>>: अप्रशिक्षित के भरोसे चल रहे मेडिकल स्टोर!

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

बहरोड़. उपखंड क्षेत्र में चल रहे मेडिकल स्टोर्स में से अधिकतर दुकानें लंबे समय से अप्रशिक्षित के भरोसे चल रही हैं। इन दुकानों पर टंगे लाइसेंस किसी ओर के नाम से हैं, जबकि यहां दवाओं की बिक्री किसी ओर के भरोसे की जा रही है। खास बात तो यह है कि मेडिकल स्टोर्स संचालकों को यह लाइसेंस आसानी से किराए पर भी मिल जाते हैं। इसके बाद इन्हीं लाइसेंस के आधार पर इन दवा की दुकानों का संचालन अन्य व्यक्ति कर रहे हैं।
ऐसे में यह अप्रशिक्षित आमजन के स्वास्थ्य को खतरे में भी डाल सकते हैं। नियमों की अनदेखी के बावजूद क्षेत्र के किसी भी मेडिकल स्टोर पर विभाग की ओर से समय-समय पर सख्ती से कार्रवाई तक नहीं की जा रही। किसी भी दवा दुकान पर दवाओं की बिक्री करने के लिए खुद फार्मासिस्ट का होना बेहद जरूरी है, लेकिन सत्तर प्रतिशत दुकानों पर अप्रशिक्षित ही दवाएं बेच रहे हैं। कुछ दिन तक फार्मासिस्ट के पास काम सीखने के बाद वे भी किराए के लाइसेंस पर दुकान का पंजीयन करवा लेते हैं ओर किसी ओर की डिग्री के आधार पर ही दुकान का संचालन करते हैं। बहरोड़ में कस्बे व ग्रामीण क्षेत्र में करीब 500 मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। अधिकतर ग्रामीण इलाकों में बिना लाइसेंस के भी दुकानों का संचालन हो रहा है। जहां पर रोगियों का इलाज करते हैं] बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कभी कभार विभागीय अधिकारी जांच के लिए आते है तो इन मेडिकल संचालकों के द्वारा उनकी जेब गर्म की जाती है, जिसके बाद नाश्ता कर बिना कार्रवाई के लौट जाते है।


डॉक्टर को दिखाएं दवा: किसी भी अस्पताल में जांच के लिए जाने वाले मरीज को खुद डॉक्टर भी अक्सर दवा खरीदने के बाद उन्हें फिर से दिखाने की सलाह देते हैं। डॉक्टर की लिखी पर्ची वाली दवा दुकान पर नहीं होने द्यह्य मरीज को एक जैसी दवा होने की बात कहकर थमा देते हैं।

मिलीभगत का चल रहा खेल : दूसरों के लाइसेंस पर संचालित मेडिकल संचालकों व विभागीय अधिकारियों का आपसी मिलीभगत का खेल चल रहा है। जिसमें किसी के द्वारा शिकायत करने पर कार्रवाई के लिए तो आते है लेकिन यहां आकर मिलीभगत कर जेब गर्म कर बिना कार्रवाई के ही लौट रहे हैं। जिसमें मेडिकल संचालक व अधिकारी दोनों ही आमजन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

दुकान में फार्मासिस्ट का होना जरूरी: चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों की माने तो दवाओं की दुकानों में फार्मासिस्ट का होना काफी जरुरी होता है। केमिकल और बॉन्ड की जानकारी सिर्फ फार्मासिस्ट को होती है। दवाओं को देने के साथ फार्मासिस्ट मरीजों को दवा खाने का सही तरीका और दवाओं के बीच में समय के अंतर की जानकारी भी देता है।

कोई अपना लाइसेंस किराए पर नहीं दे सकता। किराए पर देने का कोई नियम नहीं है। उपखंड क्षेत्र में जांच अभियान चलाकर मेडिकल स्टोर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वही शिकायत दर्ज होने पर जयपुर से आदेश लेकर कार्रवाई की
जाती है।
गजानंद, ड्रग इंस्पेक्टर अलवर

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.