प्राथमिकता

घर से निकलते ही गांव/शहर छोड़ना इन भगवैयों की पहली प्राथमिकता होती है। असल में वो अपने जान-पहचान वालों से दूर होना चाहते हैं। दस में से सात दूसरे जिले अथवा राज्य को चुनते हैं। घर लौटने से पहले एसपी से सुरक्षा की गुहार करने से नहीं चूकते।

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.